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Flight: 1 घंटे में पहुंच जाएंगे दिल्ली से अमेरिका! ध्वनि की रफ्तार से 10 गुना ज्यादा स्पीड पर उड़ेंगे विमान
टेक डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: नीतीश कुमार
Updated Sun, 16 Nov 2025 12:50 PM IST
सार
Hypersonic Flight Study: हाइपरसोनिक उड़ान की दिशा में वैज्ञानिकों ने एक अहम कदम बढ़ाया है। Mach 10 यानी ध्वनि की गति से 10 गुना तेज उड़ने वाले विमानों की तकनीक अब पहले से ज्यादा संभव दिख रही है। यह प्रगति अंतरराष्ट्रीय यात्रा और स्पेस एक्सेस दोनों को बदल सकती है।
अगर कभी Mach 10 स्पीड हासिल करना संभव हो गया, तो दुनिया भर की हवाई यात्रा का स्वरूप पूरी तरह बदल सकता है। जिस सफर में आज 15 घंटे लगते हैं, वही दूरी भविष्य में एक घंटे से भी कम समय में पूरी हो सकती है। उदाहरण के तौर पर, दिल्ली से न्यू यॉर्क की मौजूदा 12,000 Km लंबी हावाई यात्रा केवल एक घंटे में पूरी हो सकती है। यानी अगर आप फ्लाइट में टेकऑफ के दौरान मूवी देखना शुरू करते हैं तो मूवी खत्म होने से पहले आप अमेरिका पहुंच जाएंगे।
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Mach 10 की रफ्तार हासिल करेंगे एयरक्राफ्ट
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Mach 10 की रफ्तार पर उड़ेंगे एयरक्राफ्ट
आज कुछ मिलिट्री एयरक्राफ्ट Mach 2 या Mach 3 तक की स्पीड से उड़ सकते हैं, लेकिन Mach 10 का लक्ष्य बहुत आगे है। Mach 1 यानी लगभग 760 मील प्रति घंटा। Mach 10 पर उड़ने वाले विमान को बेहद तेज गर्मी और टर्बुलेंस का सामना करना पड़ेगा, जो फिलहाल सबसे बड़ी चुनौती है।
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नई स्टडी में हुए खुलासे
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नई स्टडी में हुए अहम खुलासे
न्यू जर्सी के स्टीवन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी ने हाइपरसॉनिक विमानों पर एक स्टडी पेश की है। इस स्टडी में हाइपरसॉनिक विमानों के लिए जरूरी डिजाइन और एयरफ्लो के बारे में बताया गया है। स्टडी के मुताबिक हाइपरसॉनिक स्पीड पर एयरफ्लो का व्यवहार पूरी तरह बदल जाता है। कम स्पीड पर हवा की डेंसिटी लगभग स्थिर रहती है, लेकिन तेज रफ्तार पर हवा दबती है, गर्म होती है और इसका घनत्व बदल जाता है। इसी वजह से लिफ्ट, ड्रैग और थ्रस्ट जैसे एरोडायनामिक फैक्टर भी बदल जाते हैं।
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ध्वनि से 10 गुना ज्यादा होगा रफ्तार
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क्या है Mach 10 का मतलब?
ज्यादातर कमर्शियल फ्लाइट Mach 0.6-0.9 की रफ्तार पर उड़ते हैं। यानी इन विमानों की अधिकतम रफ्तार 735 से 1,102 किमी/घंटा तक होती है। हवा में ध्वनी की रफ्तार 1,235 किमी/घंटा तक मापी गई है। Mach 10 रफ्तार में उड़ने वाले विमानों की रफ्तार 12,000 किमी/घंटा से भी अधिक होगी। ये ध्वनी की रफ्तार से लगभग 10 गुना ज्यादा है।
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किफायती होगी अंतरिक्ष यात्रा
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किफायती होगी अंतरिक्ष यात्रा
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर हाइपरसोनिक प्लेन व्यावहारिक रूप से तैयार हो जाते हैं, तो यह पृथ्वी पर यात्रा ही नहीं बल्कि अंतरिक्ष तक पहुंचने के तरीके भी बदल देगा। यह तकनीक अंतरिक्ष में जाने के लिए रॉकेट की जगह हाइपरसोनिक विमानों का उपयोग संभव बना सकती है और कम समय में धरती से अंतरिक्ष की यात्रा करने का सपना साकार हो जाएगा।
इस तरह की प्रगति लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) तक सामान और लोगों को लाने-ले जाने को बेहद आसान और किफायती बना सकती है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, यह धरती से अंतरिक्ष और एक देश से दूसरे देश दोनों प्रकार की यात्रा को बदल कर रख देगी।
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