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Bahraich News: सीमा पर सन्नाटा, हर रोज 10 करोड़ का नुकसान
संवाद न्यूज एजेंसी, बहराइच
Updated Fri, 12 Sep 2025 02:10 AM IST
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रुपईडीहा लैंडपोर्ट पर कतार में खड़े ट्रक नेपाल में हालात सामान्य होने के इंतजार में हैं। ट्रको
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रुपईडीहा (बहराइच)। नेपाल में हो रही हिंसा और कर्फ्यू का असर बृहस्पतिवार को भारत-नेपाल सीमा पर साफ दिखा। सरहद पर सन्नाटा रहा। दोनों तरफ से आयात-निर्यात पूरी तरह से ठप रहा। इस हालत में सीमा पर रोजाना का नुकसान लगभग 10 करोड़ रुपये से भी अधिक पहुंच गया है।
लैंड पोर्ट कार्यालय परिसर में नेपाल जाने के लिए करीब एक हजार से अधिक ट्रक खड़े हैं। इनमें वे ट्रक भी शामिल हैं जो नेपाल कस्टम (भंसार) दफ्तर के भीतर थे, लेकिन हालात बिगड़ने के बाद भारतीय सीमा में आ गए। कतार में खड़े फल-सब्जी के ट्रकों से अब बदबू आने लगी है।
नेपाल में हालात बिगड़ने के बाद से वहां कस्टम कार्यालय व व्यापारी अब माल रिसीव करने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं। चार दिनों से लगातार खड़े ट्रकों पर लदे सामान खराब होने लगे हैं। ट्रकों पर लदे चावल, गेहूं और किराना के सामान भी धीरे-धीरे खराब होने लगे हैं।
पेट्रोलियम पदार्थ और अन्य सामान लदी गाड़ियां भी बंदी की मार झेल रही हैं। लैंड पोर्ट दफ्तर के एक अधिकारी का कहना है कि केवल ट्रकों का किराया ही हर दिन करीब 45 लाख रुपये लग रहा है। चार दिनों से एक भी ट्रक नेपाल नहीं गया है। ऐसे में किराया खर्च 1.80 लाख रुपये से ऊपर चला गया है। टैक्स और अन्य खर्च अलग से है।
दोनों देशों के बीच आयात निर्यात ठप होने के साथ ही सीमावर्ती रुपईडीहा, मिहींपुरवा और बिछिया बाजार 90 फीसदी तक नेपाली ग्राहकों पर निर्भर रहते हैं। बॉर्डर बंद होने से नेपाली नागरिक खरीदारी करने नहीं आ पा रहे हैं। बाजार वीरान हैं। व्यापार मंडल पदाधिकारियों का कहना है कि रोजमर्रा की खरीदारी ठप होने से हजारों परिवारों की रोजी-रोटी पर संकट गहरा गया है।
लैंडपोर्ट कार्यालय परिसर में नेपाल जाने के लिए लगी गाड़ियों की संख्या लगातार बढ़ रही हैं। इससे कारोबारी भी बेचैन हैं। उधर, सुरक्षा बल लगातार सीमा पर गश्त कर रहे हैं। सिर्फ रोगियों या दवाइयों की खरीद करने के लिए ही नेपाली लोगों को एसएसबी आने दे रही है।
स्थानीय बाजार में बेचना पड़ा माल
हरी सब्जियों से लदे ट्रकों के चालकों का कहना है कि माल सड़ने की नौबत आ गई थी। मजबूरी में ट्रक मालिकों के आदेश पर गोभी, पालक, टमाटर, बींस, तरोई, लोबिया, लौकी और कद्दू को स्थानीय बाजार में औने-पौने दाम पर बेचना पड़ा। बहराइच निवासी ट्रक चालक शिवकुमार यादव ने बताया, चार दिन से ट्रक खड़ा है। सब्ज़ी खराब हो रही थी, इसलिए मालिक ने कहा कि जैसे भी हो, लोकल मंडी में बेच दो। हमें घाटे में ही सही लेकिन माल उतारना पड़ा।
ट्रक चालकों के समक्ष खाने-पीने का संकट
लैंडपोर्ट परिसर में विभिन्न राज्यों से आए ट्रक चालक अब भोजन-पानी की किल्लत झेल रहे हैं। चार दिन से ट्रक में रखा राशन खत्म हो गया है। कई चालकों के पास होटल में खाने के भी पैसे नहीं बचे हैं। कानपुर निवासी चालक रामनरेश ने बताया कि हमने सोचा था कि माल नेपालगंज में उतरते ही लौट जाएंगे, लेकिन यहां फंस गए हैं। न तो खाने की व्यवस्था है, न ही आगे का कोई भरोसा। यही हाल दिल्ली से लोई लेकर आए ट्रक चालक मनोज कुमार का है। मनोज का कहना है कि नहीं पता कब तक ऐसे ही हालात रहेंगे।
मछली, फल और सब्जियों से लदे ट्रक अब वापस लौट रहे हैं। मौजूदा समय में चावल, मशीनरी, पेट्रोल, गैस, डीजल, धान और मक्का लदे ट्रक ही खड़े हैं। हालात सामान्य होने पर ये ट्रक नेपाल निर्यात के लिए भेजे जाएंगे।
-सुधीर शर्मा, प्रबंधक आईसीपी रूपईडीहा

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लैंड पोर्ट कार्यालय परिसर में नेपाल जाने के लिए करीब एक हजार से अधिक ट्रक खड़े हैं। इनमें वे ट्रक भी शामिल हैं जो नेपाल कस्टम (भंसार) दफ्तर के भीतर थे, लेकिन हालात बिगड़ने के बाद भारतीय सीमा में आ गए। कतार में खड़े फल-सब्जी के ट्रकों से अब बदबू आने लगी है।
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नेपाल में हालात बिगड़ने के बाद से वहां कस्टम कार्यालय व व्यापारी अब माल रिसीव करने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं। चार दिनों से लगातार खड़े ट्रकों पर लदे सामान खराब होने लगे हैं। ट्रकों पर लदे चावल, गेहूं और किराना के सामान भी धीरे-धीरे खराब होने लगे हैं।
पेट्रोलियम पदार्थ और अन्य सामान लदी गाड़ियां भी बंदी की मार झेल रही हैं। लैंड पोर्ट दफ्तर के एक अधिकारी का कहना है कि केवल ट्रकों का किराया ही हर दिन करीब 45 लाख रुपये लग रहा है। चार दिनों से एक भी ट्रक नेपाल नहीं गया है। ऐसे में किराया खर्च 1.80 लाख रुपये से ऊपर चला गया है। टैक्स और अन्य खर्च अलग से है।
दोनों देशों के बीच आयात निर्यात ठप होने के साथ ही सीमावर्ती रुपईडीहा, मिहींपुरवा और बिछिया बाजार 90 फीसदी तक नेपाली ग्राहकों पर निर्भर रहते हैं। बॉर्डर बंद होने से नेपाली नागरिक खरीदारी करने नहीं आ पा रहे हैं। बाजार वीरान हैं। व्यापार मंडल पदाधिकारियों का कहना है कि रोजमर्रा की खरीदारी ठप होने से हजारों परिवारों की रोजी-रोटी पर संकट गहरा गया है।
लैंडपोर्ट कार्यालय परिसर में नेपाल जाने के लिए लगी गाड़ियों की संख्या लगातार बढ़ रही हैं। इससे कारोबारी भी बेचैन हैं। उधर, सुरक्षा बल लगातार सीमा पर गश्त कर रहे हैं। सिर्फ रोगियों या दवाइयों की खरीद करने के लिए ही नेपाली लोगों को एसएसबी आने दे रही है।
स्थानीय बाजार में बेचना पड़ा माल
हरी सब्जियों से लदे ट्रकों के चालकों का कहना है कि माल सड़ने की नौबत आ गई थी। मजबूरी में ट्रक मालिकों के आदेश पर गोभी, पालक, टमाटर, बींस, तरोई, लोबिया, लौकी और कद्दू को स्थानीय बाजार में औने-पौने दाम पर बेचना पड़ा। बहराइच निवासी ट्रक चालक शिवकुमार यादव ने बताया, चार दिन से ट्रक खड़ा है। सब्ज़ी खराब हो रही थी, इसलिए मालिक ने कहा कि जैसे भी हो, लोकल मंडी में बेच दो। हमें घाटे में ही सही लेकिन माल उतारना पड़ा।
ट्रक चालकों के समक्ष खाने-पीने का संकट
लैंडपोर्ट परिसर में विभिन्न राज्यों से आए ट्रक चालक अब भोजन-पानी की किल्लत झेल रहे हैं। चार दिन से ट्रक में रखा राशन खत्म हो गया है। कई चालकों के पास होटल में खाने के भी पैसे नहीं बचे हैं। कानपुर निवासी चालक रामनरेश ने बताया कि हमने सोचा था कि माल नेपालगंज में उतरते ही लौट जाएंगे, लेकिन यहां फंस गए हैं। न तो खाने की व्यवस्था है, न ही आगे का कोई भरोसा। यही हाल दिल्ली से लोई लेकर आए ट्रक चालक मनोज कुमार का है। मनोज का कहना है कि नहीं पता कब तक ऐसे ही हालात रहेंगे।
मछली, फल और सब्जियों से लदे ट्रक अब वापस लौट रहे हैं। मौजूदा समय में चावल, मशीनरी, पेट्रोल, गैस, डीजल, धान और मक्का लदे ट्रक ही खड़े हैं। हालात सामान्य होने पर ये ट्रक नेपाल निर्यात के लिए भेजे जाएंगे।
-सुधीर शर्मा, प्रबंधक आईसीपी रूपईडीहा