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Aravalli: जोधपुर में अरावली बचाने को लेकर NSUI का प्रदर्शन, कलेक्ट्रेट पर हंगामा; रविंद्र भाटी क्या बोले?

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जोधपुर Published by: जोधपुर ब्यूरो Updated Mon, 22 Dec 2025 09:24 PM IST
सार

Aravalli Conservation Protest: अरावली संरक्षण को लेकर जोधपुर में विरोध तेज हुआ। एनएसयूआई ने कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया, वहीं विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने अरावली को उत्तर-पश्चिम भारत की लाइफ लाइन बताते हुए सरकार से मजबूत पैरवी और पर्यावरण संरक्षण की मांग की।

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NSUI protests in Jodhpur to save Aravalli range, commotion at Collectorate; Ravindra Bhati reacts
जोधपुर में अरावली बचाने को लेकर विरोध-प्रदर्शन - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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अरावली पर्वतमाला के संरक्षण को लेकर जोधपुर में सोमवार को विरोध तेज नजर आया। नए आदेश और 100 मीटर ऊंचाई की व्याख्या को लेकर युवाओं और सामाजिक संगठनों में रोष दिखा। इसी सिलसिले में एनएसयूआई ने जिला कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया, वहीं निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने अरावली को उत्तर-पश्चिम भारत की “लाइफ लाइन” बताते हुए केंद्र और राज्य सरकार से मजबूत पैरवी की मांग की।

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कलेक्ट्रेट पर एनएसयूआई का जोरदार प्रदर्शन
अरावली पर्वतमाला को बचाने की मांग को लेकर एनएसयूआई के कार्यकर्ता बड़ी संख्या में जिला कलेक्ट्रेट पहुंचे। कार्यकर्ताओं ने धरना दिया और नारेबाजी करते हुए प्रशासन पर उदासीनता का आरोप लगाया। उनका कहना था कि नए आदेशों से प्राकृतिक संतुलन बिगड़ने का खतरा बढ़ गया है, जिससे जल संकट और पर्यावरणीय समस्याएं गंभीर हो सकती हैं।
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धरने के दौरान बढ़ा तनाव, पुलिस ने संभाली स्थिति
प्रदर्शन के दौरान कुछ एनएसयूआई कार्यकर्ता कलेक्ट्रेट पर लगे बैरिकेड्स पर चढ़ गए, जिससे मौके पर तनाव की स्थिति बन गई। पुलिस ने सतर्कता बरतते हुए कार्यकर्ताओं को बैरिकेड्स से नीचे उतारा और स्थिति को नियंत्रण में लिया। इसके बाद प्रदर्शन शांतिपूर्ण तरीके से आगे बढ़ा।
 
ज्ञापन सौंपकर जताई चिंताएं
प्रदर्शन के बाद एनएसयूआई के प्रतिनिधिमंडल ने जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। कार्यकर्ताओं ने बताया कि अरावली उत्तर-पश्चिम भारत के पर्यावरणीय संतुलन, वर्षा चक्र, जल संरक्षण और भूजल रिचार्ज की जीवनरेखा है। यह पर्वतमाला राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली-एनसीआर को मरुस्थलीकरण से बचाने में अहम भूमिका निभाती है।


 
अरावली को कमजोर करने से भविष्य पर खतरा
एनएसयूआई कार्यकर्ताओं का कहना था कि 100 मीटर से कम ऊंचाई वाली पहाड़ियों को संरक्षण से बाहर करने की व्याख्या से अरावली का बड़ा हिस्सा कानूनी सुरक्षा से वंचित हो जाएगा। इससे अवैध खनन और अंधाधुंध निर्माण को बढ़ावा मिलेगा, जो जैव विविधता, ग्रामीण आजीविका और नदियों के उद्गम क्षेत्रों के लिए गंभीर खतरा है।

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सर्किट हाउस में भाटी ने जताई चिंता
जोधपुर प्रवास के दौरान सर्किट हाउस में युवाओं से मुलाकात करते हुए विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने कहा कि अरावली का करीब 90 प्रतिशत हिस्सा राजस्थान से होकर गुजरता है और यह गुजरात से लेकर रायसीना हिल तक रेगिस्तान को रोकने की प्राकृतिक ढाल है। उन्होंने कहा कि अरावली केवल पहाड़ नहीं, बल्कि एक सभ्यता और संस्कृति है, जिस पर मौजूदा फैसलों से संकट के बादल मंडरा रहे हैं।
 
100 मीटर के मानदंड पर उठाए सवाल
रविंद्र सिंह भाटी ने कहा कि 100 मीटर को लेकर आया नया निर्णय माफियाओं के लिए रेड कारपेट बिछाने जैसा है। इससे प्रदेशभर में आक्रोश है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने मजबूती से पैरवी नहीं की तो लोगों को सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। उन्होंने यह भी कहा कि अरावली का मुद्दा किसी राजनीतिक दल का नहीं, बल्कि आमजन और आने वाली पीढ़ियों से जुड़ा है।



यह भी पढ़ें- Rajasthan News: अरावली संरक्षण को लेकर राज्यभर में प्रदर्शन, उदयपुर में कांग्रेस कार्यकर्ताओं की पुलिस से झड़प
 
मनरेगा के नाम परिवर्तन पर भी दी प्रतिक्रिया
मनरेगा का नाम बदलने से जुड़े बिल पर भाटी ने कहा कि नाम बदलने से अधिक जरूरी योजना का धरातल पर सही तरीके से लागू होना है। यदि इम्प्लीमेंटेशन पर फोकस किया जाए तो जनता को ज्यादा लाभ मिलेगा। उन्होंने जोर दिया कि योजनाओं की सफलता कागजों से नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर तय होती है।
 
विधायकों के कथित वीडियो पर जांच की मांग
विधायकों के पैसे लेने से जुड़े वीडियो मामले पर रविंद्र सिंह भाटी ने कहा कि पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और जो भी लोग इसमें शामिल हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि कमेटी का फैसला सार्वजनिक होना जरूरी है, ताकि बेवजह सवालों के घेरे में आए निर्दोष लोगों की स्थिति स्पष्ट हो सके।

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