Simple ways to please Hanuman ji: हिंदू धर्म में भगवान हनुमान का स्थान अत्यंत विशेष माना जाता है। वे संकटमोचक, बल–बुद्धि–विद्या के दाता और हर भक्त के संरक्षक माने जाते हैं। ऐसा विश्वास है कि हनुमान जी की सच्चे मन से की गई उपासना जीवन की बाधाओं को दूर करती है और मनोकामनाएँ पूर्ण करती है। बावजूद इसके, कई लोग यह सोचते रहते हैं कि हनुमान जी को प्रसन्न करने का सही तरीका क्या है और उनकी पूजा किस रूप में सबसे अधिक फलदायी होती है।
हनुमान जी प्रसन्न करने के आसान उपाय जो बदल सकते हैं जीवन, जानें प्रेमानंद जी महाराज से
Hanuman Ji Remedies: जानें प्रेमानंद जी महाराज के बताए बेहद सरल और शक्तिशाली हनुमान उपाय, जिनसे दूर होंगी जीवन की परेशानियाँ और पूरी होंगी मनोकामनाएँ। जानें हनुमान जी को प्रसन्न करने का सही तरीका।
हनुमान जी को सबसे अधिक क्या प्रिय है?
एक भक्त ने प्रेमानंद जी महाराज से सवाल किया कि वह हनुमान जी की बहुत श्रद्धा से पूजा करती हैं, लेकिन उन्हें समझ नहीं आता कि हनुमान जी को प्रसन्न कैसे किया जाए और किस नाम का जाप सबसे फलदायी होता है। इस प्रश्न पर महाराज जी ने बहुत सरल लेकिन गहन उत्तर दिया। उन्होंने कहा कि जैसे हम किसी से प्रेम करते हैं तो उसकी पसंद और स्वभाव को जानने की कोशिश करते हैं, उसी प्रकार यदि हमें हनुमान जी को प्रसन्न करना है तो पहले यह समझना होगा कि उन्हें वास्तव में क्या प्रिय है।
महाराज जी ने बताया कि हनुमान जी का हृदय सदैव भगवान श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण जी की भक्ति में डूबा रहता है। उन्होंने तुलसीदास जी की पंक्ति का उल्लेख किया, “रामचरित सुनबे को रसिया, राम लखन सीता मन बसिया” जिसका अर्थ है कि हनुमान जी को राम कथा सुनना, राम नाम का स्मरण करना और सियाराम के चरित्र का चिंतन करना अत्यंत प्रिय है।
इसका सीधा अर्थ यह है कि हनुमान जी को राम नाम, राम कथा, और सीता–राम की सेवा व स्मरण सबसे ज़्यादा प्रिय है। वे स्वयं सियाराम के अनन्य भक्त हैं और जिस घर या मन में राम भक्ति होती है, वहाँ हनुमान जी बिना बुलाए भी उपस्थित रहते हैं। इसलिए हनुमान जी को प्रसन्न करने का सबसे सरल और प्रभावी उपाय है राम नाम का जाप, रामचरितमानस का पाठ और राम-कथा सुनना।
रामचरितमानस सुनना हनुमान जी को इतना प्रिय क्यों है?
प्रेमानंद महाराज ने समझाया कि हनुमान जी केवल शक्ति और भक्ति के देवता ही नहीं, बल्कि वे स्वयं भगवान श्रीराम के अनन्य भक्त हैं। उनका पूरा जीवन, मन और भावना सीता-राम के चरणों में समर्पित है। इसलिए जहां भी राम नाम का जाप होता है, रामायण का पाठ होता है या रामचरितमानस की चौपाइयां गाई जाती हैं। वहां हनुमान जी भाव-विभोर होकर स्वयं उपस्थित हो जाते हैं।
महाराज जी ने प्रसिद्ध संस्कृत श्लोक “यत्र यत्र रघुनाथ कीर्तनं…” का अर्थ बताते हुए कहा कि— जहां-जहां भगवान राम का कीर्तन होता है, वहां-वहां हनुमान जी हाथ जोड़े, आँखों में भक्ति के आँसू लिए, सम्मान और प्रेम के साथ उपस्थित होते हैं।
इसका अर्थ यह है कि हनुमान जी को राम भक्ति सुनना अत्यंत प्रिय है। जब कोई व्यक्ति रामचरितमानस का पाठ करता है या राम नाम का कीर्तन करता है, तो हनुमान जी उस स्थान पर प्रसन्न होकर आते हैं और भक्तों पर अपनी कृपा बरसाते हैं।
इसलिए यदि आप हनुमान जी को खुशी से अपने जीवन में आमंत्रित करना चाहते हैं, तो-
- राम नाम का जाप करें,
- रामकथा सुनें,
- रामचरितमानस का पाठ करें,
- भगवान राम के गुणों का स्मरण करें।
- यही भक्ति हनुमान जी को सबसे अधिक प्रिय है और इसी से वे सबसे जल्दी प्रसन्न होते हैं।
सीता–राम नाम का जप
प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि हनुमान जी को प्रसन्न करना उतना कठिन नहीं है जितना लोग समझते हैं। उनके अनुसार, हनुमान जी के लिए भारी-भरकम पूजा, जटिल विधि-विधान या कठोर व्रत की आवश्यकता नहीं होती। हनुमान जी के हृदय तक पहुंचने का रास्ता बहुत सरल और सीधा है। सीता-राम के नाम का सच्चे मन से जप।
महाराज जी बताते हैं कि अगर कोई भक्त प्रतिदिन सुबह या शाम कुछ ही मिनट निकालकर शांत मन से हनुमान जी के सामने बैठे और प्रेम से “सीता-राम, सीता-राम” का मंत्र उच्चारण करे, तो यह जप सीधा हनुमान जी के हृदय को छू लेता है। साथ ही यदि समय-समय पर भक्त रामचरितमानस की चौपाइयां पढ़े या सुने, तो यह हनुमान जी को अत्यंत प्रिय लगता है।
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