जोधपुर स्थित जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय में मंगलवार को उस समय हंगामे की स्थिति बन गई, जब कुलपति पवन कुमार शर्मा के साथ कथित रूप से धक्का-मुक्की और मारपीट की घटना सामने आई। इस घटना के बाद विश्वविद्यालय परिसर में अफरातफरी मच गई और प्रशासनिक व पुलिस महकमे में हलचल तेज हो गई।
कुलपति का पक्ष: शांति वार्ता के दौरान हमला
कुलपति पवन कुमार शर्मा ने बताया कि वे विश्वविद्यालय परिसर में चल रहे पेंशनर्स के आंदोलन के दौरान आंदोलनकारियों से शांति वार्ता करने पहुंचे थे। बातचीत के दौरान अचानक दो वृद्ध व्यक्तियों ने उनके साथ धक्का-मुक्की की, जिससे वे नीचे गिर गए। गिरने के बाद उनके साथ मारपीट की गई, जिससे उनके पैर में गंभीर चोट आई और मुंह से खून निकलने लगा। मौके पर मौजूद कर्मचारियों ने तुरंत उन्हें संभाला और प्राथमिक उपचार दिलवाया गया, जिसके बाद उन्हें मथुरादास माथुर अस्पताल में भर्ती कराया गया।
चोट की स्थिति और चिकित्सकीय जांच
कुलपति के घुटनों में गंभीर चोट आई है। डॉक्टरों के अनुसार एक्स-रे और अन्य चिकित्सकीय जांच के बाद ही यह स्पष्ट हो पाएगा कि चोट फ्रैक्चर में तब्दील हुई है या नहीं। फिलहाल कुलपति का उपचार डॉक्टरों की निगरानी में जारी है।
पुलिस जांच की तैयारी
घटना की सूचना मिलते ही भगत की कोठी थाना पुलिस विश्वविद्यालय परिसर पहुंची। एसीपी छवि शर्मा ने बताया कि थाना अधिकारी राजीव भादू के साथ मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया गया है। हालांकि अभी तक किसी भी पक्ष की ओर से थाने में लिखित रिपोर्ट दर्ज नहीं करवाई गई है। पुलिस का कहना है कि रिपोर्ट मिलने के बाद तथ्यों के आधार पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
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आंदोलनकारियों का मारपीट से इनकार
वहीं, आंदोलन कर रहे पेंशनर्स और कर्मचारियों ने कुलपति पर लगाए गए आरोपों को खारिज किया है। आंदोलनकारियों का कहना है कि उन्होंने किसी भी तरह की धक्का-मुक्की या मारपीट नहीं की। उनके अनुसार कुलपति बातचीत के दौरान संतुलन बिगड़ने से स्वयं गिर गए थे, जिससे उन्हें चोट आई। आंदोलनकारियों ने यह भी आरोप लगाया कि पूरे मामले को अनावश्यक रूप से तूल दिया जा रहा है।
लंबे समय से लंबित पेंशन का मुद्दा
आंदोलनकारियों का कहना है कि वे लंबे समय से पेंशन और अन्य लंबित मांगों को लेकर संघर्ष कर रहे हैं। इससे पहले भी 92 दिनों तक धरना दिया गया था, लेकिन केवल आश्वासन मिला और पेंशन का भुगतान नहीं हुआ। इसी कारण उन्हें दोबारा आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ा।