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Nvidia: चीन को हाई-एंड चिप बेचने पर लगी रोक हटा सकता है यूएस, एनवीडिया कर रही है H200 एआई चिप बेचने पर विचार
टेक डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: सुयश पांडेय
Updated Sat, 22 Nov 2025 05:42 PM IST
सार
अमेरिका की ट्रंप सरकार चीन को एनवीडिया के H200 आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस चिप बेचने की अनुमति देने पर विचार कर रही है। सूत्रों के मुताबिक, हाल ही में दोनों देशों के बीच तनाव कम होने से उन्नत अमेरिकी तकनीक के निर्यात की संभावना बढ़ी है।
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- फोटो : Nvidia
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विस्तार
अमेरिका की ट्रंप सरकार चीन को एनवीडिया के H200 आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस चिप बेचने की अनुमति देने पर विचार कर रही है। सूत्रों के मुताबिक, हाल ही में दोनों देशों के बीच तनाव कम होने से उन्नत अमेरिकी तकनीक के निर्यात की संभावना बढ़ी है। अभी यूएस कॉमर्स डिपार्टमेंट उस नीति की समीक्षा कर रहा है, जिसमें चीन को हाई-एंड चिप बेचने पर रोक लगाई गई थी। हालांकि, नीति में बदलाव होगा या नहीं यह अभी साफ नहीं है।
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व्हाइट हाउस ने इस मुद्दे पर सीधे टिप्पणी तो नहीं की, लेकिन कहा कि अमेरिका तकनीक में अपनी बढ़त और राष्ट्रीय सुरक्षा को सुरक्षित रखने के लिए प्रतिबद्ध है। कॉमर्स डिपार्टमेंट और एनवीडिया ने भी इस मामले पर कोई बयान नहीं दिया।
एनवीडिया का कहना है कि मौजूदा नियमों के चलते वह चीन में प्रतिस्पर्धी एआई डाटा सेंटर चिप नहीं बेच पा रही है, और इससे बड़ा बाजार विदेशी कंपनियों के हाथ में जा रहा है। यह फैसला ऐसे समय में लिया जा सकता है जब पिछले महीने बुसान में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच ट्रेड और टेक विवाद पर अस्थायी समझौता हुआ था।
ये भी पढ़ें: AI: एनवीडिया जैसी कंपनियों का एआई पर लगातार निवेश, जेफरीज ने जारी की चेतावनी
हालांकि, वॉशिंगटन के कई नीति-निर्माताओं को चिंता है कि अगर चीन को ज्यादा उन्नत एआई चिप मिलते हैं, तो उनकी सैन्य क्षमता और मजबूत हो सकती है। इसी डर की वजह से पिछली बाइडेन सरकार ने इन चिप के निर्यात पर सीमाएं लगाई थीं। इस साल ट्रंप प्रशासन ने भी चीन के दुर्लभ खनिजों पर नियंत्रण के जवाब में नई पाबंदियों की चेतावनी दी थी, लेकिन बाद में ज्यादातर फैसले वापस ले लिए गए।
ये भी पढ़ें: iPhone: एपल की भारत पर बढ़ रही निर्भरता, जानिए 'मेड-इन-इंडिया' आईफोन से चीन की 'आईफोन सिटी' पर क्या असर पड़ा?
H200 चिप, जो दो साल पहले लॉन्च हुआ था, H100 से ज्यादा तेज और ज्यादा मेमोरी वाला है। अनुमान है कि यह एनवीडिया के H20 चिप से दोगुना शक्तिशाली है। H20 वही चिप है जिसे अभी चीन में भेजने की इजाजत है। यह अनुमति ट्रंप प्रशासन द्वारा अस्थायी रूप से पाबंदियां हटाने के बाद मिली थी।
इस हफ्ते एनवीडिया के सीईओ जेंसन हुआंग व्हाइट हाउस में नजर आए, जहां सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान भी पहुंचे थे। इसी दौरान कॉमर्स डिपार्टमेंट ने सऊदी अरब की हुमैन और यूएई की G42 कंपनियों को एनवीडिया के नए ब्लैकवेल चिप के 70,000 यूनिट्स के बराबर शिपमेंट की मंजूरी भी दी।
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व्हाइट हाउस ने इस मुद्दे पर सीधे टिप्पणी तो नहीं की, लेकिन कहा कि अमेरिका तकनीक में अपनी बढ़त और राष्ट्रीय सुरक्षा को सुरक्षित रखने के लिए प्रतिबद्ध है। कॉमर्स डिपार्टमेंट और एनवीडिया ने भी इस मामले पर कोई बयान नहीं दिया।
एनवीडिया का कहना है कि मौजूदा नियमों के चलते वह चीन में प्रतिस्पर्धी एआई डाटा सेंटर चिप नहीं बेच पा रही है, और इससे बड़ा बाजार विदेशी कंपनियों के हाथ में जा रहा है। यह फैसला ऐसे समय में लिया जा सकता है जब पिछले महीने बुसान में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच ट्रेड और टेक विवाद पर अस्थायी समझौता हुआ था।
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हालांकि, वॉशिंगटन के कई नीति-निर्माताओं को चिंता है कि अगर चीन को ज्यादा उन्नत एआई चिप मिलते हैं, तो उनकी सैन्य क्षमता और मजबूत हो सकती है। इसी डर की वजह से पिछली बाइडेन सरकार ने इन चिप के निर्यात पर सीमाएं लगाई थीं। इस साल ट्रंप प्रशासन ने भी चीन के दुर्लभ खनिजों पर नियंत्रण के जवाब में नई पाबंदियों की चेतावनी दी थी, लेकिन बाद में ज्यादातर फैसले वापस ले लिए गए।
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H200 चिप, जो दो साल पहले लॉन्च हुआ था, H100 से ज्यादा तेज और ज्यादा मेमोरी वाला है। अनुमान है कि यह एनवीडिया के H20 चिप से दोगुना शक्तिशाली है। H20 वही चिप है जिसे अभी चीन में भेजने की इजाजत है। यह अनुमति ट्रंप प्रशासन द्वारा अस्थायी रूप से पाबंदियां हटाने के बाद मिली थी।
इस हफ्ते एनवीडिया के सीईओ जेंसन हुआंग व्हाइट हाउस में नजर आए, जहां सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान भी पहुंचे थे। इसी दौरान कॉमर्स डिपार्टमेंट ने सऊदी अरब की हुमैन और यूएई की G42 कंपनियों को एनवीडिया के नए ब्लैकवेल चिप के 70,000 यूनिट्स के बराबर शिपमेंट की मंजूरी भी दी।