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कलियुग में सबसे सरल साधना, भगवान के नाम जप का महत्व और पुण्य फल
धर्म डेस्क, अमर उजाला
Published by: विनोद शुक्ला
Updated Sun, 15 Jun 2025 12:35 PM IST
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सार
कलयुग में भगवान राम का नाम जपने से जीवन में मानसिक शांति, स्वास्थ्य और आध्यात्मिक उन्नति होती है। नाम जप से अनेक जन्मों के पाप भी कटते हैं और पुण्य का संचय होता है।

कलयुग में राम नाम का जाप
- फोटो : adobe stock
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विस्तार
हिंदू धर्म में भगवान के नाम का जप सबसे सरल, प्रभावी और कल्याणकारी साधना मानी गई है। वेद, पुराण और संतवाणी में नाम स्मरण की महिमा बार-बार कही गई है। विशेषकर कलियुग में तो यह साधना सर्वोपरि है, क्योंकि यह युग दोषों से भरा है और अन्य साधन कठिन हैं।
श्रीरामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदास जी ने लिखा है
“कलियुग केवल नाम अधारा। सुमिरि-सुमिरि नर उतरहिं पारा॥”
अर्थात कलियुग में केवल नाम स्मरण ही ऐसा आधार है जिससे मनुष्य भवसागर (संसार के दुखों) को पार कर सकता है।
भगवान के नाम जप का धार्मिक महत्व
भगवान का नाम केवल ध्वनि नहीं, बल्कि वह स्वयं ईश्वर का साक्षात रूप है। नाम और नामी (भगवान) में कोई अंतर नहीं है। इसलिए कहा गया है कि नाम जपते समय ऐसा भाव होना चाहिए जैसे ईश्वर की साक्षात पूजा कर रहे हों।
नाम स्मरण से मन और बुद्धि शुद्ध होते हैं, नकारात्मक विचार दूर होते हैं और चित्त एकाग्र होता है। इसके अलावा नाम जप व्यक्ति के भीतर श्रद्धा, विश्वास और भक्ति का भाव जाग्रत करता है। जो व्यक्ति नियमित नाम जप करता है, उसके जीवन में मानसिक शांति, स्वास्थ्य और आध्यात्मिक उन्नति होती है। नाम जप से अनेक जन्मों के पाप भी कटते हैं और पुण्य का संचय होता है।
धार्मिक ग्रंथों में नाम जप के मुख्य तीन प्रकार बताए गए हैं।
वाचिक जप – जिसमें भगवान के नाम को स्पष्ट उच्चारण के साथ बोला जाता है। इससे वातावरण पवित्र होता है और दूसरों पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
उपांशु जप – इसमें नाम को धीरे-धीरे इतना मद्धम उच्चारित किया जाता है कि केवल साधक ही उसे सुन सके। यह मानसिक एकाग्रता को बढ़ाता है।
मानसिक जप – इसमें भगवान का नाम केवल मन में दोहराया जाता है। इसे सबसे श्रेष्ठ माना गया है क्योंकि यह पूरी तरह से अंतरमुखी साधना है।
नाम जप से प्राप्त होने वाले पुण्य फल
नारद पुराण में बताया गया है कि नाम स्मरण से पापों का क्षय होता है और आत्मा शुद्ध होती है। भागवत पुराण के अनुसार, भगवान का नाम लेने से वे तुरंत अपने भक्त की पुकार सुनते हैं। शिव पुराण में 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जप कल्याणकारी और मोक्षदायी बताया गया है।नाम जप से केवल सांसारिक लाभ ही नहीं मिलते, बल्कि यह जीव को जन्म-मरण के चक्र से मुक्त कर देता है। यह आत्मा को परमात्मा से जोड़ने का सीधा और सरल मार्ग है। अतः भगवान का नाम जप न केवल धर्म का आचरण है, बल्कि यह मोक्ष की ओर बढ़ने वाली सीढ़ी है, जिसे कोई भी व्यक्ति किसी भी समय, कहीं भी अपना सकता है।

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श्रीरामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदास जी ने लिखा है
“कलियुग केवल नाम अधारा। सुमिरि-सुमिरि नर उतरहिं पारा॥”
अर्थात कलियुग में केवल नाम स्मरण ही ऐसा आधार है जिससे मनुष्य भवसागर (संसार के दुखों) को पार कर सकता है।
भगवान के नाम जप का धार्मिक महत्व
भगवान का नाम केवल ध्वनि नहीं, बल्कि वह स्वयं ईश्वर का साक्षात रूप है। नाम और नामी (भगवान) में कोई अंतर नहीं है। इसलिए कहा गया है कि नाम जपते समय ऐसा भाव होना चाहिए जैसे ईश्वर की साक्षात पूजा कर रहे हों।
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नाम स्मरण से मन और बुद्धि शुद्ध होते हैं, नकारात्मक विचार दूर होते हैं और चित्त एकाग्र होता है। इसके अलावा नाम जप व्यक्ति के भीतर श्रद्धा, विश्वास और भक्ति का भाव जाग्रत करता है। जो व्यक्ति नियमित नाम जप करता है, उसके जीवन में मानसिक शांति, स्वास्थ्य और आध्यात्मिक उन्नति होती है। नाम जप से अनेक जन्मों के पाप भी कटते हैं और पुण्य का संचय होता है।
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नाम जप के प्रकारधार्मिक ग्रंथों में नाम जप के मुख्य तीन प्रकार बताए गए हैं।
वाचिक जप – जिसमें भगवान के नाम को स्पष्ट उच्चारण के साथ बोला जाता है। इससे वातावरण पवित्र होता है और दूसरों पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
उपांशु जप – इसमें नाम को धीरे-धीरे इतना मद्धम उच्चारित किया जाता है कि केवल साधक ही उसे सुन सके। यह मानसिक एकाग्रता को बढ़ाता है।
मानसिक जप – इसमें भगवान का नाम केवल मन में दोहराया जाता है। इसे सबसे श्रेष्ठ माना गया है क्योंकि यह पूरी तरह से अंतरमुखी साधना है।
नाम जप से प्राप्त होने वाले पुण्य फल
नारद पुराण में बताया गया है कि नाम स्मरण से पापों का क्षय होता है और आत्मा शुद्ध होती है। भागवत पुराण के अनुसार, भगवान का नाम लेने से वे तुरंत अपने भक्त की पुकार सुनते हैं। शिव पुराण में 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जप कल्याणकारी और मोक्षदायी बताया गया है।नाम जप से केवल सांसारिक लाभ ही नहीं मिलते, बल्कि यह जीव को जन्म-मरण के चक्र से मुक्त कर देता है। यह आत्मा को परमात्मा से जोड़ने का सीधा और सरल मार्ग है। अतः भगवान का नाम जप न केवल धर्म का आचरण है, बल्कि यह मोक्ष की ओर बढ़ने वाली सीढ़ी है, जिसे कोई भी व्यक्ति किसी भी समय, कहीं भी अपना सकता है।
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