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Krishna Janmashtami 2025: भगवान श्रीकृष्ण के 10 अनमोल उपदेश, जो हर परिस्थिति में दिलाएंगे विजय

धर्म डेस्क, अमर उजाला Published by: विनोद शुक्ला Updated Tue, 12 Aug 2025 08:43 AM IST
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सार

Krishna Janmashtami 2025:  महाभारत के युद्धभूमि में अर्जुन को सुनाए गए गीता के उपदेश, आज भी हर युग और परिस्थिति में उतने ही प्रासंगिक हैं जितने उस समय थे।

Krishna Janmashtami Updesh Top 10 Life-Changing Teachings of Lord Krishna for Victory in Every Situation
कृष्ण जन्माष्टमी 2025 - फोटो : Adobe Stock
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विस्तार
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Krishna Janmashtami 2025:  जन्माष्टमी केवल भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का पर्व नहीं, बल्कि उनके उपदेशों और जीवन दर्शन को स्मरण करने का अवसर भी है। द्वापर युग की उस पावन रात्रि में जब भगवान कृष्ण ने अवतार लिया, तब उन्होंने न केवल धर्म की स्थापना की, बल्कि मानवता को जीवन जीने का अद्वितीय मार्ग भी दिया। महाभारत के युद्धभूमि में अर्जुन को सुनाए गए गीता के उपदेश, आज भी हर युग और परिस्थिति में उतने ही प्रासंगिक हैं जितने उस समय थे।
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श्रीमद्भगवद्गीता केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन का अनमोल मार्गदर्शन है। यह 700 श्लोक जीवन की हर समस्या का समाधान और मन की हर उलझन का उत्तर देते हैं। यदि हम गीता के संदेशों को अपने जीवन में उतार लें, तो कठिनाई, निराशा और असफलता स्वयं ही दूर हो जाती है और जीवन सफलता की ओर अग्रसर होता है।
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1. कर्तव्य ही सर्वोपरि है
गीता का मूल संदेश है— “कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन”। व्यक्ति को केवल अपने कर्तव्य का पालन करना चाहिए, फल की चिंता नहीं करनी चाहिए। इससे मन में स्थिरता आती है और कामयाबी अपने आप मिलती है।

2. परिस्थितियों में संतुलन बनाए रखें
श्रीकृष्ण ने कहा है— सुख-दुख, लाभ-हानि, जय-पराजय में समान भाव रखना चाहिए। यह मानसिक संतुलन व्यक्ति को किसी भी चुनौती में टिकाए रखता है।

3. आत्मविश्वास और आत्मबल का विकास
कृष्ण ने अर्जुन को सिखाया कि अपनी क्षमताओं पर भरोसा रखो। आत्मबल ही वह शक्ति है जो भय और निराशा को समाप्त कर देती है।

4. आसक्ति से मुक्ति
हर कार्य में जुड़ाव रखें, लेकिन परिणाम से आसक्ति न रखें। जब हम परिणाम पर अत्यधिक निर्भर होते हैं, तो असफलता में दुख और सफलता में अहंकार आता है।

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5. निरंतर प्रयास का महत्व
गीता सिखाती है कि हार मानना अधर्म है। कठिनाई कितनी भी बड़ी हो, निरंतर प्रयत्न ही सफलता का द्वार खोलते हैं।

6. ज्ञान और विवेक का महत्व
श्रीकृष्ण ने कहा— विवेक से लिए गए निर्णय ही स्थायी होते हैं। ज्ञान जीवन का प्रकाश है, जो अज्ञान के अंधकार को दूर करता है।

7. क्रोध और लोभ पर नियंत्रण
क्रोध, लोभ और ईर्ष्या मनुष्य के पतन के कारण हैं। इन पर नियंत्रण पाने से मन की शांति बनी रहती है और निर्णय क्षमता बढ़ती है।

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8. समय का सदुपयोग
गीता हमें हर पल का महत्व सिखाती है। समय का सही उपयोग ही जीवन को सार्थक और सफल बनाता है।

9. भक्ति और श्रद्धा में शक्ति
ईश्वर के प्रति सच्ची श्रद्धा और भक्ति मन को स्थिर करती है। यह हमें कठिनाई के समय आशा और साहस देती है, जिससे हम सही निर्णय ले पाते हैं।

10. निडर होकर आगे बढ़ना
जब हम ईश्वर पर पूरा भरोसा रखते हैं, तो भय दूर हो जाता है। निडर होकर लक्ष्य की ओर बढ़ने वाला व्यक्ति जीवन में बड़े से बड़ा मुकाम हासिल कर लेता है।

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