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बर्बादी का मंजर देख काश्तकारों की उड़ी नींद
अमर उजाला ब्यूरो/बाराबंकी
Updated Tue, 15 Mar 2016 11:54 PM IST
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बाराबंकी। तेज हवा व बारिश के चलते खेत में गिरी बर्बाद हुई गेहूं की फसल।
- फोटो : अमर उजाला
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बेमौसम बारिश ने एक बार फिर किसानों की नींद उड़ा दी है। खेतों में गिरी फसल देख किसान पिछले साल की बर्बादी को भूल नहीं पा रहा है। यही नहीं खेतों में काट कर डाली गई सरसों की फसल को भी खासा नुकसान हुआ। इसके अलावा खेतों में बोरों में भरकर पड़ा आलू भीग जाने की वजह से उसके सड़ने का खतरा बढ़ गया है।
गेहूं की फसल को 25 प्रतिशत तो सरसों की फसल को 40 प्रतिशत तक नुकसान हो सकता है। किसानों की समझ नहीं आ रहा है कि आखिर उनकी किस्मत इतना क्यों रूठ गई है। क्योंकि पिछले साल तीन बार फसल मौसम की भेंट चढ़ चुकी है।
जिले में इस बार गेहूं 1 लाख 66 हजार हेक्टेअर, सरसों 31 हजार हेक्टेअर और आलू 17 सौ हेक्टअर में बोया गया है। इसके अलावा मसूर, चना, अरहर आदि की फसलों की बोआई भी किसानों ने की है।
ठंडक कम होने की वजह से गेहूं और आलू की पैदावार पहले से ही प्रभावित होने की बात कृषि विशेषज्ञ कर रहे थे लेकिन इस बात की उम्मीद किसी को नहीं थी कि पिछले साल की तरह इस वर्ष भी बारिश और ओले की चपेट में आकर गेहूं, सरसों और आलू की फसल प्रभावित होगी। पर ऐसा ही हुआ।
सोमवार को हुई बारिश और गिरे ओलाें ने किसानों की नींद उड़ा दी है। किसानों की माने तो अभी पिछले साल बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से फसल को जो नुकसान हुआ था उसका मुआवजा आज तक नहीं मिल सका है। इस बार फिर बारिश और ओलों ने फसल को चौपट कर दिया है।

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जिले में इस बार गेहूं 1 लाख 66 हजार हेक्टेअर, सरसों 31 हजार हेक्टेअर और आलू 17 सौ हेक्टअर में बोया गया है। इसके अलावा मसूर, चना, अरहर आदि की फसलों की बोआई भी किसानों ने की है।
ठंडक कम होने की वजह से गेहूं और आलू की पैदावार पहले से ही प्रभावित होने की बात कृषि विशेषज्ञ कर रहे थे लेकिन इस बात की उम्मीद किसी को नहीं थी कि पिछले साल की तरह इस वर्ष भी बारिश और ओले की चपेट में आकर गेहूं, सरसों और आलू की फसल प्रभावित होगी। पर ऐसा ही हुआ।
सोमवार को हुई बारिश और गिरे ओलाें ने किसानों की नींद उड़ा दी है। किसानों की माने तो अभी पिछले साल बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से फसल को जो नुकसान हुआ था उसका मुआवजा आज तक नहीं मिल सका है। इस बार फिर बारिश और ओलों ने फसल को चौपट कर दिया है।