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Hamirpur News: अर्जुन सहायक परियोजना 16 साल बाद भी अधूरी
संवाद न्यूज एजेंसी, हमीरपुर
Updated Thu, 18 Dec 2025 11:59 PM IST
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फोटो 18 एचएएमपी 05- जिगनौड़ा के पास मुख्य नहर में भरा बारिश का पानी। संवाद
- फोटो : udhampur news
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मौदहा (हमीरपुर)। बुंदेलखंड की संजीवनी कही जाने वाली अर्जुन सहायक परियोजना 16 साल बाद भी पूरी नहीं हो सकी। अधूरी परियोजना का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर 2021 को लोकार्पण कर दिया, लेकिन चार साल बाद भी अधर में लटकी है। करीब 40 फीसदी कार्य अभी भी शेष है। इससे जिले के लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। अधिकारियों के कहना है कि किसानों की जमीनों का अधिग्रहण पूरा न होने से विलंब हो रहा है।
जिले से होकर गुजरी अर्जुन सहायक नहर परियोजना साल 2009 में स्वीकृति हुई थी। परियोजना से बुंदेलखंड के चार जिलों बांदा, ललितपुर, महोबा और हमीरपुर जनपदों की 59,485 हेक्टेयर अतिरिक्त भूमि सिंचित होनी थी। इससे करीब दो लाख किसानों को सिंचाई की सुविधा मिलती थी। शासन ने इस परियोजना पर करीब 2,593 करोड़ की धनराशि खर्च की है।
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जिले की 12,201 हेक्टेयर भूमि होनी है सिंचित
जिले की मौदहा तहसील के 53.4 किलोमीटर के दायरे में फैली परियोजना के संचालन के लिए तीन डिवीजन बनाए गए हैं। धसान नदी पर बने लहचूरा बांध से बारिश में बर्बाद होने वाले पानी को 100 मीटर चौड़ी 90 किलोमीटर लंबी नहर बनाकर महोबा जिले में स्थित चंद्रावल, अर्जुन और कबरई बांध से जोड़ा गया है। नहर परियोजना बांदा और हमीरपुर जिले में पूरी नहीं हो सकी है। इससे जिले के किसानों में निराशा है। जिले में इस परियोजना से 12,201 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई करने का लक्ष्य है।
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14 गांवों की 40 हजार की आबादी को मिलना था लाभ
मौदहा तहसील में इस परियोजना के कार्य की स्थिति सबसे खराब है। सिंचाई प्रखंड कर्वी के जिम्मे 10,000 हेक्टेयर जमीन पर सिंचाई का लक्ष्य है। जिले में 53 किलोमीटर लंबी इस नहर से इचौली, नायकपुरवा, गुसियारी, अढ़ाईपुरवा, कपसा, टिकरी बुजुर्ग, चांदीकला, चांदी खुर्द, भुलसी, खंगारन, बैजेमऊ, सिसोलर, किसवाही, बुढ़ई, भंभई व टोलामाफ जैसे 14 गांवों की करीब 40 हजार की आबादी को इसका लाभ मिलना था, लेकिन अभी तक एक भी खेत में पानी नहीं पहुंचा है। तीन डिवीजनों में संचालित यह परियोजना बदहाली के आंसू बहा रही है। किसानों ने जिम्मेदारों की लापरवाही पर नाराजगी जताई है।
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परियोजना के नोडल अधिकारी ने जांची थी हकीकत
ग्रेटर शारदा विकास परियोजना के प्रशासक व आईएएस डॉ. हीरालाल ने जनवरी 2025 में जनपद आकर परियोजना की हकीकत परखी थी। मुख्य नहर से निकले 10 माइनरों में कुलाबों न लगने व 30 किलोमीटर लंबी नहर की माइनर आधी अधूरी पाए जाने पर जिम्मेदार अफसरों को कड़ी फटकार लगाई थी। इनके जाने के बाद नहर में पानी छोड़ दिया गया। इससे बैजेमऊ व भुलसी गांव के किसानों की सैकड़ों बीघे फसलें जलमग्न हो गई थीं।
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चारों जनपदों का सिंचाई रकबा
1- महोबा - 29,680 हेक्टेयर
2- हमीरपुर - 12,201 हेक्टेयर
3- बांदा - 2,500 हेक्टेयर
4- ललितपुर - 15,104 हेक्टेयर
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कुल - 59,485 हेक्टेयर
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अंधरा देखे तो पतियाय
अभी तक उनके गांव तक पानी नहीं आया है। सैकड़ों बीघे फसल की सिंचाई निजी नलकूपों के सहारे ही करनी पड़ रही है। इसमें तो एक ही मुहावरा सटीक बैठता है कि अंधरा देखे तो पतियाय। - श्यामबाबू गुप्ता, नायकपुरवा।
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इचौली रेलवे क्रॉसिंग से इधर नहीं आया पानी
इचौली रेलवे क्राॅसिंग से इधर नहर का पानी अब तक नहीं पहुंच सका है। परियोजना लोकार्पण के जबकि चार बीत चुके हैं।
- विवेक पाल, इचौली।
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दुनिया से जाने के बाद ही नसीब होगा खेतों को पानी
लगता है कि इस दुनिया से उनके जाने के बाद ही पानी नसीब होगा। परियोजना की स्वीकृति के 16 साल बीत जाने के बाद भी अधूरी है।- लक्ष्मी प्रसाद, जिगनौडा।
नहर निर्माण में कई जगह अड़चनें आ रही हैं। कई किसान अपनी जमीनें देने में आनाकानी कर रहे हैं। शासन द्वारा तय किए गए सर्किल रेट के हिसाब से किसानों को मुआवजा दिया जा रहा है। जून 2026 तक परियोजना का कार्य पूरा कर लिया जाएगा। - सिवेश सिंह, अधिशासी अभियंता सिंचाई प्रखंड कर्वी।
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जिले से होकर गुजरी अर्जुन सहायक नहर परियोजना साल 2009 में स्वीकृति हुई थी। परियोजना से बुंदेलखंड के चार जिलों बांदा, ललितपुर, महोबा और हमीरपुर जनपदों की 59,485 हेक्टेयर अतिरिक्त भूमि सिंचित होनी थी। इससे करीब दो लाख किसानों को सिंचाई की सुविधा मिलती थी। शासन ने इस परियोजना पर करीब 2,593 करोड़ की धनराशि खर्च की है।
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जिले की 12,201 हेक्टेयर भूमि होनी है सिंचित
जिले की मौदहा तहसील के 53.4 किलोमीटर के दायरे में फैली परियोजना के संचालन के लिए तीन डिवीजन बनाए गए हैं। धसान नदी पर बने लहचूरा बांध से बारिश में बर्बाद होने वाले पानी को 100 मीटर चौड़ी 90 किलोमीटर लंबी नहर बनाकर महोबा जिले में स्थित चंद्रावल, अर्जुन और कबरई बांध से जोड़ा गया है। नहर परियोजना बांदा और हमीरपुर जिले में पूरी नहीं हो सकी है। इससे जिले के किसानों में निराशा है। जिले में इस परियोजना से 12,201 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई करने का लक्ष्य है।
14 गांवों की 40 हजार की आबादी को मिलना था लाभ
मौदहा तहसील में इस परियोजना के कार्य की स्थिति सबसे खराब है। सिंचाई प्रखंड कर्वी के जिम्मे 10,000 हेक्टेयर जमीन पर सिंचाई का लक्ष्य है। जिले में 53 किलोमीटर लंबी इस नहर से इचौली, नायकपुरवा, गुसियारी, अढ़ाईपुरवा, कपसा, टिकरी बुजुर्ग, चांदीकला, चांदी खुर्द, भुलसी, खंगारन, बैजेमऊ, सिसोलर, किसवाही, बुढ़ई, भंभई व टोलामाफ जैसे 14 गांवों की करीब 40 हजार की आबादी को इसका लाभ मिलना था, लेकिन अभी तक एक भी खेत में पानी नहीं पहुंचा है। तीन डिवीजनों में संचालित यह परियोजना बदहाली के आंसू बहा रही है। किसानों ने जिम्मेदारों की लापरवाही पर नाराजगी जताई है।
परियोजना के नोडल अधिकारी ने जांची थी हकीकत
ग्रेटर शारदा विकास परियोजना के प्रशासक व आईएएस डॉ. हीरालाल ने जनवरी 2025 में जनपद आकर परियोजना की हकीकत परखी थी। मुख्य नहर से निकले 10 माइनरों में कुलाबों न लगने व 30 किलोमीटर लंबी नहर की माइनर आधी अधूरी पाए जाने पर जिम्मेदार अफसरों को कड़ी फटकार लगाई थी। इनके जाने के बाद नहर में पानी छोड़ दिया गया। इससे बैजेमऊ व भुलसी गांव के किसानों की सैकड़ों बीघे फसलें जलमग्न हो गई थीं।
चारों जनपदों का सिंचाई रकबा
1- महोबा - 29,680 हेक्टेयर
2- हमीरपुर - 12,201 हेक्टेयर
3- बांदा - 2,500 हेक्टेयर
4- ललितपुर - 15,104 हेक्टेयर
कुल - 59,485 हेक्टेयर
अंधरा देखे तो पतियाय
अभी तक उनके गांव तक पानी नहीं आया है। सैकड़ों बीघे फसल की सिंचाई निजी नलकूपों के सहारे ही करनी पड़ रही है। इसमें तो एक ही मुहावरा सटीक बैठता है कि अंधरा देखे तो पतियाय। - श्यामबाबू गुप्ता, नायकपुरवा।
इचौली रेलवे क्रॉसिंग से इधर नहीं आया पानी
इचौली रेलवे क्राॅसिंग से इधर नहर का पानी अब तक नहीं पहुंच सका है। परियोजना लोकार्पण के जबकि चार बीत चुके हैं।
- विवेक पाल, इचौली।
दुनिया से जाने के बाद ही नसीब होगा खेतों को पानी
लगता है कि इस दुनिया से उनके जाने के बाद ही पानी नसीब होगा। परियोजना की स्वीकृति के 16 साल बीत जाने के बाद भी अधूरी है।- लक्ष्मी प्रसाद, जिगनौडा।
नहर निर्माण में कई जगह अड़चनें आ रही हैं। कई किसान अपनी जमीनें देने में आनाकानी कर रहे हैं। शासन द्वारा तय किए गए सर्किल रेट के हिसाब से किसानों को मुआवजा दिया जा रहा है। जून 2026 तक परियोजना का कार्य पूरा कर लिया जाएगा। - सिवेश सिंह, अधिशासी अभियंता सिंचाई प्रखंड कर्वी।

फोटो 18 एचएएमपी 05- जिगनौड़ा के पास मुख्य नहर में भरा बारिश का पानी। संवाद- फोटो : udhampur news

फोटो 18 एचएएमपी 05- जिगनौड़ा के पास मुख्य नहर में भरा बारिश का पानी। संवाद- फोटो : udhampur news

फोटो 18 एचएएमपी 05- जिगनौड़ा के पास मुख्य नहर में भरा बारिश का पानी। संवाद- फोटो : udhampur news

फोटो 18 एचएएमपी 05- जिगनौड़ा के पास मुख्य नहर में भरा बारिश का पानी। संवाद- फोटो : udhampur news
