Rajasthan News: परंपरा को तोड़ बेटियों ने मां की अर्थी को दिया कंधा, निभाया अंतिम संस्कार का फर्ज
Nagaur News: नागौर जिले में 55 वर्षीय संतोष देवी के निधन पर उनकी पांच बेटियों ने मां की अर्थी को कंधा देकर समाज को नई दिशा दी। बेटियों की इस पहल ने परंपरा को चुनौती देते हुए नारी सशक्तिकरण की मिसाल पेश की।
विस्तार
नागौर जिले के भाकरोद गांव में एक भावनात्मक और प्रेरक दृश्य देखने को मिला, जब 55 वर्षीय संतोष देवी के निधन के बाद उनकी पांच बेटियों ने परंपरागत मान्यताओं को तोड़ते हुए मां की अर्थी को कंधा दिया और अंतिम संस्कार की सभी रस्में निभाईं। यह घटना न केवल पारिवारिक एकजुटता का प्रतीक बनी, बल्कि समाज में महिलाओं की बदलती भूमिका का सशक्त संदेश भी दे गई।
मां की याद में भावुक हुईं बेटियां
परिजनों के अनुसार, संतोष देवी एक साधारण किसान महिला थीं, जिनका जीवन खेती-बाड़ी और परिवार की सेवा में बीता। उनके कोई बेटा नहीं था, सिर्फ पांच शादीशुदा बेटियां हैं, जो अलग-अलग स्थानों पर रहती हैं। अचानक तबीयत बिगड़ने पर उन्हें पहले स्थानीय अस्पताल और फिर जोधपुर रेफर किया गया, जहां इलाज के दौरान शनिवार को उनका निधन हो गया। मां की मौत की खबर मिलते ही सभी बेटियां गांव पहुंचीं। अंतिम संस्कार के समय जब अर्थी को कंधा देने का प्रश्न आया, तो बेटियों ने बिना झिझक खुद आगे बढ़कर यह जिम्मेदारी संभाली।
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परंपरा को चुनौती देने वाली मिसाल
गांव में परंपरा रही है कि अर्थी को केवल पुरुष सदस्य कंधा देते हैं, लेकिन बेटों के अभाव में बेटियों ने इस प्रथा को तोड़ा। बड़ी बेटी ने कहा कि मां ने हमेशा हमें बेटों से कम नहीं समझा। आज हमने वही दिखाया है कि बेटियां हर जिम्मेदारी निभा सकती हैं। अन्य बेटियों ने भी भावुक होकर कहा कि यह कदम उनकी मां की अंतिम इच्छा को पूरा करने का तरीका था। ग्रामीणों ने बेटियों के इस साहसिक कार्य की सराहना करते हुए कहा कि यह दृश्य समाज को सोचने पर मजबूर कर देगा।
गांव में और सोशल मीडिया पर सराहना
घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया। लोग बेटियों की इस पहल को नारी सशक्तिकरण की मिसाल बता रहे हैं। कई यूजर्स ने लिखा कि यह दृश्य समाज में बदलाव की दिशा में एक बड़ा कदम है। गांव के बुजुर्गों ने भी स्वीकार किया कि आज बेटियां हर क्षेत्र में आगे हैं और परंपराओं को नई दिशा दे रही हैं। भाकरोद गांव के श्मशान घाट पर हुए अंतिम संस्कार में सैकड़ों ग्रामीण मौजूद रहे, जिन्होंने संतोष देवी को श्रद्धांजलि दी।
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