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Hathras News: जीएसटी बढ़ने से चुनौतियों में उलझा जूता-चप्पल कारोबार
संवाद न्यूज एजेंसी, हाथरस
Updated Fri, 09 May 2025 01:27 AM IST
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जिले में जूते-चप्पल (फुटवियर) का कारोबार अपनी अलग पहचान बना रहा है, लेकिन वर्तमान में इस कारोबार से जुड़े लोग जीएसटी के बदले नियमों से परेशान हैं। कारोबार से जुड़े छोटे-छोटे दुकानदारों को 12 फीसदी जीएसटी देना पड़ रहा है, जिससे इसकी लागत बढ़ रही है, जबकि फुटवियर आम जरूरत की वस्तु है।
एक समय था, जब फुटवीयर के छोटे-छोटे कारोबारियों को टैक्स से कोई मतलब नहीं था, लेकिन जीएसटी लगने के बाद छोटे कारोबारियों को भी टैक्स का भुगतान करना पड़ रहा है। उन्हें अपने पंजीयन कराने पड़े, लेकिन इससे भी ज्यादा परेशानी तब हुई जब जीएसटी की दरों को बदल दिया गया। कुछ साल पहले तक एक हजार रुपये से कम के फुटवीयर पर पांच फीसदी और इससे ज्यादा कीमत के फुटवियर पर 12 फीसदी की दर से जीएसटी लगता था।
इससे छोटे कारोबारियों को काफी आसानी थी, लेकिन अब सीधे तौर पर 12 फीसदी जीएसटी का प्रावधान कर दिया गया, जिससे छोटे कारोबारियों को कारोबार करने में मुश्किल हो रही है। ग्राहकों पर भी कर का बोझ बढ़ रहा है। फुटवियर के सस्ते उत्पाद भी महंगे हो गए और उनकी बिक्री भी प्रभावित हुई है। ऐसे में कारोबारियों की मांग है कि सस्ते फुटवीयर को कर मुक्त करना चाहिए, ताकि हर गरीब आसानी से जूते-चप्पल पहन सके। इस पर कर की अधिकतम दर पांच फीसदी होनी चाहिए। उपायुक्त स्टेट जीएसटी आरके सिंह का कहना है कि कारोबारी इसे लेकर अपना मांग पत्र सौंप सकते हैं। इसे आगे बढ़ाया जाएगा।
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बातचीत,,,,,,,,
जिस समय पांच फीसदी जीएसटी था, तब सस्ते दामों के उत्पादों की बिक्री अधिक थी। फैक्टरियां सस्ते दामों पर अच्छे उत्पाद बना रही थीं, लेकिन अब माल महंगा हो गया है।
-अनिल कुमार अग्रवाल, विक्रेता।
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पहले की अपेक्षा अब फुटवियर के दाम बढ़ गए हैं। अब जूता-चप्पल एक अनिवार्य उपयोग की वस्तु है। सस्ते जूते-चप्पल पर किसी प्रकार का टैक्स होना ही नहीं चाहिए।
-सीताराम, ग्राहक।
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एक समय था, जब फुटवीयर के छोटे-छोटे कारोबारियों को टैक्स से कोई मतलब नहीं था, लेकिन जीएसटी लगने के बाद छोटे कारोबारियों को भी टैक्स का भुगतान करना पड़ रहा है। उन्हें अपने पंजीयन कराने पड़े, लेकिन इससे भी ज्यादा परेशानी तब हुई जब जीएसटी की दरों को बदल दिया गया। कुछ साल पहले तक एक हजार रुपये से कम के फुटवीयर पर पांच फीसदी और इससे ज्यादा कीमत के फुटवियर पर 12 फीसदी की दर से जीएसटी लगता था।
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इससे छोटे कारोबारियों को काफी आसानी थी, लेकिन अब सीधे तौर पर 12 फीसदी जीएसटी का प्रावधान कर दिया गया, जिससे छोटे कारोबारियों को कारोबार करने में मुश्किल हो रही है। ग्राहकों पर भी कर का बोझ बढ़ रहा है। फुटवियर के सस्ते उत्पाद भी महंगे हो गए और उनकी बिक्री भी प्रभावित हुई है। ऐसे में कारोबारियों की मांग है कि सस्ते फुटवीयर को कर मुक्त करना चाहिए, ताकि हर गरीब आसानी से जूते-चप्पल पहन सके। इस पर कर की अधिकतम दर पांच फीसदी होनी चाहिए। उपायुक्त स्टेट जीएसटी आरके सिंह का कहना है कि कारोबारी इसे लेकर अपना मांग पत्र सौंप सकते हैं। इसे आगे बढ़ाया जाएगा।
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बातचीत,,,,,,,,
जिस समय पांच फीसदी जीएसटी था, तब सस्ते दामों के उत्पादों की बिक्री अधिक थी। फैक्टरियां सस्ते दामों पर अच्छे उत्पाद बना रही थीं, लेकिन अब माल महंगा हो गया है।
-अनिल कुमार अग्रवाल, विक्रेता।
पहले की अपेक्षा अब फुटवियर के दाम बढ़ गए हैं। अब जूता-चप्पल एक अनिवार्य उपयोग की वस्तु है। सस्ते जूते-चप्पल पर किसी प्रकार का टैक्स होना ही नहीं चाहिए।
-सीताराम, ग्राहक।