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Hathras News: छात्राओं के यौन शोषण के आरोपी प्रोफेसर की जमानत खारिज
संवाद न्यूज एजेंसी, हाथरस
Updated Thu, 08 May 2025 01:30 AM IST
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छात्राओं के यौन शोषण व दुष्कर्म के आरोप में फंसे प्रोफेसर रजनीश कुमार की जमानत याचिका बुधवार को न्यायालय ने खारिज कर दी। न्यायालय ने टिप्पणी करते हुए कहा कि प्रोफेसर का अपराध शैक्षणिक संस्थानों की प्रतिष्ठा को शर्मसार करने वाला अत्यंत गंभीर व घृणित प्रकृति का है।
इस मामले के तथ्य, परिस्थितियों, अपराध की गंभीरता और जघन्यता को देखते हुए बिना गुण-अवगुण पर विचार किए अभियुक्त की जमानत याचिका को खारिज किया जाता है। प्रोफेसर की जमानत याचिका पर प्रभारी अपर सत्र न्यायाधीश एफटीसी प्रथम महेंद्र कुमार रावत के न्यायालय में सुनवाई हुई।
न्यायालय ने जमानत खारिज करते हुए अपने आदेश में कहा कि अभियुक्त द्वारा एक शिक्षण संस्थान में प्रतिष्ठित पद पर कार्यरत रहते हुए गुरु-शिष्या के सम्मानीय पद का दुरुपयोग करते हुए छात्राओं को मजबूर कर उनके साथ मानव जाति को शर्मसार किए जाने वाला घृणित कृत्य किया गया है।
आरोपी प्रोफेसर रजनीश के इस कृत्य से शिक्षण संस्थानों में छात्राओं की सुरक्षा पर प्रश्न चिह्न लगता है, जिससे समाज में शिक्षक जैसे सम्मानीय पद की गरिमा क्षीण होती है और अभिभावकों के मन में अपनी बेटियों को शैक्षिक संस्थानों में पढ़ने के लिए भेजने में डर व शंका का भाव उत्पन्न होता है। ऐसे में समाज के उत्थान के लिए चलाए जा रहे बेटी पढ़ाओ जैसे अभियान यथार्थ रूप से सफल नहीं हो पाएंगे।
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आरोपी के अधिवक्ता ने कहा-राजनीतिक एवं विभागीय द्वेष के तहत षडयंत्र कर फंसाया
आरोपी पक्ष के अधिवक्ता ने न्यायालय में तर्क दिया था कि आरोपी निर्दाेष है। उसे इस केस में राजनीतिक, विभागीय द्वेष और पार्टीबंदी के कारण एक षडयंत्र के तहत राष्ट्रीय महिला आयोग नई दिल्ली को प्रार्थना पत्र देकर पुलिस से साजिश कर झूठा फंसाया गया है। आरोपी के अधिवक्ता ने कहा कि रजनीश कुमार पीसी बागला महाविद्यालय में भूगोल के वरिष्ठ प्रवक्ता और अनुशासन अधिकारी के पद पर कार्यरत है। पत्रावली पर ऐसा कोई भी दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है, जिससे प्रोफेसर द्वारा कथित कृत्य किए जाने का आरोप प्रथमदृष्टया साबित हो सके। अश्लील वीडियो वेबसाइट पर वायरल किए जाने का भी कोई साक्ष्य नहीं है। कथित सीडी की विधि विज्ञान प्रयोगशाला की कोई रिपोर्ट नहीं है।
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अभियोजन पक्ष का तर्क-पद व अधिकारों का किया दुरुपयोग
अभियोजन पक्ष की ओर से तर्क दिया गया कि प्रोफेसर ने अपने पद व अधिकार का दुरुपयोग करते हुए कई छात्राओं को कंपटीशन में पास कराने और नौकरी दिलाने का प्रलोभन देकर पद के प्रभाव में उनके साथ शारीरिक संबंध बनाते हुए दुष्कर्म व यौन शोषण किया और दुष्कर्म करते समय विद्यालय में स्थित कक्ष व घर में अश्लील फोटो व वीडियो बनाकर वेबसाइट पर वायरल किए। इन तथ्यों के आधार पर उन्होंने जमानत याचिका खारिज करने की याचना की।
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यह था मामला
राष्ट्रीय महिला आयोग नई दिल्ली की अध्यक्ष को लाचार बहन के नाम से एक प्रार्थना भेजा गया था। इसमें लिखा था कि बागला महाविद्यालय में कार्यरत प्रवक्ता रजनीश कुमार द्वारा उसका व उसकी सहेलियों का शारीरिक शोषण किया गया है। यह दरिंदा उनके साथ गलत काम करते समय वीडियो भी बनाता था और उन्हें ब्लैकमेल कर बार-बार अपनी भूख मिटाने के लिए महाविद्यालय अथवा अपने घर पर बुलाता था। पत्र में आरोप है कि उसने पहले भी एक शिकायत अश्लील फोटो और वीडियो की सीडी लगाकर अपना नाम छिपाते हुए गलत नाम से की थी, लेकिन कॉलेज के मैनेजमेंट और प्राचार्य ने मिलकर उसकी शिकायत को फर्जी तरीके से वापस ले लिया था और कार्रवाई नहीं की। आरोप था कि इतना सब होने के बाद भी इस प्रवक्ता को प्राचार्य ने कॉलेज का प्रॉक्टर बना दिया। पत्र में कहा गया था कि रजनीश कुमार न जाने कितनी लड़कियों के साथ ऐसे गलत काम करता आ रहा है और अब भी कर रहा है। पत्र में गुमनाम शिकायतकर्ता ने कहा था कि उसके हाथ कुछ अश्लील फोटो व वीडियो लगे हैं, जिनकी सीडी प्रार्थनापत्र के साथ लगाकर उसने भेजी है। प्रार्थनापत्र की प्रति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, चीफ जस्टिस सुप्रीम कोर्ट नई दिल्ली, चीफ जस्टिस हाईकोर्ट प्रयागराज, राज्य महिला आयोग, कमिश्नर अलीगढ़, डीआईजी, जिलाधिकारी व एसपी को प्रेषित की गई थी।
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इस मामले के तथ्य, परिस्थितियों, अपराध की गंभीरता और जघन्यता को देखते हुए बिना गुण-अवगुण पर विचार किए अभियुक्त की जमानत याचिका को खारिज किया जाता है। प्रोफेसर की जमानत याचिका पर प्रभारी अपर सत्र न्यायाधीश एफटीसी प्रथम महेंद्र कुमार रावत के न्यायालय में सुनवाई हुई।
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न्यायालय ने जमानत खारिज करते हुए अपने आदेश में कहा कि अभियुक्त द्वारा एक शिक्षण संस्थान में प्रतिष्ठित पद पर कार्यरत रहते हुए गुरु-शिष्या के सम्मानीय पद का दुरुपयोग करते हुए छात्राओं को मजबूर कर उनके साथ मानव जाति को शर्मसार किए जाने वाला घृणित कृत्य किया गया है।
आरोपी प्रोफेसर रजनीश के इस कृत्य से शिक्षण संस्थानों में छात्राओं की सुरक्षा पर प्रश्न चिह्न लगता है, जिससे समाज में शिक्षक जैसे सम्मानीय पद की गरिमा क्षीण होती है और अभिभावकों के मन में अपनी बेटियों को शैक्षिक संस्थानों में पढ़ने के लिए भेजने में डर व शंका का भाव उत्पन्न होता है। ऐसे में समाज के उत्थान के लिए चलाए जा रहे बेटी पढ़ाओ जैसे अभियान यथार्थ रूप से सफल नहीं हो पाएंगे।
आरोपी के अधिवक्ता ने कहा-राजनीतिक एवं विभागीय द्वेष के तहत षडयंत्र कर फंसाया
आरोपी पक्ष के अधिवक्ता ने न्यायालय में तर्क दिया था कि आरोपी निर्दाेष है। उसे इस केस में राजनीतिक, विभागीय द्वेष और पार्टीबंदी के कारण एक षडयंत्र के तहत राष्ट्रीय महिला आयोग नई दिल्ली को प्रार्थना पत्र देकर पुलिस से साजिश कर झूठा फंसाया गया है। आरोपी के अधिवक्ता ने कहा कि रजनीश कुमार पीसी बागला महाविद्यालय में भूगोल के वरिष्ठ प्रवक्ता और अनुशासन अधिकारी के पद पर कार्यरत है। पत्रावली पर ऐसा कोई भी दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है, जिससे प्रोफेसर द्वारा कथित कृत्य किए जाने का आरोप प्रथमदृष्टया साबित हो सके। अश्लील वीडियो वेबसाइट पर वायरल किए जाने का भी कोई साक्ष्य नहीं है। कथित सीडी की विधि विज्ञान प्रयोगशाला की कोई रिपोर्ट नहीं है।
अभियोजन पक्ष का तर्क-पद व अधिकारों का किया दुरुपयोग
अभियोजन पक्ष की ओर से तर्क दिया गया कि प्रोफेसर ने अपने पद व अधिकार का दुरुपयोग करते हुए कई छात्राओं को कंपटीशन में पास कराने और नौकरी दिलाने का प्रलोभन देकर पद के प्रभाव में उनके साथ शारीरिक संबंध बनाते हुए दुष्कर्म व यौन शोषण किया और दुष्कर्म करते समय विद्यालय में स्थित कक्ष व घर में अश्लील फोटो व वीडियो बनाकर वेबसाइट पर वायरल किए। इन तथ्यों के आधार पर उन्होंने जमानत याचिका खारिज करने की याचना की।
यह था मामला
राष्ट्रीय महिला आयोग नई दिल्ली की अध्यक्ष को लाचार बहन के नाम से एक प्रार्थना भेजा गया था। इसमें लिखा था कि बागला महाविद्यालय में कार्यरत प्रवक्ता रजनीश कुमार द्वारा उसका व उसकी सहेलियों का शारीरिक शोषण किया गया है। यह दरिंदा उनके साथ गलत काम करते समय वीडियो भी बनाता था और उन्हें ब्लैकमेल कर बार-बार अपनी भूख मिटाने के लिए महाविद्यालय अथवा अपने घर पर बुलाता था। पत्र में आरोप है कि उसने पहले भी एक शिकायत अश्लील फोटो और वीडियो की सीडी लगाकर अपना नाम छिपाते हुए गलत नाम से की थी, लेकिन कॉलेज के मैनेजमेंट और प्राचार्य ने मिलकर उसकी शिकायत को फर्जी तरीके से वापस ले लिया था और कार्रवाई नहीं की। आरोप था कि इतना सब होने के बाद भी इस प्रवक्ता को प्राचार्य ने कॉलेज का प्रॉक्टर बना दिया। पत्र में कहा गया था कि रजनीश कुमार न जाने कितनी लड़कियों के साथ ऐसे गलत काम करता आ रहा है और अब भी कर रहा है। पत्र में गुमनाम शिकायतकर्ता ने कहा था कि उसके हाथ कुछ अश्लील फोटो व वीडियो लगे हैं, जिनकी सीडी प्रार्थनापत्र के साथ लगाकर उसने भेजी है। प्रार्थनापत्र की प्रति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, चीफ जस्टिस सुप्रीम कोर्ट नई दिल्ली, चीफ जस्टिस हाईकोर्ट प्रयागराज, राज्य महिला आयोग, कमिश्नर अलीगढ़, डीआईजी, जिलाधिकारी व एसपी को प्रेषित की गई थी।