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Quantum Tunneling: क्या है 'क्वांटम टनलिंग' का वह रहस्य जिसे सुलझाने वाले वैज्ञानिकों को मिला नोबल पुरस्कार?
टेक डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: नीतीश कुमार
Updated Wed, 15 Oct 2025 02:10 PM IST
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सार
What Is Quantum Tunneling: इस साल का भौतिकी का नोबेल जॉन क्लार्क, मिशेल एच. देवोरे और जॉन एम. मार्टिनिस को मिला है। इन वैज्ञानिकों ने क्वांटम टनलिंग की प्रक्रिया को पहली बार एक बेहद छोटे डिवाइस से सिद्ध कर दिखाया। आइए जानते हैं क्या होती है "क्वांटम टनलिंग" और इसे क्यों साइंस का चमत्कार बताया जा रहा है।

क्वांटम कंप्यूटर
- फोटो : AI
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विस्तार
इस बार भौतिकी (Physics) में नोबेल पुरस्कार तीन वैज्ञानिकों, जॉन क्लार्क, मिशेल एच. देवोरे और जॉन एम. मार्टिनिस को दिया है। इन्हें “मैक्रोस्कोपिक क्वांटम मैकेनिकल टनलिंग और एनर्जी क्वांटाइजेशन इन इलेक्ट्रिक सर्किट” की खोज के लिए सम्मानित किया गया है। वैज्ञानिकों ने क्वांटम पार्टिकल को पहली बार सक्रिय प्रक्रिया में एक हाथेली में रखे जा सकने वाले बेहद छोटे डिवाइस का प्रयोग कर दिखाया। इस खोज ने क्वांटम की अदृश्य और रहस्यमयी दुनिया से पर्दा उठाते हुए सूक्ष्म एटम्स को इलेक्ट्रॉनिक सर्किट्स में बहते हुए दिखाया।
क्या है क्वांटम टनलिंग और एनर्जी क्वांटाइजेशन?
कल्पना कीजिए कि आप एक गेंद दीवार पर फेंकते हैं। सामान्य तौर पर गेंद या तो रुक जाएगी या दीवार से टकराकर वापस लौट जाएगी। लेकिन क्वांटम दुनिया में एक कण दीवार को भेद कर दूसरी तरफ निकल सकता है, इसे ही क्वांटम टनलिंग कहा जाता है। क्वांटम टनलिंग दिखाता है कि एक कण (एटम) तरंगों की तरह बर्ताव करता है और किसी अवरोध को भेदते हुए पार जा सकता है। वहीं, एनर्जी क्वांटाइजेशन का मतलब है कि ऊर्जा लगातार नहीं, बल्कि छोटे-छोटे “पैकेट्स” में बहती है।
1980 के दशक में, इन तीनों वैज्ञानिकों ने सुपरकंडक्टिंग सर्किट्स पर काम किया, जिन्हें बेहद ठंडे तापमान तक ठंडा किया गया था। इन सर्किट्स में जोसेफसन जंक्शन नाम का एक हिस्सा होता है, जहां दो सुपरकंडक्टरों के बीच पतली इंसुलेटिंग परत होती है। ऐसे हालात में इलेक्ट्रॉन की जोड़ियां इस परत को पार कर सकती हैं, यानी टनल कर सकती हैं।
मानव-निर्मित सर्किट में दिखा क्वांटम असर
जब इन सर्किट्स में करंट पास किया गया, तो पूरा सिस्टम एक विशाल क्वांटम कण की तरह व्यवहार करने लगा। यह एक ऊर्जा अवस्था से दूसरी में “टनल” कर गया और बेहद छोटा वोल्टेज उत्पन्न हुआ। उन्होंने यह भी पाया कि सिस्टम ऊर्जा को लगातार नहीं, बल्कि तय मात्राओं में अवशोषित या उत्सर्जित करता है, यानी एनर्जी क्वांटाइजेशन को पहली बार मानव निर्मित सर्किट में साबित किया गया।
दशकों से वैज्ञानिक यह सोचते रहे कि आखिर कितना बड़ा सिस्टम क्वांटम इफेक्ट दिखा सकता है। इन तीनों ने दिखाया कि सटीक नियंत्रण और सही सामग्री के साथ, हाथ पर रखा जा सकने वाला एक चिप भी क्वांटम व्यवहार कर सकता है।

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क्या है क्वांटम टनलिंग और एनर्जी क्वांटाइजेशन?
कल्पना कीजिए कि आप एक गेंद दीवार पर फेंकते हैं। सामान्य तौर पर गेंद या तो रुक जाएगी या दीवार से टकराकर वापस लौट जाएगी। लेकिन क्वांटम दुनिया में एक कण दीवार को भेद कर दूसरी तरफ निकल सकता है, इसे ही क्वांटम टनलिंग कहा जाता है। क्वांटम टनलिंग दिखाता है कि एक कण (एटम) तरंगों की तरह बर्ताव करता है और किसी अवरोध को भेदते हुए पार जा सकता है। वहीं, एनर्जी क्वांटाइजेशन का मतलब है कि ऊर्जा लगातार नहीं, बल्कि छोटे-छोटे “पैकेट्स” में बहती है।
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1980 के दशक में, इन तीनों वैज्ञानिकों ने सुपरकंडक्टिंग सर्किट्स पर काम किया, जिन्हें बेहद ठंडे तापमान तक ठंडा किया गया था। इन सर्किट्स में जोसेफसन जंक्शन नाम का एक हिस्सा होता है, जहां दो सुपरकंडक्टरों के बीच पतली इंसुलेटिंग परत होती है। ऐसे हालात में इलेक्ट्रॉन की जोड़ियां इस परत को पार कर सकती हैं, यानी टनल कर सकती हैं।
मानव-निर्मित सर्किट में दिखा क्वांटम असर
जब इन सर्किट्स में करंट पास किया गया, तो पूरा सिस्टम एक विशाल क्वांटम कण की तरह व्यवहार करने लगा। यह एक ऊर्जा अवस्था से दूसरी में “टनल” कर गया और बेहद छोटा वोल्टेज उत्पन्न हुआ। उन्होंने यह भी पाया कि सिस्टम ऊर्जा को लगातार नहीं, बल्कि तय मात्राओं में अवशोषित या उत्सर्जित करता है, यानी एनर्जी क्वांटाइजेशन को पहली बार मानव निर्मित सर्किट में साबित किया गया।
दशकों से वैज्ञानिक यह सोचते रहे कि आखिर कितना बड़ा सिस्टम क्वांटम इफेक्ट दिखा सकता है। इन तीनों ने दिखाया कि सटीक नियंत्रण और सही सामग्री के साथ, हाथ पर रखा जा सकने वाला एक चिप भी क्वांटम व्यवहार कर सकता है।