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EV Battery: भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की क्रांति! 2032 तक कई गुना बढ़ जाएगी बैटरी की मांग, रिपोर्ट में दावा

टेक डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: सुयश पांडेय Updated Fri, 12 Dec 2025 03:14 PM IST
सार

भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग लगातार बढ़ रही है और नई रिपोर्ट इसे ऑटो सेक्टर के लिए बड़े बदलाव का संकेत माना जा रहा है। CES की रिपोर्ट के अनुसार, ईवी बैटरी की मांग 2025 के 17.7 GWh से बढ़कर 2032 में 256.3 GWh तक पहुंच सकती है।
 

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India’s EV Battery Demand to Surge by 14x by 2032: New Report Predicts Massive Market Expansion
एक नई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि आने वाले 7 वर्षों में भारत में ईवी बैटरियों की मांग में 'जबरदस्त' वृद्धि देखने को मिलेगी। (सांकेतिक तस्वीर) - फोटो : Freepik
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India EV Battery Market: भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) की रफ्तार अब थमने वाली नहीं है। पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों और सरकार की नीतियों के चलते देश में इलेक्ट्रिक गाड़ियों का बाजार तेजी से बड़ा हो रहा है। एक नई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि आने वाले 7 वर्षों में भारत में ईवी बैटरियों की मांग में 'जबरदस्त' वृद्धि देखने को मिलेगी। 'कस्टमाइज्ड एनर्जी सॉल्यूशंस' (CES) की जारी रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में ईवी बैटरी की मांग 2025 के 17.7 गीगावाट-घंटे (GWh) से बढ़कर 2032 तक 256.3 GWh तक पहुंचने का अनुमान है।

ऑटोमोबाइल सेक्टर में बड़े बदलाव का संकेत

रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले सात वर्षों में भारत के बैटरी बाजार में 35% की सालाना वृद्धि दर (CAGR) देखने को मिलेगी। यह भारतीय ऑटोमोबाइल सेक्टर में एक बहुत बड़े बदलाव का संकेत है। इस ग्रोथ के पीछे मुख्य कारण हैं:

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  • ईंधन की बढ़ती कीमतें
  • ग्राहकों की बढ़ती मांग
  • नई इलेक्ट्रिक कारों और स्कूटरों की लॉन्चिंग
  • सरकार के जरिए मिल रहा मजबूत पॉलिसी सपोर्ट

 

सस्ती और लंबी रेंज वाली बैटरियां बदलेंगी खेल

कस्टमाइज्ड एनर्जी सॉल्यूशंस के मैनेजिंग डायरेक्टर विनायक वालिंबे का कहना है कि बैटरी टेक्नोलॉजी में हो रहे नए आविष्कार भारत की ईवी क्रांति के केंद्र में हैं। LFP Gen 4 (लिथियम आयरन फॉस्फेट) और 'सोडियम-आयन' जैसी तकनीक सिर्फ अपग्रेड नहीं हैं, बल्कि गेम-चेंजर हैं। इन नई बैटरियों की मदद से इलेक्ट्रिक वाहन अब पहले से ज्यादा सस्ते, सुरक्षित और लंबी रेंज वाले हो सकेंगे। LFP Gen 4 सेल अब ज्यादा ऊर्जा (300 Wh/kg से अधिक) स्टोर कर सकते हैं, जिससे गाड़ियां सिंगल चार्ज में ज्यादा दूर तक जा सकेंगी।

चीन बन सकता है राह में रोड़ा

रिपोर्ट में भारत के सामने खड़ी कुछ चुनौतियों के बारे में भी आगाह किया गया है। चीन ने ग्रेफाइट और बैटरी बनाने की तकनीक के निर्यात पर कड़े नियंत्रण लगा दिए हैं। इससे भारत में गीगा-फैक्ट्री (विशाल बैटरी फैक्ट्री) बनाने की रफ्तार धीमी हो सकती है। भारत के पास बैटरी बनाने के लिए जरूरी खनिजों के सीमित भंडार हैं। बैटरी मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगाने के लिए शुरुआत में बहुत भारी पूंजी की जरूरत होती है। रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि अगर भारत को बैटरी निर्माण में आत्मनिर्भर बनना है, तो सरकार को सही नीतियों और निवेश के जरिए इन चुनौतियों का समाधान जल्द निकालना होगा।

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