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#KabTakNirbhaya हैदराबाद की घटना पर गोरखपुर से उठी आवाज, दुष्कर्मियों को फांसी हो

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, गोरखपुर Published by: विजय जैन Updated Thu, 05 Dec 2019 10:34 AM IST
सार

  • बिना अपील मिले दुष्कर्मियों को सजा
  • हैदराबाद की घटना के प्रति महिलाओं में दिखा आक्रोश, कानून सख्त
  • अमर उजाला फाउंडेशन की तरफ से संवाद कार्यक्रम का हुआ आयोजन
  • हैदराबाद की घटना के बाद कानून को और सख्त बनाने की मांग

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Amar ujala Aprajita 100 million smiles, gorakhpur Womens Discussed for Girls Safety
अमर उजाला दफ्तर में अपराजिता मुहिम के तहत हैदराबाद में महिला डॉक्टर की रेप कर हत्या के विरोध में आयोजित परिचर्चा में राय रखती महिलाएं - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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महिला से दुष्कर्म और उनकी हत्या के आरोपियों को बिना अपील के सजा मिले, ऐसी व्यवस्था की जानी चाहिए। दुष्कर्मी को अपील का मौका मिलने पर सजा में देरी तय है। आरोपियों को सरकारी वकील भी नहीं दिया जाना चाहिए।
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यह विचार अमर उजाला फाउंडेशन की तरफ से बुधवार को सिटी ऑफिस में आयोजित संवाद में रखे गए। हैदराबाद में महिला चिकित्सक की दुष्कर्म के बाद हत्या से महिलाओं में जबरदस्त नाराजगी है।
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कार्यक्रम में आई महिलाओं ने कहा कि दुष्कर्म जैसी वारदात में शामिल अपराधियों को उनके अंजाम तक पहुंचाने में देर नहीं करनी चाहिए। उनको 15 दिन के अंदर सजा मिलनी चाहिए।

माता-पिता को बच्चों की गतिविधियों पर नजर रखनी चाहिए। मोबाइल का प्रयोग जितना कम करें उतना ही अच्छा। दुष्कर्म का संबंध जाति या धर्म से नहीं होता है। यह सीधा संबंध संस्कारों से है। अगर बच्चों को अच्छा संस्कार दिए जाएं तो वे  दुष्कर्म जैसे अपराध में कभी शामिल नहीं होंगे। - संगीता मल्ल, समाज सेवी

लड़की होना अपराध नहीं है। बेटा और बेटी में कोई अंतर नहीं होता। आजकल मोबाइल पर आने वाले अश्लील विज्ञापन भी बच्चों को गलत रास्ते पर ले जा रहे हैं। दुष्कर्म जैसी घटनाओं के दोषियों को 15 दिनों में सजा मिल जानी चाहिए। अपराधियों को अपील का मौका नहीं दिया जाना चाहिए। - शालिनी श्रीनेत, समाज सेवी

बच्चों की सही देखरेख जरूरी है। खासकर इस पर जरूर ध्यान दें आप का बच्चा कहां आता जाता है। किस तरह के लोगों से मिलता है। गलत संगत का नतीजा खराब ही सामने आता है। बेटियों को गुड टच, बैड टच की जानकारी जरूर दें। बेटियों के उत्पीड़न की शुरूआत इसी से होती है। -उपासना गुप्ता, लाइफ प्लानिंग ऑफिसर 

दुष्कर्मियों को सजा दिलाने के लिए कानून तो है पर इसकी प्रक्रिया बहुत ही धीमी है। 1995 के तंदूर कांड के आरोपियों को अभी तक सजा नहीं मिल सकी। इस धीमी प्रक्रिया को तेज बनाने की जरूरत है। दुष्कर्मियों को 15 दिनों केे अंदर सजा मिलना अनिवार्य किया जाना चाहिए। -चित्रा देवी, समाज सेवी 

हमें मानसिकता को बदलना होगा। छोटे कपड़े पहनने गलत बताने वालों को अपनी सोच ठीक करनी होगी। दुष्कर्म जैसे अपराध पर भी सजा मिलने तक इतने साल लग जाते हैं कि अपराधियों में कानून का भय स्थापित नहीं हो पाता। सालों साल केस चलता है। नाबालिग छोड़ दिए जाते हैं। -डॉ. दिशा चौधरी, चिकित्सक

हम सभी पैसों की तरफ भाग रहे हैं। बच्चे क्या कर रहें, इसका पता नहीं होता। बच्चों को समय देने के साथ ही उन्हें संस्कारी बनाना होगा। दुष्कर्म की घटनाओं के लिए हम सभी बराबर जिम्मेदार हैं। दुष्कर्मी को जल्द से जल्द सजा मिलनी चाहिए। सजा मेें देरी का मतलब दुष्कर्मी का समर्थन  है। -आराधना गुप्ता, संगीत शिक्षिका
 
अब महिलाओं में डर की भावना है। वे अपने आप को असुरक्षित महसूस कर रही हैं। मेरी मां इंस्पेक्टर हैं लेकिन वह खुद को भी सुरक्षित महसूस नहीं करती हैं। मैं कहीं बाहर जाती हूं तो मां को चिंता लगती है। जो सरेराह दुष्कर्म जैसी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं उन्हें सरेराह ही सजा मिलनी चाहिए। -पूजा शर्मा, छात्रा

लड़कियों पर जितनी पाबंदियां लगाई जाती हैं, उतनी ही लड़कों पर लगाई जानी चाहिए। सतर्क रहने, अच्छे बुरे की समझ रखने की सलाह सिर्फ महिलाओं को दी जाती है। इस तरह की घटनाओं के लिए जिम्मेदार पुरुषों पर कोई उंगली नहीं उठाता और न ही उन्हें किसी तरह की सलाह देता है। -स्वाती चौधरी, आंगनबाड़ी कार्यकत्री

लड़कियों को हमेशा सिखाया जाता है कि गुड टच और बैड टच क्या होता है। इसे बताने की जरूरत नहीं है। हर लड़की जानती है कि गुड और बैड टच क्या है। किसी को देखकर ही वह समझ जाती हैं कि सामने वाली किस मानसिकता क्या है। उसके लिए प्रशिक्षण की जरूरत नहीं। -अदिति शुक्ला, गायिका

महिला डॉक्टर के साथ हुई घटना शर्मसार करने वाली है। अब महिलाओं को हक की लड़ाई लड़नी पड़ेगी। ऐसा हुआ तो सरकारें आरोपियों को कड़ी सजा दिलाने को विवश होंगी। दुष्कर्मियों को फांसी की सजा देनी चाहिए। इसमें हीलाहवाली हुई तो मृत डॉक्टर व उसके परिजनों को न्याय नहीं मिल पाएगा। -बबिता गुप्ता, गृहिणी 

मोमबत्ती जलाकर श्रद्धांजलि देने से कुछ नहीं होने वाला है। जो करना है, हमें करना होगा। हर मां-बाप को अपनी बेटियों को स्वयं की रक्षा करने के लिए सक्षम बनाना होगा। इसके लिए आत्मरक्षा का प्रशिक्षण दिलवाएं। स्कूलों में बेटियों के लिए सैन्य प्रशिक्षण अनिवार्य कर देनी चाहिए। -शुभ्रा सिंह, डायरेक्टर पाठशाला स्कूल

लड़के और लड़की बराबर हैं, ये सोच बदलनी होगी। दोनों के शरीर की बनावट एक जैसी नहीं हो सकती है। ये बात बेटियों को बतानी होगी। बिना ये जाने बेटियों को होटलों में भेज देना कि उनके दोस्त कौन और कैसे हैं, बिल्कुल गलत है। हर मां-बाप को जिम्मेदारी समझनी होगी। -डॉ. अनुपमा त्रिपाठी, शिक्षिका

छोटे कपड़े पहनने से दुष्कर्म नहीं होते हैं। बुर्का पहनने वालों से भी दुष्कर्म हो जाता है। लड़की की तरह लड़कों पर भी पाबंदियां होनी चाहिए। उनकी सुविधाओं में कटौती होनी चाहिए।  बच्चों को ऐसे संस्कार देने चाहिए कि वह महिलाओं का अपमान करने से पहले सौ बार सोचें। - अंजलि वर्मा, शिक्षिका
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