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हाल-ए-स्वास्थ्य: अमरोहा जिला अस्पताल में डॉक्टरों की कमी, बिना इलाज लौट रहीं महिलाएं, रेडियोलॉजिस्ट की कमी

अमर उजाला नेटवर्क, अमरोहा Published by: विमल शर्मा Updated Thu, 27 Mar 2025 11:51 AM IST
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सार

अमरोहा जिला अस्पताल में महिला चिकित्सकों की भारी कमी है। इससे मरीजों को इलाज के लिए भटकना पड़ रहा है। स्थायी डॉक्टरों के पद खाली होने के कारण महिला विंग में केवल संविदा पर तैनात डॉक्टर और सप्ताह में तीन दिन अटैच की गई चिकित्सक ही सेवाएं दे रही हैं। इससे महिला मरीजों को बिना इलाज लौटना पड़ रहा है।

Lack of doctors in Amroha District Hospital, women returning without treatment, lack of radiologists
अमरोहा जिला अस्पताल स्थित महिला विंग। - फोटो : संवाद
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अमरोहा में कहने को तो जिला अस्पताल तो है, लेकिन हालत सीएचसी-पीएचसी से भी बदतर हैं। अस्पताल में महिला चिकित्सक के चारों पद खाली है। हालांकि, महिला विंग में एक महिला चिकित्सक संविदा पर तैनात है। इसके अलावा एक महिला डॉक्टर को जिला अस्पताल से अटैच किया गया है, जो सप्ताह में तीन दिन आती है।

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ऐसे में महिला मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। वहीं, कई महिलाओं बिना उपचार ही लौटना पड़ता है। जिला अस्पताल में स्थायी रूप से भर्ती न होने के कारण कई चिकित्सकों के पद खाली हैं, जिससे मरीजों को दिक्कत होती है। जिला अस्पताल के महिला विंग में संविदा पर महिला चिकित्सक प्रियंका तैनात हैं, उन पर ही ओपीडी में आने वाली बीमार महिलाओं व गर्भवतियों के उपचार करने का जिम्मा है।
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इनके अलावा सीएमओ के आदेश पर एक महिला चिकित्सक को सप्ताह में तीन दिन के लिए ड्यूटी पर लगाया गया है। जिसके कारण महिला रोगियों की जांच भी सही ढंग से नहीं हो पाती है। कई बार डॉ. प्रियंका के व्यस्त या डिलीवरी करने के दौरान महिला मरीजों का वापस लौटना पड़ता है।

स्टाफ नर्स ही संभाल रहीं जिम्मेदारी 
महिला चिकित्सकों की कमी के कारण सरकारी अस्पतालों में स्टाफ नर्स ही गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी से लेकर जच्चा-बच्चा की सेहत की जिम्मेदारी संभाल रही हैं। जबकि महिला मरीजों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। वर्तमान में महिला रोग संबंधित करीब सौ की ओपीडी हो रही है।

अस्पताल में 50 फीसदी डाॅक्टर ही नहीं
संयुक्त जिला चिकित्सालय में शासन से डॉक्टरों के 52 पद स्वीकृत हैं, लेकिन महज 20 चिकित्सक ही तैनात हैं। जिला अस्पताल प्रशासन साल में चार-चार बार चिकित्सकों की कमी पूरी करने के लिए डिमांड शासन को भेजता है, लेकिन हर बार नतीजा शून्य रहता है। अस्पताल में छह महिला चिकित्सकों समेत 32 पद खाली पड़े हैं। ऐसे में मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं कैसे मिलेंगी।

कार्डियोलॉजिस्ट की आज तक नहीं हुई तैनाती
अस्पताल में फिजीशियन के दो पद हैं, जबकि एक डॉक्टर तैनात हैं। चेस्ट फिजिशियन और कार्डियोलॉजिस्ट के एक-एक पद पर आज तक डॉक्टरों की तैनाती नहीं हो सकी। बाल रोग विशेषज्ञ के दोनों पद भरे हैं। एनेस्थीसिया के दो पदों पर एक डॉक्टर हैं। जनरल सर्जन के दो पद में से एक डॉक्टर की तैनाती है। ऑर्थोपेडिक सर्जन के दोनों पद भरे हुए हैं।

ईएनटी सर्जन के एक पद पर डॉक्टर तैनात हैं। रेडियोलॉजिस्ट के दो पदों में से एक ही डॉक्टर हैं, जबकि एक डॉक्टर इस्तीफा देकर चले गए। चर्म रोग विशेषज्ञ के स्वीकृत एक पद पर डॉक्टर तैनात हैं। ईएमओ के तीनों पद पर भरे हुए हैं। अधीक्षक परामर्शदाता का एक पद है, वह भी खाली है।

रेडियोलॉजिस्ट की कमी से भी दिक्कत
जिला अस्पताल में गर्भवती महिलाओं के अल्ट्रासाउंड में कई बार देरी हो जाती है। इसके कारण महिलाओं को परेशानी बनी रहती है। रेडियोलॉजिस्ट की कमी के कारण महिलाओं को अधिक परेशानी से जूझना पड़ता है। अल्ट्रासाउंड कक्ष में भी एक ही चिकित्सक के कंधे पर अल्ट्रासाउंड कराने की जिम्मेदारी हैं।

फरवरी में हुईं थी 168 डिलीवरी
फरवरी माह में जिला अस्पताल में 168 डिलीवरी हुई थीं। जिनको एक संविदा महिला चिकित्सक और एक अस्थायी चिकित्सक की मौजूदगी में किया गया। वहीं, 168 में 91 ऑपरेशन से कराए गए। जिला अस्पताल में सबसे बड़ी अव्यवस्था महिला विंग में चिकित्सकों की भर्ती की है, जो एक परेशानी बन रही है। कई बार तो नर्सिंग कॉलेजों से प्रशिक्षण लेने आईं चिकित्सक ही उपचार करती हुईं मिल जाती हैं, जो एक बड़ी लापरवाही साबित हो सकती है।

जिला अस्पताल में एक रेडियोलॉजिस्ट, तीन से चार महिला चिकित्सक की डिमांड के लिए उच्चाधिकारियों को पत्राचार किया जा चुका है, हर माह डिमांड पत्र भेजा जाता है। शासन स्तर से भर्ती प्रक्रिया पूरी होने पर ही तैनाती की जाएगी। -  प्रेमा पंत त्रिपाठी, सीएमएस

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