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Banswara News: बांसवाड़ा जिले में कई सरकारी स्कूल खस्ताहाल, स्कूली मैदान में चल रहीं कक्षाएं
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, बांसवाड़ा
Published by: बांसवाड़ा ब्यूरो
Updated Fri, 25 Jul 2025 01:36 PM IST
सार
झालावाड़ में स्कूल भवन गिरने से पांच बच्चों की मौत के बाद बांसवाड़ा जिले में भी कई खस्ताहाल स्कूल भवनों को लेकर चिंता बढ़ गई है। कई विद्यालयों में जर्जर भवनों के कारण मंदिर और खुले मैदान में पढ़ाई कराई जा रही है। शिक्षा विभाग की ओर से मरम्मत के प्रस्ताव उच्चाधिकारियों को भेजे जा रहे हैं।
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राजकीय विद्यालय भौमपाड़ा में मैदान में बैठकर पढ़ाई करते विद्यार्थी।
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
राजस्थान की झालावाड़ जिले के मनोहरपुर के समीप पीपलोदी गांव में स्कूल भवन देने से पांच बच्चों की मौत हो गई। ऐसा ही खतरा आदिवासी बहुल बांसवाड़ा जिले के विभिन्न ब्लॉक में स्थित राजकीय विद्यालयों पर मंडरा रहा है। खस्ताहाल भवन होने के कारण कुछ जगह मंदिर में तो कई जगह स्कूली मैदान में ही कक्षाएं संचालित की जा रही हैं।
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प्रतिवर्ष शिक्षा विभाग की ओर से जुलाई में सत्र आरंभ होने के साथ ही राज्य स्तर पर सभी जिला शिक्षा अधिकारियों के नाम एक पत्र जारी कर औपचारिकता पूरी की जाती है कि क्षतिग्रस्त और खस्ताहाल भवन में बच्चों को नहीं बिठाएं। जबकि विभाग को जिला स्तर से सूचना दी जाती है कि भवन जर्जर है और मरम्मत की आवश्यकता है, लेकिन इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है। इस बार भी 2 जुलाई को राजस्थान के सभी संयुक्त निदेशक कोई संबंध में पत्र जारी कर औपचारिकता पूरी कर ली।
पीईईओ से मांगे प्रमाण पत्र
इस बार शिक्षा विभाग ने पंचायत स्तर पर उच्च माध्यमिक विद्यालय के संस्था प्रधान (पीईईओ) से अपने अधीन प्राथमिक से लेकर उच्च माध्यमिक स्तर तक के विद्यालयों के भवन सुरक्षा प्रमाण पत्र भी मांगे थे। जिसके बाद पीईईओ की ओर से विद्यालय का अवलोकन कर रिपोर्ट भी समग्र शिक्षा अभियान के अतिरिक्त जिला परियोजना समन्वयक को भेजी गई है।
बांसवाड़ा में स्कूलों के ऐसे हैं हालात
बांसवाड़ा जिले में कई स्कूलों के भवन खस्ताहाल हैं और इनमें बच्चों को बिठाना खतरे से खाली नहीं है। जिले में राजकीय प्राथमिक विद्यालय खेड़लीपाड़ा, कोठरियापाड़ा, गुलाबपुरा, हंडियापाड़ा, राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय घाटोल में कक्षा पहली से आठवीं तक के बच्चों को बिठाने वाले कक्षा कक्ष, डूंगरीपाड़ा, संस्कृत विद्यालय घाटीपाड़ा सहित कई स्थानों पर स्कूल बच्चों को बिठाने के योग्य नहीं हैं। ऐसे स्कूलों में राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय पडोली गोवर्धन, राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय पीथीयाखेड़ी, जेदला, राजकीय प्राथमिक शिक्षाकर्मी विद्यालय निचलापाड़ा, राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय बिजौर, सागथली, भूखियापाड़ा आदि भी सम्मिलित हैं।
मैदान और मंदिर में स्कूल संचालन की मजबूरी
विद्यालय भवन जर्जर होने के कारण कुछ स्थानों पर स्कूली मैदान में और समीप मंदिर में कक्षाओं का संचालन करने की भी मजबूरी बनी हुई है। जिले के घाटोल ब्लॉक के अमरथुन नोडल के राजकीय प्राथमिक विद्यालय आंबापाड़ा को हस्तिनापुर मंदिर प्रांगण में एक टीनशेड के नीचे संचालित किया जा रहा है। खेड़लीपाड़ा, कोठरियापाड़ा, गुलाबपुरा, हंडियापाड़ा आदि जगह खुले मैदान में बच्चों को बिठाकर शिक्षक पढ़ाई कराते हैं। बारिश होने की स्थिति में बच्चों की छुट्टी कर दी जाती है।
प्रस्ताव उच्चाधिकारियों को भेजेंगे
इस संबंध में अतिरिक्त जिला परियोजना समन्वयक विनोद राठौड़ ने कहा कि स्कूल भवनों की जानकारी संकलित की गई है। इन विद्यालय की मरम्मत एवं नवनिर्माण की आवश्यकता से संबंधित प्रस्ताव उच्चाधिकारियों को प्रेषित किए जाएंगे, ताकि भविष्य में किसी प्रकार की दिक्कत नहीं हो।