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Ganesh Chaturthi 2025: जानें गणेश उत्सव के दस दिनों का महत्व और प्रत्येक दिन का भोग
धर्म डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: ज्योति मेहरा
Updated Wed, 27 Aug 2025 04:16 PM IST
सार
गणेश उत्सव के दस दिनों में भगवान गणेश की पूजा-अर्चना की जाती है और सुख, शांति व सफलता की कामना की जाती हैं। ऐसे में आइए जानते हैं इन दस दिनों का महत्व और प्रत्येक दिन लगाए जाने वाले भोग के बारे में।
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गणेश उत्सव के 10 दिनों का महत्व
- फोटो : Amar Ujala
Ganesh Chaturthi 2025: गणेश चतुर्थी का पर्व पूरे देश में भक्ति, श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। इस दिन को गणेश जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है, जिन्हें ज्ञान और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इन्हें विघ्नहर्ता, गजानन, एकदंत, वक्रतुंड, सिद्धि विनायक जैसे कई नामों से जाना जाता है।
बप्पा का आगमन भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से शुरू होता है। इस बार गणेश चतुर्थी आज यानी 27 अगस्त 2025 को मनाई जाएगी और 6 सितंबर को अनंत चतुर्दशी पर गणपति विसर्जन के साथ इसका समापन होगा। यह दस दिवसीय पर्व खास तौर पर महाराष्ट्र में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन आज पूरे भारत में इसकी रौनक देखने को मिलती है। भक्त गणपति को घर लाते हैं और इन दस दिनों में उनकी पूजा-अर्चना कर उनसे सुख, शांति व सफलता की कामना करते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं इन दस दिनों का महत्व और प्रत्येक दिन लगाए जाने वाले भोग के बारे में।
पहला दिन: गणेश चतुर्थी
मान्यता है कि इसी दिन माता पार्वती को पुत्र स्वरूप श्री गणेश की प्राप्ति हुई थी। इसलिए इस दिन भक्त गणेश जी की प्रतिमा घर में स्थापित करते हैं और उनका षोडशोपचार पूजन करते हैं। इस दिन उनके प्रिय मोदक, लड्डू और पुरणपोली का भोग लगाया जाता हैं।
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गणेश चतुर्थी 2025
- फोटो : Adobe stock
दूसरा और तीसरा दिन
इन दोनों दिनों में प्रतिमा की विधिवत पूजा की जाती है। इस दिन भगवान गणेश को फूल, फल और नैवेद्य अर्पित किया जाता है। आमतौर पर इस समय खिचड़ी, गुड़-नारियल से बने मिठाई और व्यंजन भोग में शामिल होते हैं।
चौथा और पांचवां दिन
इन दिनों में गणेश जी के जन्म और उनके विघ्नहर्ता स्वरूप की कथाएं सुनी जाती हैं। इस दिन भक्त सामूहिक प्रार्थना कर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। भोग के लिए इन दो दिनों में रवा लड्डू और चना-नारियल के स्वादिष्ट पकवान बनाए जाते हैं।
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गणेश चतुर्थी 2025
- फोटो : freepik
छठा दिन
इसे “राजन गणपति” पूजा भी कहा जाता है। इस दिन लोग मिलकर गणपति की विशेष आराधना करते हैं। इस अवसर पर पारंपरिक भोज का आयोजन होता है। इसमें थालीपीठ, वड़ा पाव, नारियल की बर्फी और बेसन लड्डू जैसे व्यंजन शामिल होते हैं।
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