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हमें आजादी तो मिली, लेकिन हीन भावना से मुक्ति नहीं : मोदी
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29-राम मंदिर से बाहर निकलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व अन्य।- संवाद
- फोटो : सांकेतिक
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अयोध्या। ध्वजारोहण समारोह के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमें आजादी तो मिली, लेकिन हीन भावना से मुक्ति नहीं मिली। हमारे यहां एक विकार आ गया कि विदेश की हर चीज व व्यवस्था अच्छी है। हमारी चीजों में खोट ही खोट है। गुलामी की मानसिकता ने स्थापित किया कि हमने विदेश से लोकतंत्र लिया। कहा गया कि हमारा संविधान भी विदेश से प्रेरित है, जबकि सच यह है कि भारत लोकतंत्र की जननी है। लोकतंत्र हमारे डीएनए में है।
प्रधानमंत्री ने ध्वजारोहण के बाद अपने 33 मिनट के संबोधन की शुरुआत ‘सियावर रामचंद्र की जय, जय सियाराम’ के उद्घोष से की। उन्होंने कहा कि 1835 में मैकाले नामक अंग्रेज ने भारत को अपनी जड़ों से उखाड़ने के बीज बोए थे। उसी ने भारत में मानसिक गुलामी की नींव रखी। 10 वर्ष बाद 2035 में उस अपवित्र घटना को 200 वर्ष पूरे हो रहे हैं। आने वाले 10 वर्षों का लक्ष्य लेकर चलना है कि भारत को गुलामी की मानसिकता से मुक्त करके रहेंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि तमिलनाडु के उत्तरी हिस्से में उत्तीर मेरूर गांव है। वहां हजारों वर्ष पहले का शिलालेख है, जिसमें बताया गया कि उस कालखंड में भी कैसे लोकतांत्रिक तरीके से शासन व्यवस्था चलती थी और लोग कैसे सरकार चुनते थे। हमारे यहां तो मैग्ना कार्टा की प्रशंसा का ही चलन रहा। गुलामी की मानसिकता के कारण हमारी पीढ़ियों को जानकारी से वंचित रखा गया।
नौसेना के ध्वज से गुलामी के हर प्रतीक को हटाया
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने नौसेना के ध्वज से गुलामी के हर प्रतीक को हटाया है और छत्रपति शिवाजी महाराज की विरासत को स्थापित किया। सिर्फ डिजाइन में ही बदलाव नहीं हुआ, बल्कि यह मानसिकता बदलने का क्षण था। यह घोषणा थी कि भारत अपनी शक्ति व प्रतीकों से परिभाषित होगा, न कि किसी और की विरासत से।
प्रभु राम को काल्पनिक मानना गुलामी की ही मानसिकता
मोदी ने कहा कि आज अयोध्या में भी परिवर्तन दिख रहा है। गुलामी की मानसिकता ही है, जिसने इतने वर्षों तक रामत्व को नकारा। भगवान राम अपने आप में वैल्यू सिस्टम हैं। ओरछा के राजा राम से लेकर रामेश्वरम के भक्त राम तक और शबरी के प्रभु राम से लेकर मिथिला के पाहुन राम जी तक, भारत के हर घर, हर भारतीय के मन और भारत के कण-कण में राम हैं। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि गुलामी की मानसिकता इतनी हावी हो गई कि प्रभु राम को भी काल्पनिक घोषित किया जाने लगा।
मैकाले के गुलामी प्रोजेक्ट को करना होगा ध्वस्त
प्रधानमंत्री ने कहा कि यदि हम ठान लें तो अगले 10 साल में मानसिक गुलामी से पूरी तरह मुक्ति पा लेंगे। उसके बाद ऐसी ज्वाला प्रज्ज्वलित होगी और ऐसा आत्मविश्वास बढ़ेगा कि 2047 तक विकसित भारत का सपना पूरा होने से कोई रोक नहीं पाएगा। आने वाले 1000 वर्ष के लिए भारत की नींव तभी सशक्त होगी, जब मैकाले के गुलामी प्रोजेक्ट को हम अगले 10 साल में पूरी तरह ध्वस्त कर देंगे।
आगामी एक हजार वर्ष के लिए मजबूत करनी है भारत की नींव
मोदी ने कहा कि रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर राम से राष्ट्र के संकल्प की चर्चा करते हुए मैंने कहा था कि आने वाले एक हजार वर्षों के लिए भारत की नींव मजबूत करनी है। असल में जो सिर्फ वर्तमान की सोचते हैं, वे आने वाली पीढ़ियों के साथ अन्याय करते हैं। हमें वर्तमान के साथ-साथ भावी पीढ़ियों के बारे में सोचना है। जब हम नहीं थे, यह देश तब भी था, जब हम नहीं रहेंगे, यह देश तब भी रहेगा। हमें दूरदृष्टि के साथ ही काम करना होगा।
प्रधानमंत्री ने ध्वजारोहण के बाद अपने 33 मिनट के संबोधन की शुरुआत ‘सियावर रामचंद्र की जय, जय सियाराम’ के उद्घोष से की। उन्होंने कहा कि 1835 में मैकाले नामक अंग्रेज ने भारत को अपनी जड़ों से उखाड़ने के बीज बोए थे। उसी ने भारत में मानसिक गुलामी की नींव रखी। 10 वर्ष बाद 2035 में उस अपवित्र घटना को 200 वर्ष पूरे हो रहे हैं। आने वाले 10 वर्षों का लक्ष्य लेकर चलना है कि भारत को गुलामी की मानसिकता से मुक्त करके रहेंगे।
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प्रधानमंत्री ने कहा कि तमिलनाडु के उत्तरी हिस्से में उत्तीर मेरूर गांव है। वहां हजारों वर्ष पहले का शिलालेख है, जिसमें बताया गया कि उस कालखंड में भी कैसे लोकतांत्रिक तरीके से शासन व्यवस्था चलती थी और लोग कैसे सरकार चुनते थे। हमारे यहां तो मैग्ना कार्टा की प्रशंसा का ही चलन रहा। गुलामी की मानसिकता के कारण हमारी पीढ़ियों को जानकारी से वंचित रखा गया।
नौसेना के ध्वज से गुलामी के हर प्रतीक को हटाया
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने नौसेना के ध्वज से गुलामी के हर प्रतीक को हटाया है और छत्रपति शिवाजी महाराज की विरासत को स्थापित किया। सिर्फ डिजाइन में ही बदलाव नहीं हुआ, बल्कि यह मानसिकता बदलने का क्षण था। यह घोषणा थी कि भारत अपनी शक्ति व प्रतीकों से परिभाषित होगा, न कि किसी और की विरासत से।
प्रभु राम को काल्पनिक मानना गुलामी की ही मानसिकता
मोदी ने कहा कि आज अयोध्या में भी परिवर्तन दिख रहा है। गुलामी की मानसिकता ही है, जिसने इतने वर्षों तक रामत्व को नकारा। भगवान राम अपने आप में वैल्यू सिस्टम हैं। ओरछा के राजा राम से लेकर रामेश्वरम के भक्त राम तक और शबरी के प्रभु राम से लेकर मिथिला के पाहुन राम जी तक, भारत के हर घर, हर भारतीय के मन और भारत के कण-कण में राम हैं। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि गुलामी की मानसिकता इतनी हावी हो गई कि प्रभु राम को भी काल्पनिक घोषित किया जाने लगा।
मैकाले के गुलामी प्रोजेक्ट को करना होगा ध्वस्त
प्रधानमंत्री ने कहा कि यदि हम ठान लें तो अगले 10 साल में मानसिक गुलामी से पूरी तरह मुक्ति पा लेंगे। उसके बाद ऐसी ज्वाला प्रज्ज्वलित होगी और ऐसा आत्मविश्वास बढ़ेगा कि 2047 तक विकसित भारत का सपना पूरा होने से कोई रोक नहीं पाएगा। आने वाले 1000 वर्ष के लिए भारत की नींव तभी सशक्त होगी, जब मैकाले के गुलामी प्रोजेक्ट को हम अगले 10 साल में पूरी तरह ध्वस्त कर देंगे।
आगामी एक हजार वर्ष के लिए मजबूत करनी है भारत की नींव
मोदी ने कहा कि रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर राम से राष्ट्र के संकल्प की चर्चा करते हुए मैंने कहा था कि आने वाले एक हजार वर्षों के लिए भारत की नींव मजबूत करनी है। असल में जो सिर्फ वर्तमान की सोचते हैं, वे आने वाली पीढ़ियों के साथ अन्याय करते हैं। हमें वर्तमान के साथ-साथ भावी पीढ़ियों के बारे में सोचना है। जब हम नहीं थे, यह देश तब भी था, जब हम नहीं रहेंगे, यह देश तब भी रहेगा। हमें दूरदृष्टि के साथ ही काम करना होगा।