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डीपफेक के साए में सितारे: पर्सनैलिटी राइट्स की मांग कर रहे बॉलिवुड सेलेब्स, जानिए कितना बड़ा है खतरा
टेक डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: नीतीश कुमार
Updated Thu, 11 Sep 2025 04:03 PM IST
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सार
Deepfake In Bollywood: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डीपफेक टेक्नोलॉजी के बढ़ते इस्तेमाल से बॉलीवुड सितारे अब तेजी से कोर्ट का रुख कर रहे हैं। कई सेलेब्स ने पर्सनैलिटी राइट्स की मांग की है। जानिए कितना बड़ा है डीपफेक का खतरा।

कई सेलिब्रिटिज ने किया कोर्ट का रुख
- फोटो : Freepik
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विस्तार
पर्सनैलिटी राइट्स को लेकर कानूनी लड़ाई में अब बच्चन परिवार भी शामिल हो गया है। ऐश्वर्या राय ने हाल ही में aishwaryaworld.com और अन्य वेबसाइट्स के खिलाफ याचिका दायर की है, वहीं उनके पति अभिषेक बच्चन ने भी 10 सितंबर को दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका लगाकर अपनी पहचान और पब्लिसिटी राइट्स की सुरक्षा की मांग की।
फिल्म इंडस्ट्री में बढ़े डीपफेक के मामले
पिछले एक साल में ही आधा दर्जन से ज्यादा बड़े फिल्मी सितारे कोर्ट पहुंच चुके हैं। इनमें अनिल कपूर और जैकी श्रॉफ जैसे नाम भी शामिल हैं। इन मामलों में ज्यादातर याचिकाएं AI जनरेटेड डीपफेक वीडियोज, फेक एंडोर्समेंट और बिना अनुमति बेचे जा रहे मर्चेंडाइज को रोकने के लिए दायर की गईं।
कई रिपोर्ट्स के मुताबिक अब फिल्म, खेल और डिजिटल मीडिया से जुड़े पब्लिक फिगर्स पहले से ज्यादा सतर्क हो रहे हैं। मशहूर वकील अभिषेक अग्निहोत्री ने बताया कि कई सेलिब्रिटी यह जानना चाहते हैं कि कैसे पहले से सुरक्षा मिल सकती है और कोर्ट कितनी जल्दी दखल दे सकता है।
WiFi: घर में कछुए जैसी है वाई-फाई की स्पीड, तो राउटर के आसपास रखी इन चीजें को तुरंत हटाएं
अमिताभ बच्चन भी कर चुके हैं याचिका
साल 2022 में अमिताभ बच्चन ने भी अपनी पहचान की सुरक्षा के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उस समय यह कदम दुर्लभ माना गया था, लेकिन अब हालात बदल चुके हैं और ज्यादा से ज्यादा लोग इसे लेकर सक्रिय हो रहे हैं।
क्या होता है डीपफेक?
डीपफेक फोटो और वीडियो दोनों रूप में हो सकता है। इसे एक स्पेशल मशीन लर्निंग का इस्तेमाल करके बनाया जाता है जिसे डीप लर्निंग कहा जाता है। डीप लर्निंग में कंप्यूटर को दो वीडियोज या फोटो दिए जाते हैं जिन्हें देखकर वह खुद ही दोनों वीडियो या फोटो को एक ही जैसा बनाता है।
यह ठीक उसी तरह है जैसे बच्चा किसी चीज की नकल करता है। इस तरह के फोटो वीडियोज में हिडेन लेयर्स होते हैं जिन्हें सिर्फ एडिटिंग सॉफ्टवेयर से ही देखा जाता है। एक लाइन में कहें तो डीपफेक, रियल इमेज-वीडियोज को फेक फोटो-वीडियोज में बदलने की एक प्रक्रिया है। डीपफेक फोटो-वीडियोज फेक होते हुए भी रियल नजर आते हैं।
यह भी पढ़ें: नेपाल से ऑस्ट्रेलिया तक: दुनियाभर के देशों में क्यों बढ़ी सोशल मीडिया पर सख्ती?
बहुत ही आसान भाषा में कहें तो डीपफेक एक एडिटेड वीडियो होता है जिसमें किसी अन्य के चेहरे को किसी अन्य के चेहरे से बदल दिया जाता है। डीपफेक वीडियोज इतने सटीक होते हैं कि आप इन्हें आसानी से पहचान नहीं सकते। डीपफेक वीडियो बनाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग की भी मदद ली जाती है।
झेलना पड़ता है आर्थिक नुकसान
विशेषज्ञों का मानना है कि अब सितारे समझ रहे हैं कि कोई भी मैनिप्युलेटेड वीडियो या फेक ब्रांडिंग उनकी इमेज और आर्थिक स्थिति दोनों को गंभीर नुकसान पहुंचा सकती है। यही नहीं डीपफेक कंटेंट सेलेब्स की ट्रोलिंग, बुलिंग और यहां तक की हिंसा को भी बढ़ावा दे सकता है। यही कारण है कि पर्सनैलिटी राइट्स को अब सिर्फ इज्जत का नहीं, बल्कि बौद्धिक संपत्ति और कमर्शियल कंट्रोल का हिस्सा माना जाने लगा है।
उठी पर्सनैलिटी राइट्स की मांग
डीपफेक के बढ़ते खतरे के बीच सेलिब्रिटिज अब पर्सनैलिटी राइट्स की मांग कर रहे हैं। पर्सनैलिटी राइट्स किसी भी सेलिब्रिटी को अपने नाम, फोटो, आवाज, सिग्नेचर, जेस्चर और डिजिटल पहचान को बिना अनुमति इस्तेमाल होने से बचाते हैं। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) और 21 के तहत ये अधिकार सुरक्षा पाते हैं, जिससे किसी की पहचान का व्यावसायिक शोषण रोका जा सके।
आज की कनेक्टेड दुनिया में किसी भी पब्लिक फिगर की पहचान सिर्फ निजी नहीं, बल्कि ब्रांड वैल्यू भी बन चुकी है। यही वजह है कि पर्सनैलिटी राइट्स को अब इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी पोर्टफोलियो का अहम हिस्सा माना जा रहा है।
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पिछले एक साल में ही आधा दर्जन से ज्यादा बड़े फिल्मी सितारे कोर्ट पहुंच चुके हैं। इनमें अनिल कपूर और जैकी श्रॉफ जैसे नाम भी शामिल हैं। इन मामलों में ज्यादातर याचिकाएं AI जनरेटेड डीपफेक वीडियोज, फेक एंडोर्समेंट और बिना अनुमति बेचे जा रहे मर्चेंडाइज को रोकने के लिए दायर की गईं।
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कई रिपोर्ट्स के मुताबिक अब फिल्म, खेल और डिजिटल मीडिया से जुड़े पब्लिक फिगर्स पहले से ज्यादा सतर्क हो रहे हैं। मशहूर वकील अभिषेक अग्निहोत्री ने बताया कि कई सेलिब्रिटी यह जानना चाहते हैं कि कैसे पहले से सुरक्षा मिल सकती है और कोर्ट कितनी जल्दी दखल दे सकता है।
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अमिताभ बच्चन भी कर चुके हैं याचिका
साल 2022 में अमिताभ बच्चन ने भी अपनी पहचान की सुरक्षा के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उस समय यह कदम दुर्लभ माना गया था, लेकिन अब हालात बदल चुके हैं और ज्यादा से ज्यादा लोग इसे लेकर सक्रिय हो रहे हैं।
क्या होता है डीपफेक?
डीपफेक फोटो और वीडियो दोनों रूप में हो सकता है। इसे एक स्पेशल मशीन लर्निंग का इस्तेमाल करके बनाया जाता है जिसे डीप लर्निंग कहा जाता है। डीप लर्निंग में कंप्यूटर को दो वीडियोज या फोटो दिए जाते हैं जिन्हें देखकर वह खुद ही दोनों वीडियो या फोटो को एक ही जैसा बनाता है।
यह ठीक उसी तरह है जैसे बच्चा किसी चीज की नकल करता है। इस तरह के फोटो वीडियोज में हिडेन लेयर्स होते हैं जिन्हें सिर्फ एडिटिंग सॉफ्टवेयर से ही देखा जाता है। एक लाइन में कहें तो डीपफेक, रियल इमेज-वीडियोज को फेक फोटो-वीडियोज में बदलने की एक प्रक्रिया है। डीपफेक फोटो-वीडियोज फेक होते हुए भी रियल नजर आते हैं।
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बहुत ही आसान भाषा में कहें तो डीपफेक एक एडिटेड वीडियो होता है जिसमें किसी अन्य के चेहरे को किसी अन्य के चेहरे से बदल दिया जाता है। डीपफेक वीडियोज इतने सटीक होते हैं कि आप इन्हें आसानी से पहचान नहीं सकते। डीपफेक वीडियो बनाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग की भी मदद ली जाती है।
झेलना पड़ता है आर्थिक नुकसान
विशेषज्ञों का मानना है कि अब सितारे समझ रहे हैं कि कोई भी मैनिप्युलेटेड वीडियो या फेक ब्रांडिंग उनकी इमेज और आर्थिक स्थिति दोनों को गंभीर नुकसान पहुंचा सकती है। यही नहीं डीपफेक कंटेंट सेलेब्स की ट्रोलिंग, बुलिंग और यहां तक की हिंसा को भी बढ़ावा दे सकता है। यही कारण है कि पर्सनैलिटी राइट्स को अब सिर्फ इज्जत का नहीं, बल्कि बौद्धिक संपत्ति और कमर्शियल कंट्रोल का हिस्सा माना जाने लगा है।
उठी पर्सनैलिटी राइट्स की मांग
डीपफेक के बढ़ते खतरे के बीच सेलिब्रिटिज अब पर्सनैलिटी राइट्स की मांग कर रहे हैं। पर्सनैलिटी राइट्स किसी भी सेलिब्रिटी को अपने नाम, फोटो, आवाज, सिग्नेचर, जेस्चर और डिजिटल पहचान को बिना अनुमति इस्तेमाल होने से बचाते हैं। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) और 21 के तहत ये अधिकार सुरक्षा पाते हैं, जिससे किसी की पहचान का व्यावसायिक शोषण रोका जा सके।
आज की कनेक्टेड दुनिया में किसी भी पब्लिक फिगर की पहचान सिर्फ निजी नहीं, बल्कि ब्रांड वैल्यू भी बन चुकी है। यही वजह है कि पर्सनैलिटी राइट्स को अब इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी पोर्टफोलियो का अहम हिस्सा माना जा रहा है।
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