डिजिटल युग में इस्तेमाल होने वाले वो सभी इलेक्ट्रॉनिक और इलेक्ट्रिकल उपकरण, जो खराब हो चुके हों। पुराने हो गए हों या फिर जो बंद कर दिए गए हों, वे सभी E-Waste यानी की इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट होते हैं। इनमें हमारे मोबाइल, लैपटॉप, टीवी, बंद फ्रिज, वॉशिंग मशीन, चार्जर, बैटरी आदि गैजेट शामिल हैं।
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E-Waste: क्या होता है इलेक्ट्रॉनिक कचरा, साधारण वेस्ट से क्यों है कई गुना अधिक खतरनाक, कैसे किया जाता है खत्म?
टेक डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: जागृति
Updated Thu, 18 Dec 2025 12:51 PM IST
सार
Environmental Pollution: तेजी से बदलती टेक्नोलॉजी ने जहां हमारी रोज की जिंदगी को आसान बना दिया है वहीं, पुराने इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से निकलने वाला E-Waste पर्यावरण और हमारे सेहत पर बुरा असर डाल रहा है। जानिए क्या होता है E-Waste? और इसका समाधान?
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इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट का समाधान?
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तेजी से बढ़ रही ई-वेस्ट की समस्या।
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क्यों तेजी से बढ़ रही है E-Waste की समस्या?
तेजी से बदलती टेक्नोलॉजी और हर साल नए गैजेट्स की लॉन्चिंग E-Waste को बढ़ावा दे रही है। कैसे? जैसे आजकल कोई भी नया फोन या अन्य डिवाइस की लॉन्चिंग होती है। लोग नए फीचर्स के लिए पूरी तरह काम कर रहे डिवाइस को भी फेंक देते हैं। या फिर किसी कोई इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद इस तरह डिजाइन किया जाता है कि उसकी मरम्मत बहुत महंगी हो जाती है। इससे लोगों के लिए पुरानी चीजों को रिपेयर कराने के बजाय नया इलेक्ट्रॉनिक सामान खरीदना आसान विकल्प बन जाता है। जोकि लगातार ई-वेस्ट बढ़ने का कारण है।ये भी पढ़े: Silent Call Fraud: फोन उठाने पर सामने से नहीं आती आवाज? साइलेंट कॉल पर सरकार का बड़ा अलर्ट, जानें कैसे बचें
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सांकेतिक तस्वीर
- फोटो : freepik
E-Waste पर्यावरण और सेहत पर कितना खतरनाक है?
गैजेट्स में प्लास्टिक और धातु के साथ मिले लेड, मरकरी, कैडमियम व लिथियम जैसे जहरीले तत्व पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं। क्योंकि गलत तरीके से फेंका गया ई-वेस्ट मिट्टी, पानी और हवा तीनों को प्रदूषित करता है। खुले में पड़े इलेक्ट्रॉनिक कचरे जहरीले रसायन मिट्टी में घुल जाते हैं। फिर धीरे-धीरे भूजल को दूषित कर देते हैं। स्वास्थ्य के खतरे की बात करें तो ई-वेस्ट को जलाने पर उससे निकलने वाला धुंआ हवा में जहर घोलने का काम करता है। इससे पर्यावरण को तो नुकसान है ही साथ में सांस की बीमारिंया, त्वचा रोग और कैंसर जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा भी बढ़ रहा है।
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क्या है E-Waste का समाधान?
E-Waste का समाधान केवल उसे फेंकना नहीं, बल्कि वैज्ञानिक तरीके से प्रोसेस करना है। इसके लिए सबसे पहले इलेक्ट्रॉनिक कचरे और सामान्य कचरे को अलग किया जाता है। फिर अधिकृत रीसाइक्लिंग यूनिट्स में भेजा जाता हे। वहां, डिवाइस को अलग-अलग हिस्सों में तोड़ा जाता है और प्लास्टिक, कांच, धातु और सर्किट बोर्ड को अलग किया जाता है। फिर तांबा, सोना और एल्युमिनियम जैसी कीमती धातुओं को दोबारा उपयोग के लिए निकाल लिया जाता है, जबकि जहरीली पदार्थों को सुरक्षित तरीके से नष्ट कर दिया जाता है।
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क्यों जरूरी है E-Waste रीसाइक्लिंग?
E-Waste रीसाइक्लिंग पर्यावरण और स्वास्थ्य दोनों के लिए बेहद जरूरी है। इससे न सिर्फ प्रकृति की बचत होती है, बल्कि इसके संसाधनों की भी बचत होती है। इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में मौजूद कई धातुएं सीमित मात्रा में उपलब्ध हैं। इन्हें दोबारा इस्तेमाल करने से नई माइनिंग की जरूरत कम होती है। इसके अलावा इससे रोजगार के नए अवसर प्राप्त होते हैं। कचरा प्रबंधन प्रणाली भी लागू होती है। इससे अर्थव्यवस्था को लाभ मिलता है।ये भी पढ़े: Smartphones In 2026: क्या नए साल में और भी स्मार्ट बनेंगे स्मार्टफोन? जानिए कौन-सी तकनीकें लाएंगी बड़ा बदलाव