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Barabanki News: विशेषज्ञता के बाद भी इलाज छोड़ निपटा रहे प्रशासनिक काम

संवाद न्यूज एजेंसी, बाराबंकी Updated Fri, 09 May 2025 12:47 AM IST
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Despite having expertise, they are leaving treatment and doing administrative work
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बाराबंकी। सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी से मरीजों को समय पर उचित इलाज नहीं मिल पा रहा है। इसके बावजूद विभाग के पास जो विशेषज्ञ हैं, वह मरीजों को देखने के बजाए प्रशासनिक काम निपटाने में ज्यादा रुचि दिखा रहे हैं। इसके चलते गंभीर मरीजों को इलाज के लिए लखनऊ तक की दौड़ लगाना पड़ रही है। जिला अस्पताल में इस समय महज दो डॉक्टर हैं, जो पदोन्नति के बाद भी ओपीडी में बैठकर मरीजों को देखते हैं। जबकि अन्य डॉक्टर विभागीय काम-काज निपटाने में व्यस्त रहते हैं।
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शासन का आदेश है कि प्रशासनिक काम काज संभालने वाले विशेषज्ञता प्राप्त चिकित्सक भी सप्ताह में एक दिन किसी न किसी अस्पताल की ओपीडी में बैठकर मरीजों को देखेंगे। इसके बावजूद जिले में इस आदेश का अनुपालन नहीं हो रहा है। सीएमओ डॉ. अवेधश यादव, एसीएमओ डॉ. आरएस स्वामी, डॉ. राजीव टंडन, सीएचसी अधीक्षक डॉ. अविचल भटनागर बेहोशी के विशेषज्ञ हैं। लेकिन महिला अस्पताल और दो सीएचसी को छोड़कर किसी भी अस्पताल में बेहोशी के डॉक्टर नहीं हैं। इससे यहां पर आने वाली प्रसूताओं को तत्काल रेफर कर दिया जाता है। डॉ. अविचल को भले ही सीएचसी जहांगीराबाद का अधीक्षक बना दिया गया हो परंतु यहां महज ओपीडी की ही सुविधा है।
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इसके अलावा एसीएमओ डॉ. डीके श्रीवास्तव, डिप्टी सीएमओ डॉ. राजीव सिंह, डॉ. एलबी गुप्ता नेत्र रोग विशेषज्ञ है लेकिन पूरा दिन फाइलों में ही उलझे रहते हैं। इनकी विशेषज्ञता का लाभ मरीजों को नहीं मिल पा रहा है। (संवाद)
ओपीडी में दिखते हैं दो डॉक्टर
डिप्टी सीएमओ डॉ. संजय बाबू नेत्र रोग सर्जन हैं और ज्यादातर समय ओपीडी में देते हैं इसके अलावा आंख के आपरेशन भी करते हैं। दूसरे डिप्टी सीएमओ हैं डॉ. सुरेंद्र कुमार जो त्वचा रोग विशेषज्ञ है और जिला अस्पताल की ओपीडी में मिलते हैं।

अब तक करा चुके हैं 150 से ज्यादा प्रसव
डिप्टी सीएमओ डॉ. नासिर कमाल गायनी सर्जन हैं। अगर किसी भी सीएचसी पर प्रसूता की तबियत बिगड़ जाती है तो उन्हें बतौर सर्जन चिकित्सक कॉल किया जाता है। यह जुलाई 22 में जिले में आए हैं और तब से सर्जरी के जरिए अब तक करीब 150 से ज्यादा प्रसव करा चुके हैं।
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