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Hapur News: आनंद विहार के लिए जमीन अधिग्रहण में अनियमितता का आरोप

संवाद न्यूज एजेंसी, हापुड़ Updated Sat, 13 Sep 2025 10:03 PM IST
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हापुड़। आनंद विहार योजना में भूमि का अधिग्रहण जल्दबाजी और मनमाने तरीके से करने का मामला अब लखनऊ में गूंजा है। विधायक धर्मेश तोमर ने शुक्रवार को प्राक्कलन समिति के सभापति के समक्ष मुद्दा उठाते हुए एचपीडीए पर गंभीर आरोप लगाए हैं। मामले में समिति के सभापति ने आवास एवं शहरी नियोजन विभाग के विशेष सचिव को कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
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लखनऊ में हुई बैठक में विधायक ने कहा कि हापुड़-पिलखुवा विकास प्राधिकरण ने नए भूमि अधिग्रहण कानून से बचने के लिए 31 दिसंबर 2013 को आनंद विहार योजना के लिए भू-अधिग्रहण की अधिसूचना जारी कर दी, जबकि नया कानून एक जनवरी 2014 से प्रभावी हो रहा था। इसके कारण पूर्व में निर्मित भवनों का सर्वे भी नहीं किया गया। किसानों की जमीनों के अधिग्रहण में अनियमितताएं बरती गई हैं। इसलिए इस मामले के निस्तारण के लिए विभाग फिर से विचार करे। उन्होंने कहा कि जमीन के अधिग्रहण की प्रक्रिया दोबारा से शुरू करते हुए प्राधिकरण किसानोें के साथ बैठक करे। उनकी सहमति के आधार पर अर्जन प्रक्रिया पूरी की जाए। जो भी भवन, दुकानें आदि बनीं हुई हैं, उन्हें भी छोड़ा जाए।
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किसानों के साथ हुआ है अन्याय --

विधायक ने कहा कि प्राधिकरण की स्थापना से पहले दिल्ली रोड पर अधिकांश व्यापारिक प्रतिष्ठान, दुकानें और भवन बने हुए हैं। इन्हीं का प्राधिकरण ने मनमाने तरीके से अधिग्रहण किया। किसानों की जमीन सस्ते दामों पर जबरदस्ती अधिग्रहीत कर बिल्डरों को बेच दी गई, जबकि प्राधिकरण के पास कोई योजना नहीं है। पूर्व में दिल्ली रोड पर जो जमीन अधिग्रहीत की गई है, वह भी प्राधिकरण ने बिल्डरों को बेच दी है। जहां दुकानें व भवन बने हुए हैं। उन्हें भविष्य की योजनाओं के लिए अधिग्रहीत किया गया। प्राधिकरण मात्र किसानों व दुकानदारों को उजाड़कर अपनी जेब भरने के लिए बिल्डरों को जमीन बेच रहा है।

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किसानों ने भी दो दिन पहले किया था हंगामा
किसानों ने हाल ही में एचपीडीए में हंगामा किया था। एचपीडीए सचिव को दस दिन का समय दिया गया है। उनकी मांगों में वर्ष 2018 में समझौते के अनुसार छह प्रतिशत विकसित भूखंड शीघ्र किसानों को देने, पूर्व से बने भवनों पर 19 हजार रुपये प्रति मीटर के अनैतिक शुल्क को हटाने, सड़क से 100 मीटर जमीन छोड़ने के बाद किसानों को नए भू अधिनियम कानून के तहत मुआवजा देने या फिर 70/30 के प्रावधान में लाया जाए, इसमें भी 70 प्रतिशत जमीन किसान और 30 प्रतिशत प्राधिकरण को दी जाए।

कोट -

मैं बैठक में मौजूद था और प्राधिकरण की तरफ से पक्ष रखा है। समिति के सभापति ने इस मामले को विशेेष सचिव के पास भेजा है।

- अमित कादियान, प्रभारी सचिव, एचपीडीए
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