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Baghpat: नौकरी डॉट कॉम पर विज्ञापन, फर्जी इंटरव्यू और नियुक्ति पत्र, 6450 युवाओं को लगाया चूना; ऐसे पकड़ा गैंग
अमर उजाला नेटवर्क, बागपत
Published by: मेरठ ब्यूरो
Updated Mon, 22 Dec 2025 02:20 PM IST
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सार
देशभर के हजारों युवाओं के साथ ठगी करने वाले सात आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। ये लोग छह साल से बेरोजगार युवाओं को ठग रहे थे। इसके लिए इन्होंने कई जिलों में कॉल सेंटर भी खोले हुए थे।
पकड़े गए आरोपी।
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
देशभर के 6450 युवाओं को नौकरी के फर्जी नियुक्ति पत्र देकर करोड़ों रुपये ठगने वाले सात ठगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। यह सभी नौकरी डॉट कॉम और ओएलएक्स पर नौकरी के फर्जी विज्ञापन अपलोड कर छह साल से बेरोजगार युवाओं को निशाना बना रहे थे। इसके लिए बड़ौत, नोएडा, दिल्ली और मुजफ्फरनगर में कॉल सेंटर खोल रखे थे। इनके पास से 6450 युवाओं को भेजे गए नियुक्ति पत्र, 12 मोबाइल, दो सिमकार्ड, दो लैपटॉप, 15 बैंक पासबुक, चेकबुक समेत अन्य सामान बरामद किया गया।
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पकड़ी गईं आरोपी।
- फोटो : अमर उजाला
भारत सरकार के प्रतिबिंब पोर्टल पर जिले के दो मोबाइल नंबरों से साइबर ठगी होने की शिकायत दर्ज हुई तो पुलिस ने जांच शुरू की। पुलिस की जांच में कई ठगों का पता चल गया तो उनकी तलाश में पुलिस लग गई। रविवार सुबह ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे पर मवीकलां के पास से पुलिस ने गिरोह के सरगना अनुज निवासी ख्वाजा नंगला व हाल निवासी न्यू अशोक नगर पूर्वी दिल्ली के साथ शिवानी निवासी बेगराजपुर जिला मुजफ्फरनगर, आशा निवासी सेक्टर-41 नोएडा, मोहित, पुनीत, वरदान निवासी बड़ौत और अक्षय निवासी सोंटा अलीपुर जिला शामली को गिरफ्तार कर लिया। आरोपियों ने बड़ौत, नोएडा, दिल्ली और मुजफ्फरनगर में कॉल सेंटर चलाकर बेरोजगार युवाओं से ठगी करना स्वीकार किया।
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इन्होंने बताया कि नौकरी डॉट कॉम और ओएलएक्स पर फर्जी विज्ञापन अपलोड कर देते थे। आवेदन करने के बाद पूरी प्रक्रिया के दौरान युवाओं से 20 से 25 हजार रुपये मंगवा लिए जाते थे, उनको बैंक व कंपनियों के नियुक्ति पत्र भेज दिए जाते थे। बाद में युवाओं का फोन नहीं उठाते थे और उसे ब्लैकलिस्ट कर देते थे।
इस मामले में एसपी सूरज कुमार राय का कहना है कि गिरफ्तार किए गए ठगों के पास से 6450 युवाओं को भेजे गए नौकरी लगने के नियुक्ति पत्र बरामद किए गए हैं। इनमें उत्तर प्रदेश, दिल्ली, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, हरियाणा, राजस्थान समेत अन्य प्रदेशों के युवकों के नाम से नियुक्ति पत्र हैं।
इस मामले में एसपी सूरज कुमार राय का कहना है कि गिरफ्तार किए गए ठगों के पास से 6450 युवाओं को भेजे गए नौकरी लगने के नियुक्ति पत्र बरामद किए गए हैं। इनमें उत्तर प्रदेश, दिल्ली, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, हरियाणा, राजस्थान समेत अन्य प्रदेशों के युवकों के नाम से नियुक्ति पत्र हैं।
पहले मोबाइल पर करते थे ठगी, कोरोनाकाल में खोले कॉल सेंटर
एसपी सूरज कुमार राय ने बताया कि पूछताछ में पता चला कि गिरोह का सरगना अनुज है, जो वर्ष 2018 में बागपत और दिल्ली से जेल जा चुका है। पहले मोबाइल से ऐसे ही बात करके ठगी करते थे। कोरोनाकाल में अनुज ने कॉल सेंटर खोलकर अन्य युवकों को अपने साथ जोड़ा। कॉल सेंटर से युवाओं को नौकरी का झांसा देकर फंसाया गया। जांच में पता चला कि साइबर ठगों ने नियुक्ति पत्र भेजने के अलावा भी हजारों युवकों से ठगी की है।
एसपी सूरज कुमार राय ने बताया कि पूछताछ में पता चला कि गिरोह का सरगना अनुज है, जो वर्ष 2018 में बागपत और दिल्ली से जेल जा चुका है। पहले मोबाइल से ऐसे ही बात करके ठगी करते थे। कोरोनाकाल में अनुज ने कॉल सेंटर खोलकर अन्य युवकों को अपने साथ जोड़ा। कॉल सेंटर से युवाओं को नौकरी का झांसा देकर फंसाया गया। जांच में पता चला कि साइबर ठगों ने नियुक्ति पत्र भेजने के अलावा भी हजारों युवकों से ठगी की है।
इस तरह करते थे ठगी
एसपी सूरज कुमार राय ने बताया कि नौकरी डॉट कॉम और ओएलएक्स पर नौकरी का विज्ञापन देकर युवा आवेदन कर देते थे। इससे इच्छुक युवाओं की जानकारी कॉल सेंटर में पहुंच जाती थी। इसके बाद कॉल सेंटर में बैठी युवतियां इच्छुक युवाओं को फोन करके नौकरी के बारे में जानकारी देतीं और उनसे रजिस्ट्रेशन कराने के लिए 2150 रुपये ट्रांसफर करा लेती थी। नौकरी के लिए शपथपत्र और फाइल तैयार कराने के लिए पांच हजार या फिर दस हजार रुपये ट्रांसफर कराते थे।
इसके कुछ दिन बाद युवाओं को फोन करके नौकरी लगने की जानकारी देकर ईमेल पर नियुक्ति पत्र भेज दिया जाता, जिसमें किसी भी जिले की बैंक शाखा का नाम दर्ज होता था। फिर फोन करके दिल्ली मुख्यालय से नियुक्ति में गड़बड़ी की जानकारी देने के बाद फोन नंबर ब्लैकलिस्ट कर दिया जाता। अधिकांश युवाओं से 20 से 25 हजार रुपये की ठगी की गई।
एसपी सूरज कुमार राय ने बताया कि नौकरी डॉट कॉम और ओएलएक्स पर नौकरी का विज्ञापन देकर युवा आवेदन कर देते थे। इससे इच्छुक युवाओं की जानकारी कॉल सेंटर में पहुंच जाती थी। इसके बाद कॉल सेंटर में बैठी युवतियां इच्छुक युवाओं को फोन करके नौकरी के बारे में जानकारी देतीं और उनसे रजिस्ट्रेशन कराने के लिए 2150 रुपये ट्रांसफर करा लेती थी। नौकरी के लिए शपथपत्र और फाइल तैयार कराने के लिए पांच हजार या फिर दस हजार रुपये ट्रांसफर कराते थे।
इसके कुछ दिन बाद युवाओं को फोन करके नौकरी लगने की जानकारी देकर ईमेल पर नियुक्ति पत्र भेज दिया जाता, जिसमें किसी भी जिले की बैंक शाखा का नाम दर्ज होता था। फिर फोन करके दिल्ली मुख्यालय से नियुक्ति में गड़बड़ी की जानकारी देने के बाद फोन नंबर ब्लैकलिस्ट कर दिया जाता। अधिकांश युवाओं से 20 से 25 हजार रुपये की ठगी की गई।
एक-दूसरे को अधिकारी बताकर करा देते थे इंटरव्यू
साइबर ठगों ने युवाओं को अपने जाल में फंसाने के लिए एक डायरी बना रखी है, जिसमें युवाओं को फंसाने की पूरी योजना लिखी हुई है। इसके लिए गिरोह के सदस्यों को डायरी में लिखी योजना के अनुसार प्रशिक्षित भी किया जाता था। इसके बाद नौकरी के झांसे में आए युवाओं का इंटरव्यू भी ऑनलाइन किया जाता था। एसपी ने बताया कि कभी अनुज अपने साथी मोहित और पुनीत को कंपनी का अधिकारी बताकर इंटरव्यू करा देता तो कभी मोहित अपने साथी अनुज और पुनीत को अधिकारी बताकर इंटरव्यू करा देते थे।
साइबर ठगों ने युवाओं को अपने जाल में फंसाने के लिए एक डायरी बना रखी है, जिसमें युवाओं को फंसाने की पूरी योजना लिखी हुई है। इसके लिए गिरोह के सदस्यों को डायरी में लिखी योजना के अनुसार प्रशिक्षित भी किया जाता था। इसके बाद नौकरी के झांसे में आए युवाओं का इंटरव्यू भी ऑनलाइन किया जाता था। एसपी ने बताया कि कभी अनुज अपने साथी मोहित और पुनीत को कंपनी का अधिकारी बताकर इंटरव्यू करा देता तो कभी मोहित अपने साथी अनुज और पुनीत को अधिकारी बताकर इंटरव्यू करा देते थे।
मजदूरों के आधार कार्ड पर खरीदे सिम से हुई ठगी
जांच में पता चला कि बड़ौत निवासी वरदान, मोहित और अक्षय क्षेत्र के मजदूर वर्ग के लोगों को अपनी बातों में फंसाकर या फिर शराब पिलाकर उनके आधार कार्ड पर कई सिम निकलवाकर अनुज को दे देते थे। इसी तरह ठगी की रकम मंगवाने के लिए बैंक खाते भी खुलवाकर सरगना अनुज को दे देते थे।
जांच में पता चला कि बड़ौत निवासी वरदान, मोहित और अक्षय क्षेत्र के मजदूर वर्ग के लोगों को अपनी बातों में फंसाकर या फिर शराब पिलाकर उनके आधार कार्ड पर कई सिम निकलवाकर अनुज को दे देते थे। इसी तरह ठगी की रकम मंगवाने के लिए बैंक खाते भी खुलवाकर सरगना अनुज को दे देते थे।
