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Muharram 2025: भाई की शहादत के बाद भी नहीं टूटीं बीबी जैनब, जानिए कर्बला की रानी की कहानी

लाइफस्टाइल डेस्क, अमर उजाला Published by: शिवानी अवस्थी Updated Sat, 05 Jul 2025 02:03 PM IST
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सार

Muharram 2025 Bibi Zainab Queen of Karbala: बीबी जैनब का जन्म लगभग 626 ईस्वी को मदीना, हिजाज में हुआ था, जो अब सऊदी अरब के अंतर्गत आता है। उनके पिता हजरत अली चौथे खलीफा थे। माता हजरत फातिमा पैगंबर हजरत मुहम्मद की बेटी थीं। उनके दो भाई थे, इमाम हसन और इमाम हुसैन और पति का नाम अब्दुल्ला इब्ने जफर था। 

Muharram 2025 Bibi Zainab Queen of Karbala Who Stood Against authority of Yazid Key facts in Hindi
कर्बला की रानी - फोटो : AI

विस्तार
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Muharram 2025 Bibi Zainab Queen of Karbala : जब-जब मुहर्रम का महीना आता है, कर्बला की जंग की कहानी फिर से जिंदा हो जाती है। ये सिर्फ मातम का महीना नहीं, बल्कि बलिदान, साहस और सच्चाई की जीत का प्रतीक भी है। इस ऐतिहासिक युद्ध में जहां इमाम हुसैन ने जुल्म के खिलाफ सिर नहीं झुकाया, वहीं एक महिला योद्धा भी थीं जिन्होंने कर्बला की रानी कहलाने का गौरव पाया। वो थीं बीबी जैनब। हजरत अली और फातिमा की बेटी और इमाम हुसैन की बहन बीबी जैनब ने उस समय महिलाओं की पारंपरिक सीमाओं को तोड़ते हुए दुनिया को बताया कि हिम्मत और हक की आवाज सिर्फ तलवार से नहीं, जुबान से भी उठती है। आइए जानते हैं जैनब बीबी के साहस और शहादत की कहानी।

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बीबी जैनब कौन थीं?

बीबी जैनब का जन्म लगभग 626 ईस्वी को मदीना, हिजाज में हुआ था, जो अब सऊदी अरब के अंतर्गत आता है। उनके पिता हजरत अली चौथे खलीफा थे। माता हजरत फातिमा पैगंबर हजरत मुहम्मद की बेटी थीं। उनके दो भाई थे, इमाम हसन और इमाम हुसैन और पति का नाम अब्दुल्ला इब्ने जफर था। 
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बीबी जैनब का जीवन परिचय

बीबी ज़ैनब इस्लाम के पैगंबर हजरत मुहम्मद की नातिन थीं। उन्होंने अपने जीवन में अनेक कठिन परिस्थितियों का सामना किया लेकिन धैर्य, साहस और हिम्मत से कभी पीछे नहीं हटीं। उनका पालन-पोषण इस्लाम के सबसे पवित्र परिवार में हुआ। उनकी शिक्षा-दीक्षा में गहराई थी और उनके शब्दों में इतनी ताकत थी कि वे दरबारों को हिला देती थीं।

कर्बला की रानी बनने की कहानी

680 ईस्वी में कर्बला का युद्ध हुआ था। यह जंग इस्लाम के सत्य और असत्य के बीच था। हजरत इमाम हुसैन और उनका परिवार यजीद की अन्यायी सत्ता के सामने खड़े हुए। इस जंग में इमाम हुसैन सहित उनके बेटे, भाइयों और साथियों को शहीद कर दिया गया।
बीबी जैनब ने अपने परिवार के 70 से ज्यादा लोगों को एक-एक कर शहीद होते देखा। उनके दो बेटे औन और मुहम्मद भी शहीद हुए। मगर उन्होंने हिम्मत नहीं हारी।

दमिश्क के दरबार में दिया ऐतिहासिक भाषण

जब उन्हें बंदी बनाकर यजीद के दरबार में ले जाया गया तो उन्होंने वहां जो भाषण दिया, वह सत्य, साहस और स्त्री शक्ति का प्रतीक बन गया। उन्होंने यज़ीद के अत्याचारों को खुलकर ललकारा। उन्होंने कहा,  "ऐ यजीद! तू समझता है कि आज तूने हमें हराया है? नहीं, आज हुसैन का बलिदान अमर हो गया है और तेरा अन्याय मिटने वाला है।"

बीबी जैनब को आज भी "कर्बला की रानी", "सब्र की मिसाल" और "साहसी स्त्री" के रूप में जाना जाता है। उनकी याद में सीरिया के दमिश्क में "मजार-ए-जैनबिया" बनाया गया है। मुहर्रम के दिनों में उनकी याद में मजलिस होती हैं और उनके त्याग को याद किया जाता है।  


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