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देहरादून आपदा: सहारनपुर के चार लोगों की नहीं आई कोई खबर, परिजनों की आंखों में बेबसी और दिल में डर
अमर उजाला नेटवर्क, सहारनपुर
Published by: मोहम्मद मुस्तकीम
Updated Thu, 18 Sep 2025 12:18 AM IST
सार
Saharanpur News: जिले से चार मजदूर सात सितंबर को मजदूरी करने देहरादून गए थे। देहरादून में बादल फटने की घटना के बाद से लापता हैं। परिजनों को उनके बारे में कुछ पता नहीं चल पा रहा है। उनके पास इंतजार करने के अलावा कोई चारा नहीं है।
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लापता श्यामलाल, मिथुन, विकास और धर्मेंद्र।
- फोटो : अमर उजाला
देहरादून में बादल फटने की घटना में लापता हुए मीरपुर के चार मजूदरों के परिजन पथराई आंखों से उनके सुरक्षित लौटने की राह देख रहे हैं। हादसे को 40 घंटे से ज्यादा का वक्त बीत चुका है, लेकिन उनकी कोई खबर नहीं मिल सकी है। घर के पुरुष सदस्य उनकी तलाश में देहरादून के प्रभावित क्षेत्र में डेरा जमाए हुए हैं।


गांव मीरपुर में गमजदा धर्मेंद्र की पत्नी, मां और अन्य परिजन।
- फोटो : अमर उजाला
रसूलपुर कलां ग्राम पंचायत के मजरे मीरपुर निवासी मिथुन, उसके चाचा श्यामलाल, धर्मेंद्र और विकास सात सितंबर को घर से देहरादून के माल देवता में पत्थर तुड़ाई के काम पर निकले थे। परिजनों ने बताया कि उन्हें गंदेवड़ा गांव का एक ठेकेदार अपने साथ ले गया था। बादल फटने की घटना के बाद परिजन कुछ ग्रामीणों के साथ देहरादून पहुंचे थे, लेकिन कोई पता नहीं चला। बुधवार को फिर से ग्राम प्रधान के पति सुशील उपाध्याय के साथ परिजन देहरादून पहुंचे, लेकिन देर शाम तक भी किसी का पता नहीं चल सका था।
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गांव मीरपुर में अपने घर पर मौजूद विकास की बहन और अन्य परिजन।
- फोटो : अमर उजाला
मिथुन की बेटियां पूछती हैं, कब आएंगे पिता और बाबा
लापता हुए श्यामलाल और मिथुन सगे चाचा भतीजे हैं। श्यामलाल की कोई संतान नहीं है। मिथुन की पत्नी ने बताया कि श्यामलाल ही उनके ससुर की तरह हैं। मिथुन के पांच बेटियां हैं। बेटा कोई नहीं है। सबसे बड़ी साक्षी 15 साल और सबसे छोटी मात्र डेढ़ साल की है। उस मासूम को तो पता भी नहीं कि उसके पिता हादसे में लापता हो गए हैं। परिवार के दो लोगों के लापता होने के बाद यहां रिश्तेदारों तथा पड़ोसियों की भीड़ लगी थी। हर कोई उन्हें दिलासा दे रहा है। बेटियां मां से हर वक्त पूछती रहती हैं कि पिता और बाबा कब लौटेंगे, लेकिन इसका जवाब किसी के पास नहीं।
पहली बार काम पर घर से बाहर गया था विकास
लापता हुआ विकास छह भाई बहनों में दूसरे नंबर का है। छोटी बहन आरती ने बताया कि वह पहली बार ही घर से बाहर मजदूरी पर गया था। बरसात में यहां काम नहीं मिलता है। ऐसे में गांव के अन्य लोगों के साथ उसने भी देहरादून जाने की जिद की, जिस पर इच्छा न होने के बाद भी घरवालों ने उसे भेज दिया। जब से भाई के लापता होने की खबर मिली है हर कोई परेशान है।
लापता हुए श्यामलाल और मिथुन सगे चाचा भतीजे हैं। श्यामलाल की कोई संतान नहीं है। मिथुन की पत्नी ने बताया कि श्यामलाल ही उनके ससुर की तरह हैं। मिथुन के पांच बेटियां हैं। बेटा कोई नहीं है। सबसे बड़ी साक्षी 15 साल और सबसे छोटी मात्र डेढ़ साल की है। उस मासूम को तो पता भी नहीं कि उसके पिता हादसे में लापता हो गए हैं। परिवार के दो लोगों के लापता होने के बाद यहां रिश्तेदारों तथा पड़ोसियों की भीड़ लगी थी। हर कोई उन्हें दिलासा दे रहा है। बेटियां मां से हर वक्त पूछती रहती हैं कि पिता और बाबा कब लौटेंगे, लेकिन इसका जवाब किसी के पास नहीं।
पहली बार काम पर घर से बाहर गया था विकास
लापता हुआ विकास छह भाई बहनों में दूसरे नंबर का है। छोटी बहन आरती ने बताया कि वह पहली बार ही घर से बाहर मजदूरी पर गया था। बरसात में यहां काम नहीं मिलता है। ऐसे में गांव के अन्य लोगों के साथ उसने भी देहरादून जाने की जिद की, जिस पर इच्छा न होने के बाद भी घरवालों ने उसे भेज दिया। जब से भाई के लापता होने की खबर मिली है हर कोई परेशान है।

गांव मीरपुर में मिथुन और श्यामलाल के गमजदा परिजन।
- फोटो : अमर उजाला
हादसे वाली रात धर्मेंद्र ने बताया था बाहर निकलने में भी है खतरा
लापता धर्मेंद्र की पत्नी बबीता ने बताया कि पति से हादसे वाली रात आठ बजे बात हुई थी। उस वक्त उन्होंने बताया था कि बारिश हो रही है और जिस जगह वह ठहरे हुए हैं, वहां बाहर पानी बह रहा है। यहां स्थिति ठीक नहीं है। बाहर निकलने में भी खतरा है। तब बबीता ने कहा था कि कल घर वापस आ जाओ, लेकिन रात में यह हादसा हो गया। धर्मेंद्र की दो बेटियां सात साल की छवि और नौ साल की मिष्ठी है। पिता की दस साल पहले मौत हो चुकी है। परिवार में अकेला कमाने वाला वही है।
देहरादून में मजदूरी करता था संभल का मोनू
देहरादून में बादल फटने की घटना के बाद मंगलवार देर शाम क्षेत्र की हथिनीकुंड चौकी के गांव अकबरपुर बांस घाट पर यमुना नदी में एक महिला का शव बहकर आया। बुधवार की सुबह फिर से घाट पर एक युवक की लाश उतराती दिखाई दी।
पुलिस ने बताया कि देहरादून पुलिस द्वारा भेजे गए पहचान पत्र के आधार पर महिला की पहचान सुंदरी (35) निवासी मुरादाबाद के रूप में हुई थी, लेकिन उसके परिजनों के सहारनपुर पोस्टमार्टम हाउस पर शव को देखकर बताया कि यह सुंदरी नहीं है। हालांकि इस हादसे के बाद सुंदरी का भी कोई पता नहीं चल रहा। जबकि युवक के शव की पहचान उसके परिजनों द्वारा मोनू पुत्र राजेंद्र निवासी गांव फिरोजपुर थाना गढ़ी, जिला संभल के रूप में की गई। वह हरबर्टपुर देहरादून में मजदूरी करता था।
लापता धर्मेंद्र की पत्नी बबीता ने बताया कि पति से हादसे वाली रात आठ बजे बात हुई थी। उस वक्त उन्होंने बताया था कि बारिश हो रही है और जिस जगह वह ठहरे हुए हैं, वहां बाहर पानी बह रहा है। यहां स्थिति ठीक नहीं है। बाहर निकलने में भी खतरा है। तब बबीता ने कहा था कि कल घर वापस आ जाओ, लेकिन रात में यह हादसा हो गया। धर्मेंद्र की दो बेटियां सात साल की छवि और नौ साल की मिष्ठी है। पिता की दस साल पहले मौत हो चुकी है। परिवार में अकेला कमाने वाला वही है।
देहरादून में मजदूरी करता था संभल का मोनू
देहरादून में बादल फटने की घटना के बाद मंगलवार देर शाम क्षेत्र की हथिनीकुंड चौकी के गांव अकबरपुर बांस घाट पर यमुना नदी में एक महिला का शव बहकर आया। बुधवार की सुबह फिर से घाट पर एक युवक की लाश उतराती दिखाई दी।
पुलिस ने बताया कि देहरादून पुलिस द्वारा भेजे गए पहचान पत्र के आधार पर महिला की पहचान सुंदरी (35) निवासी मुरादाबाद के रूप में हुई थी, लेकिन उसके परिजनों के सहारनपुर पोस्टमार्टम हाउस पर शव को देखकर बताया कि यह सुंदरी नहीं है। हालांकि इस हादसे के बाद सुंदरी का भी कोई पता नहीं चल रहा। जबकि युवक के शव की पहचान उसके परिजनों द्वारा मोनू पुत्र राजेंद्र निवासी गांव फिरोजपुर थाना गढ़ी, जिला संभल के रूप में की गई। वह हरबर्टपुर देहरादून में मजदूरी करता था।