सब्सक्राइब करें
Hindi News ›   Uttar Pradesh ›   Azamgarh News ›   He left playing sarangi and started working as a labourer

Azamgarh News: सारंगी बजाना छोड़ करने लगे मजदूरी

Varanasi Bureau वाराणसी ब्यूरो
Updated Sun, 14 Sep 2025 12:43 AM IST
विज्ञापन
He left playing sarangi and started working as a labourer
10 निजामाबाद तहसील क्षेत्र में सरंगी बजाते जोगी। संवाद
विज्ञापन
निजामाबाद। एक तरफ जहां आज लोग आधुनिकता की दौड़ में पुश्तैनी कला को छोड़ते जा रहे हैं। वहीं एक गांव ऐसा भी है जहां गांव के आधे के करीब लोग आज भी अपनी पुश्तैनी कला से जुड़े हुए हैं। हालांकि इस गांव की युवा पीढ़ी इस कला से न जुड़कर महानगरों में नौकरी और मजदूरी कर रही है। निजामाबाद तहसील क्षेत्र के डोडोपुर ग्राम सभा योगियों के गांव में रूप में जानी जाती है। लगभग 50 परिवार की यह मुस्लिम बस्ती है। एक समय था जब इस गांव के हर परिवार के एक व्यक्ति योगी था। यह लोग सुबह ही गेरुआ वस्त्र धारण कर कंधे पर सारंगी टांगे गांव-गांव घूमते थे। सारंगी बजाकर यह लोग निर्गुण का गायन करते हुए लोगों से अन्न, वस्त्र और धन दान में लेते थे।
loader
Trending Videos

समय बदला और इस गांव की नई युवा पीढ़ी ने इस कला को अपनाने की बजाए नौकरी और मजदूरी करना उचित समझा। आज गांव का युवा महानगरों में मजदूरी कर रहा है। क्योंकि सारंगी बजाकर लोगों से दान लेना गवारा नहीं है। इसका परिणाम है आज गांव में कुछ ही लोग बचे हैं जो सारंगी बजाकर अपने पुश्तैनी कला से जुड़े हैं। यह लोग आजमगढ़ के साथ ही जौनपुर, वाराणसी, मऊ आदि जनपदों में जाकर लोगों से दान लेते हैं।
विज्ञापन
विज्ञापन

हम लोग सैकड़ों वर्ष से इस प्रथा में लगे हुए हैं। सारंगी बजाकर पहले परिवार का भरण पोषण आसानी से आसपास के गांव से हो जाया करता था लेकिन इसके लिए अब हम लोगों को लगभग 15 किमी दूर टेंपो से बैठकर जाना पड़ता है। तब जाकर कहीं कुछ अन्य का दाना हम लोगों को मिलता है। - सज्जाक
इस प्रथा को अब नई पीढ़ी नहीं करने को तैयार है। नई पीढ़ी के बच्चे दिल्ली और मुंबई जाकर अपना कमा रहे हैं। हम लोग किसी तरीके से सरंगी बजाकर अपने परिवार का भरण पोषण कर ले रहे हैं, लेकिन आगे आने वाली पीढ़ी अब इस कार्य को नहीं करेगी। -कौसर
हम इस प्रथा में पूर्वजों के दिशा निर्देश पर चला रहे हैं। हमारे पिताजी भी इसी तरीके से अपने परिवार का भरण पोषण मांग कर करते चले आए हैं और हम भी सुबह छह बजे घर से निकलते हैं और रात में घर आते हैं। किसी तरीके से परिवार का भरण पोषण मांग कर चलाते हैं। - गुड्डू
विज्ञापन
विज्ञापन

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

एप में पढ़ें

Followed