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Ludhiana News: केएमएम की बड़ी मांगों पर बनी सहमति, 22 दिसंबर को चंडीगढ़ में अगली बैठक
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संवाद न्यूज एजेंसी
अमृतसर। किसान-मज़दूर मोर्चा (केएमएम) की ओर से बिजली संशोधन बिल के खिलाफ चलाए जा रहे संघर्ष के बीच पंजाब सरकार ने अपनी लंबी चुप्पी तोड़ दी है। चंडीगढ़ में मोर्चे के नेताओं और सरकार के बीच 19 दिसंबर को करीब 9 घंटे चली बैठक में मुख्यमंत्री ने स्पष्ट रूप से कहा कि सरकार इस बिल का विरोध करती है।
18 और 19 दिसंबर को पंजाब भर के डीसी कार्यालयों पर मोर्चों की कार्रवाई तथा 20 दिसंबर से रेल रोको आंदोलन की घोषणा के बीच यह बैठक आयोजित की गई। बैठक में सरकार की ओर से एसपीएस परमार (लॉ एंड ऑर्डर), अरशदीप सिंह थिंद (कृषि एवं किसान कल्याण), बसंत गर्ग (पावर) और सोनाली गिरी (राजस्व एवं पुनर्वास) मौजूद रहे।
केएमएम नेताओं ने कहा कि 5 दिसंबर के सांकेतिक रेल रोको आह्वान और 10 दिसंबर को प्रीपेड मीटर हटाकर बिजली जमा करने के कार्यक्रम को मिली व्यापक जनता की भागीदारी ने ही सरकार को बोलने के लिए मजबूर किया। उन्होंने विधानसभा सत्र में बिजली संशोधन बिल के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने की मांग भी की।
सामान की भरपाई के लिए समिति बनाने पर सहमति
बैठक में शंभू और खनौरी मोर्चों पर चोरी हुए ट्रॉलियों व अन्य सामान की भरपाई के लिए समिति बनाने पर सहमति बनी। समिति के सदस्यों के नामों पर आपत्तियों के चलते इस विषय पर 22 दिसंबर को अगली बैठक में चर्चा होगी। केएमएम नेताओं ने बताया कि बाढ़-पीड़ितों को मुआवजा तुरंत जारी करने, फसलों के 100% नुकसान पर 70 हजार रुपये तथा खेत मज़दूरों के लिए अतिरिक्त 10% मुआवजा देने पर भी सरकार ने सहमति जताई। नेताओं ने यह भी कहा कि विधानसभा सत्र में बिजली बिल के अलावा बीज बिल, अमेरिका समेत विभिन्न देशों के फ्री ट्रेड समझौते, मनरेगा योजना समाप्त करना, मजदूरों के श्रम कानून और ‘एक राष्ट्र-एक पंजीकरण’ जैसे निर्णयों के खिलाफ भी प्रस्ताव पारित किए जाने चाहिए।
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अमृतसर। किसान-मज़दूर मोर्चा (केएमएम) की ओर से बिजली संशोधन बिल के खिलाफ चलाए जा रहे संघर्ष के बीच पंजाब सरकार ने अपनी लंबी चुप्पी तोड़ दी है। चंडीगढ़ में मोर्चे के नेताओं और सरकार के बीच 19 दिसंबर को करीब 9 घंटे चली बैठक में मुख्यमंत्री ने स्पष्ट रूप से कहा कि सरकार इस बिल का विरोध करती है।
18 और 19 दिसंबर को पंजाब भर के डीसी कार्यालयों पर मोर्चों की कार्रवाई तथा 20 दिसंबर से रेल रोको आंदोलन की घोषणा के बीच यह बैठक आयोजित की गई। बैठक में सरकार की ओर से एसपीएस परमार (लॉ एंड ऑर्डर), अरशदीप सिंह थिंद (कृषि एवं किसान कल्याण), बसंत गर्ग (पावर) और सोनाली गिरी (राजस्व एवं पुनर्वास) मौजूद रहे।
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केएमएम नेताओं ने कहा कि 5 दिसंबर के सांकेतिक रेल रोको आह्वान और 10 दिसंबर को प्रीपेड मीटर हटाकर बिजली जमा करने के कार्यक्रम को मिली व्यापक जनता की भागीदारी ने ही सरकार को बोलने के लिए मजबूर किया। उन्होंने विधानसभा सत्र में बिजली संशोधन बिल के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने की मांग भी की।
सामान की भरपाई के लिए समिति बनाने पर सहमति
बैठक में शंभू और खनौरी मोर्चों पर चोरी हुए ट्रॉलियों व अन्य सामान की भरपाई के लिए समिति बनाने पर सहमति बनी। समिति के सदस्यों के नामों पर आपत्तियों के चलते इस विषय पर 22 दिसंबर को अगली बैठक में चर्चा होगी। केएमएम नेताओं ने बताया कि बाढ़-पीड़ितों को मुआवजा तुरंत जारी करने, फसलों के 100% नुकसान पर 70 हजार रुपये तथा खेत मज़दूरों के लिए अतिरिक्त 10% मुआवजा देने पर भी सरकार ने सहमति जताई। नेताओं ने यह भी कहा कि विधानसभा सत्र में बिजली बिल के अलावा बीज बिल, अमेरिका समेत विभिन्न देशों के फ्री ट्रेड समझौते, मनरेगा योजना समाप्त करना, मजदूरों के श्रम कानून और ‘एक राष्ट्र-एक पंजीकरण’ जैसे निर्णयों के खिलाफ भी प्रस्ताव पारित किए जाने चाहिए।