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Farrukhabad News: कोयले पर जीएसटी बढ़ने से महंगी होगी ईंट, मकान बनाने की बढ़ेगी लागत

Kanpur	 Bureau कानपुर ब्यूरो
Updated Fri, 26 Sep 2025 01:35 AM IST
सार

फर्रुखाबाद में कोयले पर जीएसटी दर बढ़ाकर 18 प्रतिशत कर दी गई है। इससे ईंटों की कीमत बढ़ने और मकान निर्माण महंगा होने की संभावना है। इसका सीधा असर प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभार्थियों पर पड़ेगा।

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Rising GST on coal will make bricks more expensive, increase the cost of building houses.
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विस्तार
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फर्रुखाबाद। कोयले पर जीएसटी बढ़ने से ईंटें महंगी होंगी। इससे मकान बनाने की लागत बढ़ेगी, क्योंकि कोयला ईंट भट्ठों में मुख्य ईंधन है। कोयले पर बढ़ी हुई जीएसटी दर का सीधा असर ईंट निर्माण उद्योग पर पड़ने की आशंका है। इसमें खासकर प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभार्थियों पर सबसे ज्यादा असर पड़ेगा। राज्य वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की नई दरें लागू होने के बाद मकान बनाना महंगा हो सकता है। ईट भट्टा संचालन में इस्तेमाल किए जाने वाले कोयले पर जीएसटी पांच फीसद से बढ़कर 18 फ़ीसदी हो जाएगी। इससे प्रति हजार ईट 200 रुपये तक महंगी हो सकती है। वर्तमान में ईंट की औसत कीमत बाजार में 7500 प्रति हजार है।
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जिले में करीब 125 ईट भट्टा संचालित होते हैं। इन सभी पर कोयले की कीमतों का असर पड़ेगा। अब तक कोयले पर पांच प्रतिशत जीएसटी लगती थी। इसके साथ प्रतिदिन 400 रुपये सेस (ग्रीन टैक्स) भी लगता था। अब सरकार ने सेस को समाप्त कर दिया है। ईंट निर्माता विजय यादव बताते हैं कि एक टन कोयले की कीमत 14000 रुपए तक है। एक ट्रक में 40 से 42 टन तक कोयला आता है। अब एक ट्रक कोयला पर भट्ठा संचालक को 48 से 54 हजार तक अतिरिक्त धनराशि जीएसटी में अदा करनी पड़ सकती है। इसका सीधा असर ईट की कीमत पर पड़ेगा।
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ईट पर छह और 12 फीसदी जीएसटी

अभी तक ईंट की स्लैब छह फीसदी बिना आईटीसी के और 12 फीसदी आईटीसी के साथ है। जीएसटी विभाग के अधिकारियों की माने तो 90 फ़ीसदी भट्ठा संचालक छह फ़ीसदी वाले स्लैब में जीएसटी का भुगतान करते हैं। इसमें आईटीसी क्लेम का प्रावधान ही नहीं है। उनके लिए यह सुविधाजनक पड़ता है आगे भी यही स्लैब रह सकती है





सीमेंट में मिली है थोड़ी राहत



सीमेंट को जीएसटी की 28 फ़ीसदी की स्लैब से घटाकर 18 फ़ीसदी कि स्लैब में रखा गया है। इससे सीमेंट के दाम में कमी आएगी। अगर कोई सीमेंट की बोरी 400 की है, तो अब उसकी दर में 40 रुपयेे की कमी आ जाएगी। इसके अलावा टाइल्स, सरिया, बालू, बजरी आदि पहले भी 18 फ़ीसदी की स्लेब में थी। नई दरों में भी इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है।


फोटो-06, नारायण प्रसाद अग्रवाल



पहले एक वर्ष में आठ महीने भट्टा चलाते थे। जब से सरकार द्वारा पर्यावरण और संचालन के नए नियम किए गए हैं, तब से मात्र चार महीने ही भट्टा संचालित होते हैं। इस तरह पहले से उत्पादन कम हुआ है। अब कोयले पर जीएसटी बढ़ने से लागत पड़ेगी।

नारायण प्रसाद अग्रवाल कोषाध्यक्ष ईट भट्ठा संघ




फोटो-07, महेंद्र कटियार

खर्चा बढ़ने से ईंट के दाम बढ़ जाएंगे। पहले से ही भट्ठा संचालक मौसम, श्रम, पर्यावरण, आदि अन्य समस्याओं से जूझ रहे हैं। कई तरह के प्रतिबंध आदि का सामना कर रहे हैं। अब कोयले की कीमत बढ़ने से और भी असर पड़ेगा।



महेंद्र कटियार ईंट भट्ठा संचालक फर्रुखाबाद
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