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Hapur News: टीईटी की अनिवार्यता के विरोध में शिक्षकों का प्रदर्शन, कलक्ट्रेट में सौंपा ज्ञापन
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एसडीएम को ज्ञापन देते शिक्षक। संवाद
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हापुड़। शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) की अनिवार्यता के विरोध में सोमवार को राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के आह्वान पर शिक्षकों ने जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन किया। सरकार से अध्यादेश लाकर इस निर्णय को संशोधित कराने की मांग पर प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन सौंपा।
संघ के जिलाध्यक्ष अशोक कश्यप ने बताया कि हाईकोर्ट के निर्णय के अनुसार सभी सेवारत शिक्षकों के लिए उनकी नियुक्ति की तिथि चाहे जो भी हो टीईटी को अनिवार्य कर दिया गया है। इस निर्णय ने देशभर के लाखों शिक्षकों की सेवा-सुरक्षा और आजीविका को संकट में डाल दिया है।
जिला महामंत्री आदर्श गोयल ने कहा कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 तथा राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) की अधिसूचना दिनांक 23 अगस्त 2010 के अंतर्गत स्पष्ट रूप से दो श्रेणियां मान्य की गई थीं। जिसमें पहले वर्ष 2010 से पूर्व नियुक्त शिक्षकों की जिन्हें टीईटी से छूट दी गई थी एवं दूसरी वर्ष 2010 के बाद नियुक्त शिक्षकों की जिनके लिए एक निश्चित अवधि में टीईटी उत्तीर्ण करना अनिवार्य किया गया था।
कहा कि हाईकोर्ट के इस निर्णय में इस तथ्य को अनदेखा कर दिया है। जिसके परिणामस्वरूप 2010 से पूर्व वैध रूप से नियुक्त शिक्षकों की सेवा भी असुरक्षित हो गई है। जिला संगठन मंत्री मोहर सिंह व जिला कोषाध्यक्ष संजय सक्सेना ने वैध नियमों के अंतर्गत नियुक्त अनुभवी शिक्षकों की सेवा-सुरक्षा एवं गरिमा सुनिश्चित करने और लाखों शिक्षकों को सेवा समाप्ति अथवा आजीविका संकट से बचाने के लिए आवश्यक नीतिगत अथवा विधायी कदम शीघ्र उठाए जाने की मांग की।
जिला मीडिया प्रभारी अरुण शिशौदिया ने कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता बनाए रखना जितना आवश्यक है, उतना ही आवश्यक उनके अधिकारों और सम्मान की रक्षा करना भी है। ज्ञापन देने वालों में जिला मंत्री ज्योति चौधरी, विजेंद्र कुमार, दीपक अग्रवाल, मुकेश कुमार, मनोज पाल, प्रवेश, दिनेश, रवि भूषण, मनवीर, सुशील आदि मौजूद रहे।

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संघ के जिलाध्यक्ष अशोक कश्यप ने बताया कि हाईकोर्ट के निर्णय के अनुसार सभी सेवारत शिक्षकों के लिए उनकी नियुक्ति की तिथि चाहे जो भी हो टीईटी को अनिवार्य कर दिया गया है। इस निर्णय ने देशभर के लाखों शिक्षकों की सेवा-सुरक्षा और आजीविका को संकट में डाल दिया है।
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जिला महामंत्री आदर्श गोयल ने कहा कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 तथा राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) की अधिसूचना दिनांक 23 अगस्त 2010 के अंतर्गत स्पष्ट रूप से दो श्रेणियां मान्य की गई थीं। जिसमें पहले वर्ष 2010 से पूर्व नियुक्त शिक्षकों की जिन्हें टीईटी से छूट दी गई थी एवं दूसरी वर्ष 2010 के बाद नियुक्त शिक्षकों की जिनके लिए एक निश्चित अवधि में टीईटी उत्तीर्ण करना अनिवार्य किया गया था।
कहा कि हाईकोर्ट के इस निर्णय में इस तथ्य को अनदेखा कर दिया है। जिसके परिणामस्वरूप 2010 से पूर्व वैध रूप से नियुक्त शिक्षकों की सेवा भी असुरक्षित हो गई है। जिला संगठन मंत्री मोहर सिंह व जिला कोषाध्यक्ष संजय सक्सेना ने वैध नियमों के अंतर्गत नियुक्त अनुभवी शिक्षकों की सेवा-सुरक्षा एवं गरिमा सुनिश्चित करने और लाखों शिक्षकों को सेवा समाप्ति अथवा आजीविका संकट से बचाने के लिए आवश्यक नीतिगत अथवा विधायी कदम शीघ्र उठाए जाने की मांग की।
जिला मीडिया प्रभारी अरुण शिशौदिया ने कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता बनाए रखना जितना आवश्यक है, उतना ही आवश्यक उनके अधिकारों और सम्मान की रक्षा करना भी है। ज्ञापन देने वालों में जिला मंत्री ज्योति चौधरी, विजेंद्र कुमार, दीपक अग्रवाल, मुकेश कुमार, मनोज पाल, प्रवेश, दिनेश, रवि भूषण, मनवीर, सुशील आदि मौजूद रहे।