सब्सक्राइब करें

Janmashtami Puja 2022: खीरे के बिना क्यों अधूरी है कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा? जानिए क्या है मान्यता

धर्म डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: आशिकी पटेल Updated Thu, 18 Aug 2022 08:00 AM IST
विज्ञापन
Janmashtami 2022 Puja Know Why Worship of Shri Krishna Janmashtami Is Incomplete Without Cucumber
Janmashtami Puja 2022: खीरे के बिना क्यों अधूरी है कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा? - फोटो : अमर उजाला
loader
Janmashtami Puja 2022: कृष्ण जन्माष्टमी भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के साथ रोहिणी नक्षत्र में मनाई जाती है। इस दिन भगवान विष्णु ने धरती पर मौजूद लोगों को कंस के अत्याचारों से मुक्ति दिलाने के लिए कृष्ण के रूप में आठवां अवतार लिया था। हिंदू धर्म में कृष्ण जन्माष्टमी का विशेष महत्व है। भगवान श्रीकृष्ण के भक्त इस पर्व को धूमधाम से मनाते हैं। संपूर्ण विश्व में भगवान श्रीकृष्ण की लीलाएं अमर हैं। माना जाता है कि भगवान श्री कृष्ण का जन्म रात्रि में हुआ था, इसलिए कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा रात में की जाती है। इस दिन श्रृंगार, भोग के साथ बहुत सी चीजें पूजा में इस्तेमाल की जाती हैं। इसके अलावा कृष्ण जन्माष्टमी पूजा में खीरे का इस्तेमाल जरूर होता है। कहा जाता है कि खीरे के बिना श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव अधूरा माना जाता है। ऐसे में चलिए जानते हैं कि जन्माष्टमी पूजा में क्यों होता है खीरे का इस्तेमाल और क्या है इसका महत्व...  
Trending Videos
Janmashtami 2022 Puja Know Why Worship of Shri Krishna Janmashtami Is Incomplete Without Cucumber
Janmashtami Puja 2022: खीरे के बिना क्यों अधूरी है कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा? - फोटो : अमर उजाला
कृष्ण जन्माष्टमी पूजा में खीरे का महत्व
जन्माष्टमी पर लोग भगवान श्रीकृष्ण को खीरा चढ़ाते हैं। मान्यता है कि खीरे से श्रीकृष्ण प्रसन्न होते हैं और भक्तों के सारे दुख दर्द हर लेते हैं। जन्माष्टमी के दिन ऐसा खीरा लाया जाता है, जिसमें थोड़ा डंठल और पत्तियां लगी होती हैं।
विज्ञापन
विज्ञापन
Janmashtami 2022 Puja Know Why Worship of Shri Krishna Janmashtami Is Incomplete Without Cucumber
Janmashtami Puja 2022: खीरे के बिना क्यों अधूरी है कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा? - फोटो : अमर उजाला
खीरे के बिना जन्माष्टमी की पूजा क्यों रहती है अधूरी?
जन्माष्ठमी पूजा के खीरे के इस्तेमाल के पीछे की मान्यता है कि जब बच्चा पैदा होता है तब उसको मां से अलग करने के लिए गर्भनाल को काटा जाता है। ठीक उसी प्रकार से जन्माष्टमी के दिन खीरे को डंठल से काटकर अलग किया जाता है। ये भगवान श्री कृष्ण को मां देवकी से अलग करने का प्रतीक माना जाता है। ऐसा करने के बाद ही कान्हा की विधि विधान से पूजा शुरू की जाती है। 
Janmashtami 2022 Puja Know Why Worship of Shri Krishna Janmashtami Is Incomplete Without Cucumber
Janmashtami Puja 2022: खीरे के बिना क्यों अधूरी है कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा? - फोटो : iStock
ऐसे करें नाल छेदन
जन्माष्टमी के दिन खीरे को काटने की प्रक्रिया को नाल छेदन कहा जाता है। इस दिन खीरे को भगवान कृष्ण के पास रख दें। रात में जैसे ही 12 बजे यानी भगवान कृष्ण का जन्म हो, उसके तुरंत बाद एक सिक्के की मदद से खीरा और डंठल को बीच से काट दें। वहीं कान्हा के जन्म के बाद शंख जरूर बजाएं। 
विज्ञापन
Janmashtami 2022 Puja Know Why Worship of Shri Krishna Janmashtami Is Incomplete Without Cucumber
Janmashtami Puja 2022: खीरे के बिना क्यों अधूरी है कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा? - फोटो : iStock
क्या होता है इस खीरे का ?
बहुत जगह पर भगवान श्रीकृष्ण के जन्म में इस्तेमाल खीरे को प्रसाद के रूप में बांट दिया है। वहीं कुछ जगहों पर इसे नवविवाहित महिला या गर्भवती महिला को खिलाया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान श्रीकृष्ण की तरह पुत्र की प्राप्ति होती है।   
विज्ञापन
अगली फोटो गैलरी देखें
सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट अमर उजाला पर पढ़ें आस्था समाचार से जुड़ी ब्रेकिंग अपडेट। आस्था जगत की अन्य खबरें जैसे पॉज़िटिव लाइफ़ फैक्ट्स,स्वास्थ्य संबंधी सभी धर्म और त्योहार आदि से संबंधित ब्रेकिंग न्यूज़।
 
रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें अमर उजाला हिंदी न्यूज़ APP अपने मोबाइल पर।
Amar Ujala Android Hindi News APP Amar Ujala iOS Hindi News APP
विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

एप में पढ़ें

Followed