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पुराने डेनिम से गढ़ी नई कहानी: छात्राओं ने रद्दी में देखी फैशन की चमक
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मोहाली। कमरे के एक कोने में बिखरे पड़े पुराने डेनिम के टुकड़े… कहीं जेब का हिस्सा, कहीं घुटनों से फटी जींस का पैबंद। आमतौर पर ये कूड़े में चले जाते, लेकिन फेज-6 स्थित नॉर्दर्न इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी (निफ्ट) के फैशन डिजाइन विद्यार्थियों ने इनमें फैशन का भविष्य देख लिया।
पिछले दस दिनों से ये विद्यार्थी पुराने डेनिम के ढेर से कपड़ों के टुकड़े चुन रहे हैं। उन्हें जोड़ते, उधेड़ते, फिर नए रूप में गढ़ते हैं। फैशन डिजाइन विभाग की प्रमुख नवदीप कौर के मार्गदर्शन में चल रहे इस प्रोजेक्ट में 40 विद्यार्थी शामिल हैं। शुरुआत में उन्होंने अपकमिंग फैशन ट्रेंड्स की रिसर्च की, फिर पुराने डेनिम सोर्स किए। धीरे-धीरे स्केच बने, मूडबोर्ड बने, पेपर पैटर्न तैयार हुए और सिलाई की मशीनें गूंज उठीं। हर दिन कुछ नया सीखने, असफल होकर फिर कोशिश करने का सिलसिला चलता रहा और अब यही मेहनत जल्द एक रनवे शो पर चमकने वाली है, जहां ये अपसाइक्ल्ड परिधान पहली बार दुनिया के सामने आएंगे।
हर परिधान में एक कहानी
- ‘द हिडन आइडेंटिटी’ (मेहक): डेनिम स्क्रैप्स को जोड़कर बनाए गए परिधान, जिन पर पेंटेड चेहरे और कंकाल की आकृतियां हैं। ये दिखाते हैं कि इंसान की असली पहचान अक्सर परतों के नीचे छिपी होती है।
-‘द लॉस्ट कनेक्शन’ (निष्ठा): ब्लॉक प्रिंटिंग की तकनीक जो चीन से भारत आई थी, उस भूली-बिसरी कड़ी को फिर जोड़ने की कोशिश की जा रही है।
-‘द ब्लैक फ्लावर ऑफ काबुल’ (मनकीरत कौर): अफगान महिलाओं पर सामाजिक बंधनों और उनके साहस को कपड़ों के जरिए बयान करती थीम।
‘रेगालिया इन रोगन आर्ट’ (पलक श्रीवास्तव): पारंपरिक रोगन कला को सुनहरी सजावट के रूप में फैशन में पिरोना।
-‘नूर-ए-कलम’ (इशिका): कलमकारी कला से प्रेरित आधुनिक व पारंपरिक लुक का मेल।
जब फैशन खूबसूरत दिखने की चीज नहीं रहा
आज फैशन सिर्फ खूबसूरत दिखने की चीज नहीं रहा, बल्कि पृथ्वी के संसाधनों को बचाने का जरिया भी बन सकता है। हम चाहते थे कि छात्र फैशन को महज ग्लैमर नहीं बल्कि बदलाव का साधन मानें। पुराने कपड़ों को नया रूप देकर उन्होंने दिखाया कि रचनात्मकता और जिम्मेदारी साथ-साथ चल सकती हैं। - नवदीप कौर, प्रमुख, डिजाइन विभाग

पिछले दस दिनों से ये विद्यार्थी पुराने डेनिम के ढेर से कपड़ों के टुकड़े चुन रहे हैं। उन्हें जोड़ते, उधेड़ते, फिर नए रूप में गढ़ते हैं। फैशन डिजाइन विभाग की प्रमुख नवदीप कौर के मार्गदर्शन में चल रहे इस प्रोजेक्ट में 40 विद्यार्थी शामिल हैं। शुरुआत में उन्होंने अपकमिंग फैशन ट्रेंड्स की रिसर्च की, फिर पुराने डेनिम सोर्स किए। धीरे-धीरे स्केच बने, मूडबोर्ड बने, पेपर पैटर्न तैयार हुए और सिलाई की मशीनें गूंज उठीं। हर दिन कुछ नया सीखने, असफल होकर फिर कोशिश करने का सिलसिला चलता रहा और अब यही मेहनत जल्द एक रनवे शो पर चमकने वाली है, जहां ये अपसाइक्ल्ड परिधान पहली बार दुनिया के सामने आएंगे।
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हर परिधान में एक कहानी
- ‘द हिडन आइडेंटिटी’ (मेहक): डेनिम स्क्रैप्स को जोड़कर बनाए गए परिधान, जिन पर पेंटेड चेहरे और कंकाल की आकृतियां हैं। ये दिखाते हैं कि इंसान की असली पहचान अक्सर परतों के नीचे छिपी होती है।
-‘द लॉस्ट कनेक्शन’ (निष्ठा): ब्लॉक प्रिंटिंग की तकनीक जो चीन से भारत आई थी, उस भूली-बिसरी कड़ी को फिर जोड़ने की कोशिश की जा रही है।
-‘द ब्लैक फ्लावर ऑफ काबुल’ (मनकीरत कौर): अफगान महिलाओं पर सामाजिक बंधनों और उनके साहस को कपड़ों के जरिए बयान करती थीम।
‘रेगालिया इन रोगन आर्ट’ (पलक श्रीवास्तव): पारंपरिक रोगन कला को सुनहरी सजावट के रूप में फैशन में पिरोना।
-‘नूर-ए-कलम’ (इशिका): कलमकारी कला से प्रेरित आधुनिक व पारंपरिक लुक का मेल।
जब फैशन खूबसूरत दिखने की चीज नहीं रहा
आज फैशन सिर्फ खूबसूरत दिखने की चीज नहीं रहा, बल्कि पृथ्वी के संसाधनों को बचाने का जरिया भी बन सकता है। हम चाहते थे कि छात्र फैशन को महज ग्लैमर नहीं बल्कि बदलाव का साधन मानें। पुराने कपड़ों को नया रूप देकर उन्होंने दिखाया कि रचनात्मकता और जिम्मेदारी साथ-साथ चल सकती हैं। - नवदीप कौर, प्रमुख, डिजाइन विभाग