आपमें से शायद ही कोई ऐसा होगा जिसके पास मोबाइल फोन नहीं होगा। आपके पास फोन है तो उसमें किसी ना किसी कंपनी का सिम कार्ड भी होगा, लेकिन आपका यही सिम कार्ड आपको एक दिन कंगाल बना सकता है। हाल ही में मुंबई के एक कारोबारी के फोन पर रात में 6 मिस्ड कॉल आए और 1.86 करोड़ रुपये की चपत लग गई। यह सब सिम स्वैपिंग यानि सिम बदलने के कारण हुआ। कारोबारी के खाते से ये रकम 28 अलग-अलग खातों में ट्रांसफर कर दी गई। ये धोखाधड़ी एक ही रात में कर दी गई। आइए इस पूरे खेल को विस्तार से समझते हैं और यह भी जानते हैं कि इससे बचने का तरीका क्या है।
आपका सिम कार्ड ही आपको बना सकता है कंगाल, समझें पूरा गणित
इस तरह के मामलों में किसी शख्स के सिम कार्ड को ब्लॉक करने की रिक्वेस्ट डाली जाती है। जैसे ही सिम कार्ड ब्लॉक होता है, वित्तीय धोखाधड़ी करने के लिए नई सिम के जिरिये किसी लेन-देन के लिए वन टाइम पासवर्ड (OTP) की रिक्वेस्ट डाल दी जाती है। फिर जैसे ही ओटीपी आता है, उसकी मदद से एक खाते से अन्य खातों में पैसा ट्रांसफर करने जैसे लेन-देन किए जाते हैं। इन दिनों ज्यादातर लेन-देन ऑनलाइन या फिर डिजिटल माध्यम से होता है। चूंकि लोगों की अधिकतर जानकारियां ऑनलाइन उपलब्ध होती हैं। ऐसे में धोखाधड़ी करने वाले लोग इसका फायदा उठाते हैं और सिम स्वैपिंग के माध्यम से ठगी करते हैं। अगली स्लाइड में जानें कैसे होती है सिम स्वैपिंग।
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कैसे होता है सिम स्वैप
साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट एडवोकेट प्रशांत माली ने बीबीसी को बताया कि किस तरह से सिम स्वैपिंग की जाती है और इससे बचाव के रास्ते क्या हैं। वो कहते हैं- 2011 के बाद से इस तरह के अपराध बढ़े हैं। सिम स्वैपिंग सिर्फ एक शख्स नहीं करता बल्कि इस तरह के काम में कई लोग शामिल रहते हैं। संगठित गिरोह इसे अंजाम देते हैं। साइबर एंड लॉ फाउंडेशन की आंतरिक रिसर्च से पता चला है कि 2018 में ही इस तरीके से भारत में 200 करोड़ रुपये उड़ा लिए गए।
जो लोग इस तरह के अपराधों के शिकार होते हैं, वे पढ़े-लिखे होते हैं लेकिन सुरक्षा को लेकर वो सजग नहीं होते। ऐसे में इसका खामियाजा भी उन्हें भुगतना पड़ता है। अलग-अलग तरह के मीडिया, सोशल मीडिया के जरिये पहले तो आप पर नज़र रखी जाती है और आपकी जानकारियां जुटाई जाती हैं। कई बार आपको किसी अनजान नंबर से कॉल आती है और जानकारी ली जाती हैं।
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कई बार फिशिंग लिंक भी भेजे जाते हैं जिनमें आपको क्लिक करके अपनी प्राइवेट इन्फर्मेशन भरने के लिए कहा जाता है। कई बार ये धोखेबाज बैकों के डेटाबेस को भी खरीद लेती हैं। जैसे ही उनके पास आपकी जानकारियां आती हैं, वे आपके नाम का फर्जी आईडी कार्ड बना सकते हैं और उसकी मदद से टेलिकॉम कंपनियों को सिम ब्लॉक करने की रिक्वेस्ट डाल सकते हैं। कई बार वे वायरस या मैलवेयर की मदद से भी जानकारियां जुटाते हैं।