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Auraiya News: जिले का एक भी डिग्री कॉलेज हासिल नहीं कर सका नैक सर्टिफिकेट
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औरैया। प्रदेश सरकार के तमाम प्रयास के बाद भी जिले के डिग्री कॉलेज नेशनल असेसमेंट एंड एक्रेडिटेशन काउंसिल (नैक) मूल्यांकन में रुचि नहीं दिखा रहे हैं। इस कारण न तो शिक्षण संस्थानों की शैक्षणिक गुणवत्ता का आकलन हो पा रहा है और न ही छात्र-छात्राओं को शोध, प्लेसमेंट, स्किल-डेवलपमेंट जैसी व्यवस्थाओं का लाभ मिल रहा है। अब तक जिले का एक भी डिग्री कॉलेज नैक सर्टिफिकेट प्राप्त नहीं कर पाया है।
विश्वविद्यालयों के बाद सभी सरकारी व स्ववित्तपोषित महाविद्यालयों का जल्द से जल्द नैक मूल्यांकन कराने का आदेश शासन की ओर से दिया गया था। नैक मूल्यांकन में टीम महाविद्यालय में छात्र-अनुपात, प्रयोगशालाओं की स्थिति, परीक्षा परिणाम, प्लेससमेंट, शोध आदि की स्थिति देखती है। इसके आधार पर महाविद्यालय को एक ग्रेड दिया जाता है। उस ग्रेड से पता चलता है कि महाविद्यालय की शैक्षिक गुणवत्ता कैसी है और वहां छात्रों के लिए कितनी सुविधाएं हैं।
इस ग्रेड का महत्व इसलिए मायने रखता है कि इसी के आधार पर महाविद्यालय की शैक्षणिक गुणवत्ता को सुधारने का कार्य किया जाता है। इसके लिए सरकारी फंडिंग भी प्राप्त की जा सकती है। इसके साथ ही छात्रों को शोध, नवाचार से जोड़ने के लिए सुविधाएं बढ़ाई जाती हैं। जिले के तीन सरकारी डिग्री कॉलेजों में इस पर प्रस्ताव तैयार करने का काम चल भी रहा है, पर अभी तक एक भी प्राइवेट महाविद्यालय ने इसमें रुचि नहीं दिखाई है। वर्तमान में जिले का एक भी डिग्री कॉलेज नैक सर्टिफाइड नहीं है।
नैक मूल्यांकन से कॉलेजों की गुणवत्ता की पारदर्शिता बढ़ती है। शिक्षण-शिक्षक अनुपात, पाठ्यक्रम प्रासंगिकता, शोध-प्रभाव, इंफ्रास्ट्रक्चर और छात्र-सलाह जैसी चीजों का आकलन होता है। नैक प्रमाणन न होने पर छात्रों, अभिभावकों और नियामक संस्थाओं के सामने तुलना और मानक तय करना कठिन हो जाता है। यही कारण है कि प्रदेश सरकार सभी डिग्री कॉलेजों का नैक प्रमाणन कराना चाहती है, ताकि जो महाविद्यालय शैक्षणिक गुणवत्ता सुधारने के लिए प्रयास कर रहे हैं, उनकी मदद की जा सके।
नैक प्रमाणन के लिए आवेदन करने पर एक टीम आकर जांच करती है। टीम महाविद्यालय में शैक्षणिक और प्रयोगात्मक सुविधाएं, लाइब्रेरी, डिजिटल-लर्निंग संसाधन, शौचालय देखती है। इसके अलावा शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण, शोध प्रोजेक्ट, पेपर प्रकाशन और राष्ट्रीय/अंतरराष्ट्रीय सहयोग प्रोत्साहित करने के प्रयास भी इसके लिए देखे जाते हैं।
जिले में अभी कोई डिग्री कॉलेज नैक सर्टिफाइड नहीं है। तीन सरकारी डिग्री कॉलेजों में इसके प्रस्ताव पर कार्य चल रहा है। किसी प्राइवेट कॉलेज की ओर से ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं मिला है। नैक प्रमाणन से शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होता है, व्यवस्था पारदर्शी बनती है। इसके लिए प्रयास कर रहे हैं।
- डॉ. रवि कुमार, को-ऑर्डिनेटर, उच्च शिक्षा विभाग
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विश्वविद्यालयों के बाद सभी सरकारी व स्ववित्तपोषित महाविद्यालयों का जल्द से जल्द नैक मूल्यांकन कराने का आदेश शासन की ओर से दिया गया था। नैक मूल्यांकन में टीम महाविद्यालय में छात्र-अनुपात, प्रयोगशालाओं की स्थिति, परीक्षा परिणाम, प्लेससमेंट, शोध आदि की स्थिति देखती है। इसके आधार पर महाविद्यालय को एक ग्रेड दिया जाता है। उस ग्रेड से पता चलता है कि महाविद्यालय की शैक्षिक गुणवत्ता कैसी है और वहां छात्रों के लिए कितनी सुविधाएं हैं।
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इस ग्रेड का महत्व इसलिए मायने रखता है कि इसी के आधार पर महाविद्यालय की शैक्षणिक गुणवत्ता को सुधारने का कार्य किया जाता है। इसके लिए सरकारी फंडिंग भी प्राप्त की जा सकती है। इसके साथ ही छात्रों को शोध, नवाचार से जोड़ने के लिए सुविधाएं बढ़ाई जाती हैं। जिले के तीन सरकारी डिग्री कॉलेजों में इस पर प्रस्ताव तैयार करने का काम चल भी रहा है, पर अभी तक एक भी प्राइवेट महाविद्यालय ने इसमें रुचि नहीं दिखाई है। वर्तमान में जिले का एक भी डिग्री कॉलेज नैक सर्टिफाइड नहीं है।
नैक मूल्यांकन से कॉलेजों की गुणवत्ता की पारदर्शिता बढ़ती है। शिक्षण-शिक्षक अनुपात, पाठ्यक्रम प्रासंगिकता, शोध-प्रभाव, इंफ्रास्ट्रक्चर और छात्र-सलाह जैसी चीजों का आकलन होता है। नैक प्रमाणन न होने पर छात्रों, अभिभावकों और नियामक संस्थाओं के सामने तुलना और मानक तय करना कठिन हो जाता है। यही कारण है कि प्रदेश सरकार सभी डिग्री कॉलेजों का नैक प्रमाणन कराना चाहती है, ताकि जो महाविद्यालय शैक्षणिक गुणवत्ता सुधारने के लिए प्रयास कर रहे हैं, उनकी मदद की जा सके।
नैक प्रमाणन के लिए आवेदन करने पर एक टीम आकर जांच करती है। टीम महाविद्यालय में शैक्षणिक और प्रयोगात्मक सुविधाएं, लाइब्रेरी, डिजिटल-लर्निंग संसाधन, शौचालय देखती है। इसके अलावा शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण, शोध प्रोजेक्ट, पेपर प्रकाशन और राष्ट्रीय/अंतरराष्ट्रीय सहयोग प्रोत्साहित करने के प्रयास भी इसके लिए देखे जाते हैं।
जिले में अभी कोई डिग्री कॉलेज नैक सर्टिफाइड नहीं है। तीन सरकारी डिग्री कॉलेजों में इसके प्रस्ताव पर कार्य चल रहा है। किसी प्राइवेट कॉलेज की ओर से ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं मिला है। नैक प्रमाणन से शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होता है, व्यवस्था पारदर्शी बनती है। इसके लिए प्रयास कर रहे हैं।
- डॉ. रवि कुमार, को-ऑर्डिनेटर, उच्च शिक्षा विभाग