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Hathras News: जंग के माहौल से बिल्कुल न घबराएं, सेना पूरी तरह सशक्त
संवाद न्यूज एजेंसी, हाथरस
Updated Fri, 09 May 2025 01:23 AM IST
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भारत की ओर से पाकिस्तान में एयर स्ट्राइक किए जाने के बाद देश का माहौल बदल गया है। इस स्ट्राइक का लोग स्वागत कर रहे हैं। जंग की संभावना को लेकर लोगों में घबराहट है, लेकिन 1971 की जंग में शामिल रहे पूर्व सैनिकों ने स्पष्ट रूप से कहा कि देशवासियों को घबराने की आवश्यकता नहीं है, सेना पूरी तरह सशक्त है। इस तरह की कार्रवाई करने की देश को आवश्यकता थी। सरकार की ओर से सही कदम उठाया गया है। आतंकवाद को मुंहतोड़ जवाब दिया जाना आवश्यक था।
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यह जंग का ऐलान नहीं, यह सिर्फ माहौल है...
वायु सेना में फ्लाइंग ऑफिसर के पद पर तैनात रहे शहर के आगरा रोड स्थित हरिओम एन्क्लेव निवासी के सिंह ने बताया कि 1971 का युद्ध होने से कुछ समय पहले ही उन्होंने एयरफोर्स ज्वाइन की थी। ट्रेनिंग के समय से ही युद्ध के आसार बन रहे थे। एलओसी पर माहौल गर्म था। कई माह तक हल्की-फुल्की घटनाओं के बाद अचानक युद्ध का ऐलान हुआ। वर्तमान में अभी जंग का ऐलान नहीं है, यह सिर्फ माहौल है। उन्होंने बताया कि उस समय शुरुआती दौर में सिर्फ 11 दिन के युद्ध की घोषणा की गई थी। हमने बंगलादेश में करीब एक लाख पाकिस्तानी सैनिकों से सरेंडर कराया था। उस समय भी किसी प्रकार से लोग घबराए हुए नहीं थे। हमारी ट्रेनों को लोग गांव में रोक लेते थे। सर्दियों के कारण स्वेटर और शॉल के अलावा खाने की कई वस्तुएं स्वेच्छा से दिया करते थे। आज भी हमारी सेना हर तरह से तैयार है। देश वासियों को घबराने की कोई बात नहीं है।
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सायरन बजते ही घरों में हो गया था अंधेरा...
सेना में नायब सूबेदार के पद पर रहे शहर के नाई का नगला निवासी श्यामलाल शर्मा का कहना है कि वह सिर्फ 1971 नहीं, बल्कि 1961 व 1965 की जंग के भी साक्षी हैं। वह शुरुआती दिनों में असम और बाद में नागालैंड में तैनात थे। जब 1971 की जंग हुई तो वह आगरा में तैनात थे। अचानक सायरन बजा तो समझ गए कि जंग का ऐलान हुआ है। पूरे शहर की लाइट बंद हो गई। छावनी क्षेत्र में किसी को माचिस की तीली जलाने की भी इजाजत नहीं थी। अब वह समय नहीं है, अब सेटेलाइट है और जीपीआरएस है। सेना हर तरह से जंग के लिए सशक्त है। उस समय तो सेना के पास साधन नहीं थे, तब पाकिस्तान को धूल चटा दी। अब तो हर सेना हर तरह से मजबूत है। घबराने की कोई बात ही नहीं है।
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यह जंग का ऐलान नहीं, यह सिर्फ माहौल है...
वायु सेना में फ्लाइंग ऑफिसर के पद पर तैनात रहे शहर के आगरा रोड स्थित हरिओम एन्क्लेव निवासी के सिंह ने बताया कि 1971 का युद्ध होने से कुछ समय पहले ही उन्होंने एयरफोर्स ज्वाइन की थी। ट्रेनिंग के समय से ही युद्ध के आसार बन रहे थे। एलओसी पर माहौल गर्म था। कई माह तक हल्की-फुल्की घटनाओं के बाद अचानक युद्ध का ऐलान हुआ। वर्तमान में अभी जंग का ऐलान नहीं है, यह सिर्फ माहौल है। उन्होंने बताया कि उस समय शुरुआती दौर में सिर्फ 11 दिन के युद्ध की घोषणा की गई थी। हमने बंगलादेश में करीब एक लाख पाकिस्तानी सैनिकों से सरेंडर कराया था। उस समय भी किसी प्रकार से लोग घबराए हुए नहीं थे। हमारी ट्रेनों को लोग गांव में रोक लेते थे। सर्दियों के कारण स्वेटर और शॉल के अलावा खाने की कई वस्तुएं स्वेच्छा से दिया करते थे। आज भी हमारी सेना हर तरह से तैयार है। देश वासियों को घबराने की कोई बात नहीं है।
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सायरन बजते ही घरों में हो गया था अंधेरा...
सेना में नायब सूबेदार के पद पर रहे शहर के नाई का नगला निवासी श्यामलाल शर्मा का कहना है कि वह सिर्फ 1971 नहीं, बल्कि 1961 व 1965 की जंग के भी साक्षी हैं। वह शुरुआती दिनों में असम और बाद में नागालैंड में तैनात थे। जब 1971 की जंग हुई तो वह आगरा में तैनात थे। अचानक सायरन बजा तो समझ गए कि जंग का ऐलान हुआ है। पूरे शहर की लाइट बंद हो गई। छावनी क्षेत्र में किसी को माचिस की तीली जलाने की भी इजाजत नहीं थी। अब वह समय नहीं है, अब सेटेलाइट है और जीपीआरएस है। सेना हर तरह से जंग के लिए सशक्त है। उस समय तो सेना के पास साधन नहीं थे, तब पाकिस्तान को धूल चटा दी। अब तो हर सेना हर तरह से मजबूत है। घबराने की कोई बात ही नहीं है।