{"_id":"693920dbaaba1457d20b8f7f","slug":"social-media-exposure-impacts-children-neurodevelopment-confirming-adhd-symptoms-long-term-study-2025-12-10","type":"photo-gallery","status":"publish","title_hn":"Social Media Effect: न्यूरो-डेवलपमेंटल रिपोर्ट में खुलासा, सोशल मीडिया से बच्चों की कंसंट्रेशन पावर हुई कम","category":{"title":"Tech Diary","title_hn":"टेक डायरी","slug":"tech-diary"}}
Social Media Effect: न्यूरो-डेवलपमेंटल रिपोर्ट में खुलासा, सोशल मीडिया से बच्चों की कंसंट्रेशन पावर हुई कम
टेक डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: जागृति
Updated Wed, 10 Dec 2025 07:18 PM IST
सार
Effects of Social Media On Brain: नई स्टडी में पाया गया है कि फेसबुक, इंस्टाग्राम और स्नैपचैट जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का अत्यधिक उपयोग बच्चों के दिमागी विकास पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है। लगातार स्क्रॉलिंग और नोटिफिकेशंस बच्चों में ADHD जैसे लक्षणों का खतरा बढ़ा रहे हैं।
विज्ञापन
सांकेतिक तस्वीर
- फोटो : freepik
इंटरनेट और स्मार्टफोन के आने के बाद सोशल मीडिया हर उम्र के लोगों की जिंदगी का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है। अब यह सिर्फ एक मनोरंजन का साधन नहीं रहा, बल्कि लोगों की दिनचर्या, व्यवहार और सोच को गहराई से प्रभावित कर रहा है। एक स्टडी में सामने आया कि यह प्रभाव बच्चों के लिए बेहद नुकसानदायक है। रिसर्च कहती है कि सोशल मीडिया एप्स बच्चों के दिमागी विकास को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहे हैं।
Trending Videos
सांकेतिक तस्वीर
- फोटो : freepik
अत्यधिक सोशल मीडिया से दिमागी विकास पर असर
सोशल मीडिया से दिमाग पर क्या प्रभाव पड़ता है? इसे लेकर अमेरिका में एक रिसर्च की गई। जिसमें हजारों बच्चों को शामिल किया गया। रिपोर्ट में सोशल मीडिया पर ज्यादा वक्त बिताने वाले बच्चों में ध्यान कम होने, बेचैनी और उतावलेपन जैसे लक्षण सामने आए। जोकि ADHD का संकेत हो सकता है। शोधकर्ता बताते हैं कि छोटी उम्र में बच्चों के दिमाग का विकास चल रहा होता है। ऐसे में डिजिटल डिस्ट्रैक्शन का असर और गंभीर हो जाता है।
विज्ञापन
विज्ञापन
सांकेतिक तस्वीर
- फोटो : freepik
ADHD क्या है ?
ADHD यानी Attention Deficit Hyperactivity Disorder। यह एक न्यूरो-डेवलपमेंटल डिसऑर्डर है जिसमें बच्चा एक जगह बैठ नहीं पाता है। किसी चीज पर फोकस नहीं कर पाता और लगातार बेचैन रहता है। छोटे-छोटे कामों पर भी उसका ध्यान जल्दी भटक जाता है। स्टडी में सामने आया कि सोशल मीडिया का अत्यधिक उपयोग इन लक्षणों को बढ़ाने में भूमिका निभा रहा है।रिसर्च टीम ने बच्चों की रोजाना डिजिटल एक्टिविटी का मूल्यांकन भी किया है। जिसमें पाया कि जो बच्चे दो से तीन घंटे टीवी या वीडियो देखते हैं, घंटो सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं और घंटो तक वीडियो गेम खेलते हैं, उनमें एडीएसडी जैसे लक्षण ट्रिगर करते हैं।
ये भी पढ़े: Australia: ऑस्ट्रेलिया में सोशल मीडिया पर आज से लगा प्रतिबंध, अब इस उम्र के बच्चे अब नहीं कर पाएंगे इस्तेमाल
सांकेतिक तस्वीर
- फोटो : freepik
नोटिफिकेशंस सबसे बड़ा खतरा
स्वीडन के Karolinska Institute और Oregon Health & Science University ने मिलकर शोध किया। रिसर्चर्स ने बताया कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के नोटिफिकेशंस बच्चों के दिमाग की फोकस करने की क्षमता को सबसे अधिक प्रभावित करते हैं। अचानक आने वाले एक नोटिफिकेशन बच्चे के दिमाग को उसके काम के फोकस से हटाता है और दूसरे एप की ओर ले जाता हे। प्रोफेसर टॉर्केल क्लिंगबर्ग के अनुसार, सोशल मीडिया बाकी डिजिटल मीडिया से बिल्कुल अलग तरह दिमाग में हस्तक्षेप पैदा करता है।
विज्ञापन
सांकेतिक तस्वीर
- फोटो : freepik
स्टडी के अनुसार, नौ साल की उम्र में बच्चे सोशल मीडिया पर लगभग 30 मिनट बिताते हैं, लेकिन 13 साल की उम्र तक यह समय बढ़कर 2.5 घंटे हो जाता है। यह इसलिए भी चिंताजनक है क्याेंकि ज्यादातर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अकाउंट बनाने की न्यूनतम उम्र 13 साल निर्धारित की गई है। जबकि बच्चे पहले ही इससे प्रभावित हो रहे हैं।
रिसर्च का कहना है कि यह सिर्फ स्क्रीन टाइम नहीं है। यह एप्स का डिजाइन, नोटिफिकेशन, अपडेट्स और अनंत स्क्रॉलिंग बच्चों के दिमाग पर दबाव बनाते है। यह संरचनात्मक प्रभाव बच्चे की क्षमता, ध्यान और मानसिक संतुलन पर सीधा असर डालता है।
रिसर्च का कहना है कि यह सिर्फ स्क्रीन टाइम नहीं है। यह एप्स का डिजाइन, नोटिफिकेशन, अपडेट्स और अनंत स्क्रॉलिंग बच्चों के दिमाग पर दबाव बनाते है। यह संरचनात्मक प्रभाव बच्चे की क्षमता, ध्यान और मानसिक संतुलन पर सीधा असर डालता है।