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साइंस प्रोफेसर का दावा: 2030 तक 99% लोग हो सकते हैं बेरोजगार, दफ्तर से रसोई तक राज करेंगे AI रोबोट
टेक डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: नीतीश कुमार
Updated Fri, 05 Sep 2025 06:45 PM IST
सार
AI To Bring Massive Unemployment: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अगले पांच साल में दुनिया का नक्शा बदल सकती है। कंप्यूटर से लेकर शारीरिक श्रम तक, हर काम मशीनें करने लेगेंगी। जानिए साइंस प्रोफेसर ने एआई के प्रभाव को लेकर क्या दावा किया है...
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2030 तक बड़ा बदलाव ला सकता है एआई
- फोटो : AI
सोचिए, अगर आने वाले कुछ वर्षों में हमारी जानी-पहचानी लगभग हर नौकरी गायब हो जाए। इसकी वजह न युद्ध होगा, न महामारी और न ही आर्थिक संकट, बल्कि वजह होंगी मशीनें जो हमसे बेहतर काम करने लगेंगी!

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तेजी से विकसित हो रहे हैं एआई रोबोट
- फोटो : AI
5 साल में एआई के हवाले होगी किस्मत
उन्होंने कहा कि सबसे पहले, कंप्यूटर पर किया जाने वाला हर काम ऑटोमेट हो जाएगा, उसके बाद आएंगे ह्यूमनॉइड रोबोट जिन्हें आने में शायद सिर्फ पांच साल ही लगेंगे। इसका मतलब है कि 2030 तक शारीरिक श्रम भी पूरी तरह मशीनों के हवाले हो सकता है।
यहीं वे एक ऐसा आंकड़ा बताते हैं जो रोंगटे खड़े कर देता है। यह आंकड़ा बेरोजगारी का है। उनका अनुमान है कि यह बेरोजगारी का ऐसा स्तर होगा, जैसा इंसानी इतिहास में कभी नहीं देखा गया। दुनियाभर में बेरोजगारी 10% या 20% नहीं, बल्कि 99 फीसदी तक हो जाएगी। इससे अर्थव्यवस्था हिल जाएगी और इंसानी नौकरियां लगभग पूरी तरह खत्म हो सकती हैं।
उन्होंने कहा कि सबसे पहले, कंप्यूटर पर किया जाने वाला हर काम ऑटोमेट हो जाएगा, उसके बाद आएंगे ह्यूमनॉइड रोबोट जिन्हें आने में शायद सिर्फ पांच साल ही लगेंगे। इसका मतलब है कि 2030 तक शारीरिक श्रम भी पूरी तरह मशीनों के हवाले हो सकता है।
यहीं वे एक ऐसा आंकड़ा बताते हैं जो रोंगटे खड़े कर देता है। यह आंकड़ा बेरोजगारी का है। उनका अनुमान है कि यह बेरोजगारी का ऐसा स्तर होगा, जैसा इंसानी इतिहास में कभी नहीं देखा गया। दुनियाभर में बेरोजगारी 10% या 20% नहीं, बल्कि 99 फीसदी तक हो जाएगी। इससे अर्थव्यवस्था हिल जाएगी और इंसानी नौकरियां लगभग पूरी तरह खत्म हो सकती हैं।
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मजदूरों की जगह ले सकते हैं एआई रोबोट
- फोटो : X
श्रम आधारित काम पर भी होगा रोबोट्स का कब्जा
यामपोल्स्की कहते हैं कि फिर भी लोग इसे गंभीरता से नहीं ले रहे। वे याद करते हैं कि एक बार उन्होंने अपने उबर ड्राइवर से पूछा, “क्या तुम्हें सेल्फ-ड्राइविंग कारों से डर लगता है?” ड्राइवर ने हंसते हुए जवाब दिया, “कोई मेरी तरह गाड़ी नहीं चला सकता।” प्रोफेसर ने कहा कि प्लंबर, रसोइये सब यही सोचते हैं कि उन्हें कोई रिप्लेस नहीं कर सकता, लेकिन ऐसा सोचना हास्यास्पद है। क्योंकि एआई अब हर क्षेत्र में तेजी से पैर पसार रहा है।
उनका मानना है कि दशक के अंत तक रोबोट न सिर्फ कार चला सकेंगे बल्कि खाना बना सकेंगे, पाइप ठीक कर सकेंगे, और यहां तक कि कक्षाएं और स्टूडियो भी संभाल सकेंगे। आज जो दुनिया हमें सामान्य लगती है, वह कल पूरी तरह अजनबी सी हो सकती है।
लेकिन यामपोल्स्की जोर देते हैं कि खतरा सिर्फ नौकरी खोने से नहीं है। वे मानते हैं कि AI अपार संपत्ति बना सकता है, बिना इंसानी श्रम के वस्तुएं और सेवाएं पैदा कर सकता है और इससे यूनिवर्सल बेसिक इनकम (UBI) जैसी योजनाएं अस्तित्व में आ सकती हैं। मगर असली समस्या पैसों की नहीं होगी।
यामपोल्स्की कहते हैं कि फिर भी लोग इसे गंभीरता से नहीं ले रहे। वे याद करते हैं कि एक बार उन्होंने अपने उबर ड्राइवर से पूछा, “क्या तुम्हें सेल्फ-ड्राइविंग कारों से डर लगता है?” ड्राइवर ने हंसते हुए जवाब दिया, “कोई मेरी तरह गाड़ी नहीं चला सकता।” प्रोफेसर ने कहा कि प्लंबर, रसोइये सब यही सोचते हैं कि उन्हें कोई रिप्लेस नहीं कर सकता, लेकिन ऐसा सोचना हास्यास्पद है। क्योंकि एआई अब हर क्षेत्र में तेजी से पैर पसार रहा है।
उनका मानना है कि दशक के अंत तक रोबोट न सिर्फ कार चला सकेंगे बल्कि खाना बना सकेंगे, पाइप ठीक कर सकेंगे, और यहां तक कि कक्षाएं और स्टूडियो भी संभाल सकेंगे। आज जो दुनिया हमें सामान्य लगती है, वह कल पूरी तरह अजनबी सी हो सकती है।
लेकिन यामपोल्स्की जोर देते हैं कि खतरा सिर्फ नौकरी खोने से नहीं है। वे मानते हैं कि AI अपार संपत्ति बना सकता है, बिना इंसानी श्रम के वस्तुएं और सेवाएं पैदा कर सकता है और इससे यूनिवर्सल बेसिक इनकम (UBI) जैसी योजनाएं अस्तित्व में आ सकती हैं। मगर असली समस्या पैसों की नहीं होगी।

खाली समय से परेशान होंगे लोग
- फोटो : AI
खो सकता है जीवन का मकसद
यामपोल्स्की कहते हैं, "काम सिर्फ तनख्वाह नहीं देता, यह इंसान को पहचान, गर्व और जीवन जीने का मकसद भी देता है। जब यह छिन जाएगा, लोग खोए-खोए रहने लगेंगे। असली मुश्किल ये होगी कि इतनी फुर्सत का क्या करेंगे? और जब नौकरी ही नहीं होगी, तो वे खुद को कौन मानेंगे?"
प्रोफेसर की चेतावनी सिर्फ भविष्यवाणी नहीं है, बल्कि आने वाले कल का आईना है। और उनके पीछे छोड़ा गया सवाल और भी डरावना है- जब नौकरियां नहीं रहेंगी, तब हम क्या करेंगे? और सबसे बड़ी बात- हम तब कौन होंगे?
यामपोल्स्की कहते हैं, "काम सिर्फ तनख्वाह नहीं देता, यह इंसान को पहचान, गर्व और जीवन जीने का मकसद भी देता है। जब यह छिन जाएगा, लोग खोए-खोए रहने लगेंगे। असली मुश्किल ये होगी कि इतनी फुर्सत का क्या करेंगे? और जब नौकरी ही नहीं होगी, तो वे खुद को कौन मानेंगे?"
प्रोफेसर की चेतावनी सिर्फ भविष्यवाणी नहीं है, बल्कि आने वाले कल का आईना है। और उनके पीछे छोड़ा गया सवाल और भी डरावना है- जब नौकरियां नहीं रहेंगी, तब हम क्या करेंगे? और सबसे बड़ी बात- हम तब कौन होंगे?