Rajasthan News: वंदे मातरम का सम्मान, शहीदों का अपमान! जूते पहन अमर जवान ज्योति पर चढ़े भाजपा नेता-कार्यकर्ता
जयपुर के अमर जवान ज्योति स्थल पर जूते-चप्पल पहनकर नेता और कार्यकर्ता पहुंच गए। उन्होंने नियमों की अनदेखी की। लोगों ने इस कार्य की आलोचना की है।
विस्तार
वंदे मातरम गीत के 150 वर्ष पूर्ण होने पर केंद्र सरकार द्वारा देशभर में आयोजित कार्यक्रमों के क्रम में गुरुवार शाम राजधानी जयपुर में मशाल जुलूस निकाला गया। यह कार्यक्रम वंदे मातरम के सम्मान को समर्पित था, लेकिन जुलूस के दौरान बीजेपी नेताओं और कार्यकर्ताओं द्वारा अमर जवान ज्योति स्थल पर जूते-चप्पल पहनकर पहुंचने से विवाद खड़ा हो गया।
अमर जवान ज्योति, जहां मुख्यमंत्री, मंत्री, जनप्रतिनिधि और आमजन परंपरानुसार जूते उतारकर शहीदों को नमन करते हैं, वहां जुलूस में शामिल कई नेता, कार्यकर्ता और बच्चे सीधे मंच पर चढ़ गए। इस दौरान तैनात गार्ड वीरेंद्र सिंह ने उन्हें रोकने की कोशिश की, लेकिन भीड़ ने उनकी बात नहीं मानी और आगे बढ़ गई।
वंदे मातरम @150 कार्यक्रम की राज्य स्तरीय तैयारियों के तहत यह मशाल जुलूस डॉ. अंबेडकर सर्किल से रवाना होकर अमर जवान ज्योति पहुंचा, जहां इसका समापन हुआ। आयोजन के संयोजक, बीजेपी प्रदेश मंत्री भूपेंद्र सैनी ने दावा किया कि जुलूस में हजारों लोगों की भागीदारी रही, जबकि मौके पर 100-125 से अधिक लोग दिखाई नहीं दिए, जिनमें पार्टी कार्यकर्ताओं की संख्या लगभग 25-30 ही थी। बाकी बच्चे एसएमएस स्टेडियम से ही सीधे जुलूस में शामिल हुए।
जब सह संयोजक प्रीति शर्मा से जूते पहनकर स्थल पर चढ़ने के संबंध में पूछताछ की गई, तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। वहीं, बाद में संयोजक भूपेंद्र सैनी ने दावा किया कि वे अमर जवान ज्योति पर चढ़े ही नहीं और सड़क पर खड़े थे। हालांकि तस्वीरों में साफ दिखाई देता है कि सैनी, प्रीति शर्मा और अन्य नेता-कार्यकर्ता जूते-चप्पलों सहित स्मारक स्थल पर मौजूद थे। आरोप है कि सैनी ने बाद में मीडिया प्रतिनिधियों को धमकाने की भी कोशिश की।
यह भी पढ़ें- Rajasthan Crime: एटीएस के शिकंजे में आया मौलवी, तहरीक-ए-तालिबान के साथ चार साल से जुड़े थे तार
स्मारक पर तैनात गार्ड वीरेंद्र सिंह ने बताया कि उन्होंने लोगों को रोकने का प्रयास किया, पर भीड़ अधिक होने के कारण वह रोक नहीं पाए। गार्ड के अनुसार, अमर जवान ज्योति स्थल पर जूते-चप्पल पहनकर जाना मना है, लेकिन नेताओं और कार्यकर्ताओं ने नियमों की अनदेखी की।
वंदे मातरम के महत्व और शहीदों के सर्वोच्च बलिदान को याद करते हुए निकाले गए कार्यक्रम में इस तरह की लापरवाही ने विरोधी प्रतिक्रिया को जन्म दिया है। आलोचकों का कहना है कि राष्ट्रवाद का दावा करने वाली पार्टी के नेताओं द्वारा शहीदों के सम्मान में हुई कथित गलती कई सवाल खड़े करती है।
यह भी पढ़ें- मातम से फीकी पड़ी CA बनने की खुशी: 'बेटी का रिजल्ट आने के बाद ही आऊंगा', एक दिन पहले ही टूट गईं पिता की सांसें