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Facebook: फेसबुक पर केरल के वित्त मंत्री ने ठोका मुकादमा, 'गलत मेडिकल क्लेम' का है आरोप

टेक डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: प्रदीप पाण्डेय Updated Sat, 19 Jul 2025 12:34 PM IST
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सार

उन्होंने यह भी जोड़ा कि इस पूरे मामले में जनता को यह सकारात्मक संदेश दिया जाना चाहिए था कि सरकारी अस्पतालों में दिल के इलाज की बेहतर सुविधाएं उपलब्ध हैं, और मंत्री जैसे लोग उस पर भरोसा करते हैं।

Kerala Minister files complaint against FB page accusing him of wrongful medical claim
Mark Zuckerberg - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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केरल के वित्त मंत्री के. एन. बालगोपाल ने एक फेसबुक पेज के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई है, जिसमें उन्हें एक दिन के इलाज के लिए 1.91 लाख रुपये के मेडिकल क्लेम का झूठा आरोप लगाते हुए बदनाम करने की कोशिश की गई थी। मंत्री के कार्यालय ने इस पोस्ट को "भ्रामक", "पूरी तरह असत्य" और "दुष्ट मानसिकता की साजिश" करार दिया है। बालगोपाल ने बताया कि उन्हें दिल से संबंधित बीमारी के बाद एंजियोप्लास्टी करानी पड़ी थी, जिसमें एक स्टेंट डाला गया और वे 12 मई 2024 से 17 मई 2024 तक सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती रहे।

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मंत्री ने क्या कहा?
मंत्री ने शुक्रवार को एक फेसबुक पोस्ट में लिखा, "मेरे इलाज पर हुए खर्च की प्रतिपूर्ति को लेकर यूडीएफ-संघ परिवार से जुड़े सोशल मीडिया अकाउंट्स और यूट्यूब चैनलों के जरिए एक झूठा और भ्रामक प्रचार चलाया जा रहा है।" बालगोपाल ने कहा कि जो राशि मेडिकल कॉलेज द्वारा वसूली गई, वह एपीएल (Above Poverty Line) श्रेणी के व्यक्ति के लिए सरकारी अस्पतालों में एंजियोप्लास्टी की सामान्य लागत है।
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"सरकारी अस्पताल में इलाज कराना क्या गलत है?"
मंत्री ने सवाल उठाते हुए कहा कि जब वे किसी निजी अस्पताल में महंगे इलाज के योग्य थे, तब उन्होंने कम खर्च वाले सरकारी अस्पताल को क्यों न चुना? उन्होंने यह भी जोड़ा कि इस पूरे मामले में जनता को यह सकारात्मक संदेश दिया जाना चाहिए था कि सरकारी अस्पतालों में दिल के इलाज की बेहतर सुविधाएं उपलब्ध हैं, और मंत्री जैसे लोग उस पर भरोसा करते हैं।

कानूनी कार्रवाई का फैसला क्यों?
बालगोपाल ने बताया कि वे पिछले एक साल से इस तरह के झूठे प्रचार को नजरअंदाज करते आ रहे थे, लेकिन जब उन्हें लगा कि जनता इन झूठों पर विश्वास करने लगी है, तो उन्होंने इसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का निर्णय लिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह सिर्फ उनकी छवि को नुकसान पहुंचाने की साजिश है और इसका कोई तथ्यात्मक आधार नहीं है। मंत्री के अनुसार, इस तरह का दुष्प्रचार जनहित में काम करने वाले सार्वजनिक सेवकों के लिए हानिकारक है।

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