{"_id":"685918c4f69af193080b1957","slug":"inspirational-female-dentist-dr-rachna-agarwal-from-bulandshahr-doing-free-treatment-for-poor-2025-06-23","type":"feature-story","status":"publish","title_hn":"तुमसे है उजाला: बुलंदशहर की 'डेंटल दीदी' ने चलाई ऐसी मुहिम, लोग कहने लगे हैं 'फरिश्ता'","category":{"title":"Shakti","title_hn":"शक्ति","slug":"shakti"}}
तुमसे है उजाला: बुलंदशहर की 'डेंटल दीदी' ने चलाई ऐसी मुहिम, लोग कहने लगे हैं 'फरिश्ता'
लाइफस्टाइल डेस्क, अमर उजाला
Published by: शिवानी अवस्थी
Updated Mon, 23 Jun 2025 02:35 PM IST
विज्ञापन
सार
चिकित्सा के क्षेत्र में डॉ. रचना अग्रवाल वो नाम हैं, जो अपने क्लीनिक से समाज सेवा कर रही हैं। दंत चिकित्सक रचना अग्रवाल जरूरतमंदों का मुफ्त इलाज करती हैं और झुग्गी-बस्तियों में टूथब्रश एवं टूथपेस्ट वितरित कर लोगों को ओरल हेल्थ के प्रति जागरूक करती हैं।

डाॅ रचना अग्रवाल
- फोटो : dr rachna agarwal
विस्तार
उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के छोटे-से शहर खुर्जा से ताल्लुक रखने वाली डॉ. रचना अग्रवाल सिर्फ एक दंत चिकित्सक नहीं, बल्कि समाज की सच्ची सेविका भी हैं। वह न सिर्फ जरूरतमंदों का मुफ्त इलाज करती हैं, बल्कि झुग्गी-बस्तियों में टूथब्रश और टूथपेस्ट वितरित कर लोगों को ओरल हेल्थ के प्रति जागरूक भी करती हैं। रचना का मानना है कि दांतों की देखभाल केवल उपचार तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि लोगों को उनकी खराब आदतों के दुष्परिणाम भी जानने चाहिए।
विज्ञापन

Trending Videos
अपनी प्रैक्टिस के शुरुआती दिनों में रचना ने देखा कि कई मरीज गुटखा, तंबाकू और सिगरेट की लत के कारण दांतों की गंभीर समस्याओं से जूझ रहे हैं। ऐसे में रचना ने सिर्फ उनका इलाज करना पर्याप्त नहीं समझा, बल्कि हर मरीज को नशे से होने वाले नुकसान के बारे में जागरूक करना शुरू कर दिया। वह मरीजों को संयम से समझातीं कि मुंह न खुल पाना, जलन, सफेद दाग आदि कैंसर के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं। वह यह भी कहतीं कि जो पैसा लोग नशे पर खर्च करते हैं, वो बच्चों की पढ़ाई या घर की जरूरतों में काम आ सकता है। रचना बताती हैं, “कई लोग मेरी बात मानते हैं और नशे से दूर हो जाते हैं तो कई लोग मुझे बिल्कुल नजरअंदाज कर देते हैं।”
विज्ञापन
विज्ञापन
लोगों की सेवा करने का सपना
रचना के लिए दंत चिकित्सक बनाना और लोगों की सेवा करना एक ऐसे सपने जैसा था, जिसके पूरे होने की संभावना न के बराबर थी। असल में, रचना एक ऐसे परिवार से ताल्लुक रखती हैं, जहां बेटियों को ज्यादा नहीं पढ़ाया जाता। अगर पढ़ाया भी जाता है तो अधिकतम 12वीं तक और उसके बाद शादी। रचना ने भी अपने जीवन की इस नियति को स्वीकार कर रखा था। हालांकि मन में एक ख्वाहिश थी, लेकिन उसे जुबा पर लाना उनके लिए बहुत मुश्किल था।
वह बताती हैं, “10वीं की परीक्षा मैंने बहुत अच्छे अंकों से उत्तीर्ण की। मुझे बहुत खुशी हुई और मैंने साइंस स्ट्रीम से आगे की पढ़ाई पूरी करने का फैसला किया। हालांकि डॉक्टर बनने ख्याल तब भी मेरे दिमाग में नहीं था। 12वीं में भी मेरे बहुत अच्छे नंबर आए। मुझे लगा, बस अब यही अंत है, लेकिन एक दिन अचानक पापा ने मुझसे कहा कि चलो मेरठ चलना है। मेडिकल में एडमिशन लेने के लिए तुम्हें कोचिंग दिलवानी है। मैंने यह ख्वाब में भी नहीं सोचा था। बस उस दिन से मेरी जिंदगी बदल गई। मैंने कोचिंग ली, एंट्रेंस पास किया, कॉलेज में एडमिशन लिया और अपनी ग्रेजुएशन पूरी की। इसके बाद पोस्ट ग्रेजुएशन कर डेंटिस्ट बन गई। खुशकिस्मती से मेरी शादी भी एक डेंटिस्ट से ही हुई। आज हम दोनों मिलकर लोगों को ओरल हेल्थ के प्रति जागरूक कर रहे हैं।”
रचना के समझाने से लोगों ने छोड़ा गुटखा
रचना कहती हैं, “मैं अपने क्लीनिक में आ रहे लोगों को समझाती हूं। कई बार मरीजों की पत्नियां या परिवारजन आकर बताते है कि मैडम, आपके कहने से उन्होंने गुटखा छोड़ दिया। अब स्मोकिंग भी नहीं करते। ऐसे पल मेरे लिए सबसे बड़ा पुरस्कार होते हैं। मुझे लगता है, शायद मेरी कोशिशों से किसी की जिंदगी में थोड़ी रोशनी आई है और यही मेरे काम की असली सफलता है। अब तक मैं सैकड़ों मरीजों को तंबाकू और स्मोकिंग के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक कर चुकी हूं। हर 10 में से करीब 6 लोग मेरी सलाह मानते हैं और अपनी आदतें बदलते हैं।”
डॉ. रचना अग्रवाल का सफर चुनौतीपूर्ण था, लेकिन आज वह सिर्फ डॉक्टर नहीं, बल्कि समाज के लिए एक प्रेरणा बनती जा रही हैं।
कमेंट
कमेंट X