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क्रोहन्स डिजीज तो नहीं बिगाड़ रही बच्चे की सेहत
Lucknow
Updated Sun, 12 Aug 2012 12:00 PM IST
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लखनऊ। आपके बच्चे की ग्रोथ नहीं हो रही है। बच्चा कमजोर दिखता है। मल के साथ आंव और खून आता है। दवाइयां असर नहीं कर रही हैं। बच्चे को पेट दर्द, बुखार भी रहता है। तो हो सकता है कि ये बीमारी ‘क्रोहन्स डिजीज’ हो। यदि इन लक्षणों में दवाएं असर न कर रही हों तो तुरंत संजय गांधी पीजीआई पहुंचे। यहां के पीडियाट्रिक गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी विभाग में इस बीमारी का पता लगाने के साथ ही बीमारी का इलाज भी किया जाता है। पीडियाट्रिक गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी विभाग के हेड प्रो. एसके याचा ने बताया कि ये छोटी और बड़ी आंत की बीमारी है। इसमें आंत की भीतरी दीवार में संक्रमण हो जाता है। जिससे पाचन क्रिया पर असर पड़ता है। यदि किसी को पहले से ‘क्रोहन्स डिजीज’ रही हो तो उसके बच्चों में इस बीमारी के होने की आशंका 10 गुना बढ़ जाती है। प्रो. याचा ने बताया कि इस बीमारी का पता लगाने के लिए ‘इलियोस्कोपी’ की जाती है। जिसमें मलद्वार से बड़ी आंत के रास्ते जाकर छोटी आंत तक पहुंचा जाता है। वहां से बीमार की डायग्नोसिस के लिए टिश्यू लेते हैं। इस टिश्यू की बॉयोप्सी जांच के बाद ही पता चलता है कि बच्चे को क्रोहन्स डिजीज तो नहीं है। इसके बाद दवाओं से बीमारी को नियंत्रण में रखा जाता है, क्योंकि इस बीमारी का इलाज संभव नहीं है। प्रो. याचा ने बताया कि इस बीमारी के नियंत्रण के लिए लंबे समय तक इलाज चलता है। बीमारी नियंत्रण में आने के बाद बच्चे की सेहत में सुधार होने लगता है। उन्होंने बताया कि क्रोहन्स डिजीज के कारण बच्चे में उम्र के बढ़ने के साथ ही जो शारीरिक वृद्धि वो रुक जाती है। इससे बच्चा सामान्य बच्चों से कमजोर दिखता है। यदि समय पर बीमारी को पहचान लिया जाए तो बीमारी को काबू में किया जा सकता है। प्रो. याचा ने बताया कि पीडियाट्रिक गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी विभाग क्रोहन्स डिजीज जैसी ही कई अन्य बीमारियों का इलाज किया जाता है। जिनका इलाज उत्तर भारत में कहीं भी संभव नहीं है। उन्होंने बताया कि ऐसी ही कई गंभीर और अज्ञात बीमारियों के इलाज पर नवंबर में पीजीआई में तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन भी किया जाएगा।

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