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गणगौर पूजा 2019 : अखंड सौभाग्य पाने को सुहागिनें और कुंवारी कन्याएं आज रखेंगी व्रत

अनीता जैन, वास्तुविद् Published by: Madhukar Mishra Updated Mon, 08 Apr 2019 03:58 PM IST
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gangaur vrat 2019 significance and puja vidhi
गणगौर व्रत 2019

नवरात्र के तीसरे दिन यानि चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाने वाला गणगौर का व्रत स्त्रियों के लिए अखण्ड सौभाग्य प्राप्ति का पर्व है। गणगौर दो शब्दों से मिलकर बना है,'गण' और 'गौर'। गण का तात्पर्य है शिव (ईसर) और गौर का अर्थ है पार्वती। वास्तव में गणगौर पूजन माँ पार्वती और भगवान शिव की पूजा का दिन है। 



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गणगौर पूजा की पौराणिक मान्यता 
शास्त्रों के अनुसार माँ पार्वती ने भी अखण्ड सौभाग्य की कामना से कठोर तपस्या की थी और उसी तप के प्रताप से भगवान शिव को पाया। इसी दिन भगवान शिव ने माता पार्वती को तथा पार्वती जी ने समस्त स्त्री जाति को सौभाग्य का वरदान दिया था। माना जाता है कि तभी से इस व्रत को करने की प्रथा आरम्भ हुई और इसी से प्रभावित होकर विवाह योग्य कन्याएं सुयोग्य वर पाने के लिए पूर्ण श्रद्धा भक्ति से यह पूजन-व्रत करती हैं। वहीं सुहागिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु व मंगल कामना के लिए शिव -गौरी पूजन करती हैं। 

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गणगौर पूजा विधि 
गणगौर पूजन के लिए कुंवारी कन्याएं व विवाहित स्त्रियां प्रात:काल सुंदर वस्त्र एवं आभूषण पहन कर सिर पर लोटा लेकर बाग़-बगीचों में जातीं हैं। वहीं से ताज़ा जल लोटों में भरकर उसमें हरी-हरी दूब और फूल सजाकर सिर पर रखकर गणगौर के गीत गाती हुईं घर आती हैं। इसके बाद शुद्ध मिट्टी के शिव स्वरुप ईसर और पार्वती स्वरुप गौर की प्रतिमा बनाकर स्थापित करती हैं। शिव-गौरी को सुंदर वस्त्र पहनाकर सम्पूर्ण सुहाग की वस्तुएं अर्पित करके चन्दन, अक्षत, धूप, दीप, दूब व पुष्प से उनकी पूजा-अर्चना की जाती है।दीवार पर सोलह-सोलह बिंदियां रोली, मेहंदी व काजल की लगाई जाती हैं।

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पूजन में सुहागजल है खास 
एक थाली में चांदी का छल्ला और सुपारी रखकर उसमें जल, दूध-दही, हल्दी, कुमकुम घोलकर सुहागजल तैयार किया जाता है। दोनों हाथों में दूब लेकर इस जल से पहले गणगौर को छींटे लगाकर फिर महिलाएं अपने ऊपर सुहाग के प्रतीक के तौर पर इस जल को छिड़कती हैं। अंत में मीठे गुने या चूरमे का भोग लगाकर गणगौर माता की कहानी सुनी जाती है।

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गणगौर पूजा के मंगल गीत
पूजन करने वाली समस्त स्त्रियां बड़े चाव से गणगौर के मंगल गीत गाती हैं- भंवर म्हाने पूजण दे गणगौर.... गौर-गौर गोमती ईसर पूजे पार्वती.... खोल ऐ गणगौर माता खोल किवाड़ी ... ईशर जी तो पेचो बांधे गौराबाई पेच संवारियो राज ......जो बेहद सुहावने लगते हैं। 

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