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Alert: iPhone यूजर्स इस चेतावनी को न करें नजरअंदाज, Apple ने कहा इस ब्राउजर से बना लो दूरी
टेक डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: नीतीश कुमार
Updated Tue, 09 Dec 2025 06:37 PM IST
सार
Apple Issues Warning Against Chrome Browser: एपल ने iPhone यूजर्स को चेतावनी दी है कि Google Chrome का इस्तेमाल उनकी प्राइवेसी को खतरे में डाल सकता है। इसके बदले में कंपनी ने सफारी ब्राउजर के उपयोग की सलाह दी है जो फिंगरप्रिंटिंग जैसे गुप्त ट्रैकिंग तरीकों से बेहतर सुरक्षा देता है। जानिए पूरा मामला...
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एपल ने दी iPhone यूजर्स को चेतावनी
- फोटो : AI
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विस्तार
एपल ने iPhone यूजर्स को एक नया अलर्ट जारी किया है। कंपनी iPhone उपयोगकर्ताओं को Google Chrome का इस्तेमाल करने से मना कर रही है। कंपनी का कहना है कि उसका Safari ब्राउजर यूजर्स को उस नई ट्रैकिंग तकनीक से बचाता है, जिसे फिंगरप्रिंटिंग कहा जा रहा है। कंपनी का दावा है कि Chrome इस ट्रैकिंग से सुरक्षा नहीं देता।
दुनियाभर में 300 करोड़ से ज्यादा लोग Google Chrome का इस्तेमाल करते हैं। ऐसे में एपल की यह चेतावनी काफी अहम मानी जा रही है। कंपनी साफ कहती है कि ब्राउजर चुनना यूजर की मर्जी है, लेकिन जो लोग प्राइवेसी को प्राथमिकता देते हैं, उन्हें Safari नहीं छोड़ना चाहिए।
यह भी पढ़ें: फोन में हमेशा जीपीएस ऑन रहने के क्या हैं नुकसान? जानिए नए प्रस्ताव पर क्यों मचा है घमासान
क्या है फिंगरप्रिंटिंग?
फिंगरप्रिंटिंग एक तरह की छिपी हुई ट्रैकिंग तकनीक है, जिसमें फोन से जुड़ी कई छोटी–छोटी जानकारियों को मिलाकर यूजर की एक यूनिक डिजिटल आईडी बना ली जाती है। इसका सबसे बड़ा खतरा यह है कि इसे यूजर बंद भी नहीं कर सकता। कुकी ट्रैकिंग में यूजर ऑप्ट-आउट कर सकता है, लेकिन फिंगरप्रिंटिंग में यह ऑप्शन मौजूद नहीं होता। इसी वजह से यह बेहद खतरनाक माना जाता है।
ये ब्राउजर देते हैं फिंगरप्रिंटिंग से सुरक्षा
सिर्फ एपल ही नहीं, Mozilla ने भी अपने Firefox ब्राउजर में ऐसी टेक्नोलॉजी जोड़ी है जो इन ट्रैकर्स को गलत या सीमित डेटा भेजकर यूजर की पहचान को छिपाती है। यानी अब कुछ ब्राउजर फिंगरप्रिंटिंग को ब्लॉक करने के लिए नए तरीके अपना रहे हैं।
यह भी पढ़ें: आईफोन 17 में लगाया नॉर्मल स्क्रीन-गार्ड तो नहीं मिलेगा इस खास फीचर का फायदा, नई रिसर्च में दावा
क्या Safari इस खतरे से है सुरक्षित?
एपल का कहना है कि Safari डिवाइस की असली कॉन्फिगरेशन को छिपाकर सभी डिवाइस को ट्रैकर्स की नजर में एक जैसा बना देता है। इससे विज्ञापन देने वाली कंपनियों और वेबसाइट्स के लिए किसी एक यूजर को पहचान पाना मुश्किल हो जाता है। कंपनी का दावा है कि Safari सिस्टम सेटिंग्स का सरल वर्जन दिखाता है, ताकि ट्रैकर्स को डिटेल्ड जानकारी न मिल सके और फिंगरप्रिंटिंग असफल हो जाए।
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दुनियाभर में 300 करोड़ से ज्यादा लोग Google Chrome का इस्तेमाल करते हैं। ऐसे में एपल की यह चेतावनी काफी अहम मानी जा रही है। कंपनी साफ कहती है कि ब्राउजर चुनना यूजर की मर्जी है, लेकिन जो लोग प्राइवेसी को प्राथमिकता देते हैं, उन्हें Safari नहीं छोड़ना चाहिए।
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क्या है फिंगरप्रिंटिंग?
फिंगरप्रिंटिंग एक तरह की छिपी हुई ट्रैकिंग तकनीक है, जिसमें फोन से जुड़ी कई छोटी–छोटी जानकारियों को मिलाकर यूजर की एक यूनिक डिजिटल आईडी बना ली जाती है। इसका सबसे बड़ा खतरा यह है कि इसे यूजर बंद भी नहीं कर सकता। कुकी ट्रैकिंग में यूजर ऑप्ट-आउट कर सकता है, लेकिन फिंगरप्रिंटिंग में यह ऑप्शन मौजूद नहीं होता। इसी वजह से यह बेहद खतरनाक माना जाता है।
ये ब्राउजर देते हैं फिंगरप्रिंटिंग से सुरक्षा
सिर्फ एपल ही नहीं, Mozilla ने भी अपने Firefox ब्राउजर में ऐसी टेक्नोलॉजी जोड़ी है जो इन ट्रैकर्स को गलत या सीमित डेटा भेजकर यूजर की पहचान को छिपाती है। यानी अब कुछ ब्राउजर फिंगरप्रिंटिंग को ब्लॉक करने के लिए नए तरीके अपना रहे हैं।
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क्या Safari इस खतरे से है सुरक्षित?
एपल का कहना है कि Safari डिवाइस की असली कॉन्फिगरेशन को छिपाकर सभी डिवाइस को ट्रैकर्स की नजर में एक जैसा बना देता है। इससे विज्ञापन देने वाली कंपनियों और वेबसाइट्स के लिए किसी एक यूजर को पहचान पाना मुश्किल हो जाता है। कंपनी का दावा है कि Safari सिस्टम सेटिंग्स का सरल वर्जन दिखाता है, ताकि ट्रैकर्स को डिटेल्ड जानकारी न मिल सके और फिंगरप्रिंटिंग असफल हो जाए।