Bhagwat Geeta Padne Ke Niyam In Hindi: जिस तरह से हर धर्म का एक धार्मिक ग्रंथ होता है, उसी प्रकार से हिंदू धर्म में गीता धार्मिक ग्रंथ है। हिंदू धर्म में भगवद गीता के पाठ का बहुत महत्व माना गया है। जो लोग प्रतिदिन गीता का पाठ करते हैं और उसमें बताई गई बातों को अपने जीवन में उतार लेते हैं, वे हर बड़ी से बड़ी मुश्किल का सामना भी बहुत आसानी से कर लेते हैं। महाभारत ग्रंथ में 18 अध्याय में 700 श्लोक हैं, जिसे भगवद गीता के नाम से जाना जाता है। जब रणभूमि में अर्जुन ने अपने समक्ष सगे संबंधियों को देखा तो वे विचलित हो गए और शस्त्र उठाने से मना कर दिया। तब सारथी बने हुए भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन की आंखें खोलने के लिए उन्हें उपदेश दिए। जिसे गीता का ज्ञान कहा जाता है। गीता के पाठ का पूर्ण फल प्राप्त करने के लिए उसका पाठ नियमों के साथ करना अति आवश्यक है। तो चलिए जानते हैं गीता पढ़ने के नियम...
Bhagavad Gita: अगर करते हैं गीता का पाठ तो जान लें ये नियम, तभी मिलेगा पूर्ण फल
Gita Gyan: हिंदू धर्म में गीता को अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। गीता के अनमोल वचन मनुष्य को जीवन जीने की सही राह दिखाते हैं और इसका अनुसरण करने वाला व्यक्ति जीवन में कभी निराश नहीं होता है।
वैसे तो भगवद गीता का पाठ किसी भी समय कभी भी किया जा सकता है, परंतु इसका पूर्णफल प्राप्त करने के लिए इसे सही समय पर पढ़ा जाना आवश्यक होता है। जैसे पूजा-पाठ और जाप के लिए सुबह का समय सर्वोत्तम रहता है उसी प्रकार से गीता को भी सुबह के समय पढ़ना चाहिए।
गीता बहुत ही पवित्र ग्रंथ है। इसे कभी भी गंदे हाथों से न छुएं। सुबह उठकर स्स्नान करने के बाद ही गीता का पाठ करना चाहिए। पाठ करने से पहले चाय, कॉफी, पानी या अन्य किसी भी चीज का सेवन न करें तो ही बेहतर रहेगा। साथ ही पाठ आरंभ करने के पहले भगवान गणेश और श्री कृष्ण जी का ध्यान अवश्य करना चाहिए।
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गीता पढ़ते समय पूर्ण ध्यान लगाएं और पाठ करते समय बीच में किसी से बातचीत न करें। गीता का पाठ करने के लिए एक ऊनी आसन लें और उसी आसन पर प्रतिदिन पाठ करें। यदि आप गीता का पाठ करते हैं तो स्वयं ही उसके रख-रखाव और साफ-सफाई का ध्यान रखें। प्रतिदिन एक निश्चित समय और निश्चित स्थान पर ही गीता का पाठ करें और कम से कम जो अध्याय शुरू किया है उसे समाप्त करके ही उठें।
गीता के प्रत्येक श्लोक को पढ़ने के पश्चात सही प्रकार से उसके सार को भी समझें। गीता के पाठ को किताब तक सीमित न रखें उसे अपने जीवन में उतारने की कोशिश भी करें। तो वहीं गीता पढ़ने से पहले और बाद में गीता को माथे से लगाकर प्रणाम जरूर करें। भगवद्गीता का पाठ करने के पश्चात गीता की आरती करें और गीता पाठ करने का नियम बनाए रखें।
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): ये लेख लोक मान्यताओं पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है।