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Hathras News: हाइड्रेंट प्वाइंट नहीं बचे...पानी के लिए भटकतीं हैं अग्निशमन की गाड़ियां
संवाद न्यूज एजेंसी, हाथरस
Updated Fri, 09 May 2025 01:17 AM IST
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शहर में जब भी आग लगने की घटनाएं होती हैं तो सबसे बड़ी समस्या आग बुझाने के लिए पानी की होती है। करीब 10 साल पहले तक शहर में 25 हाइड्रेंट प्वाइंट थे, लेकिन वर्तमान में एक भी नहीं बचा है। अगर यह हाइड्रेंट प्वाइंट होते तो शायद फायर ब्रिगेड को पानी भरने के लिए बार-बार वाटर वर्क्स नहीं भागना पड़ता।
शहर में आग लगने की घटनाओं के दौरान मौके पर पहुंचने वाली अग्निशमन की विभाग की गाड़ियों का पानी अक्सर कुछ मिनटों में ही खाली हो जाता है। इन गाड़ियों को पानी लेने बार-बार नगर पालिका के जलकल संस्थान जाना पड़ता है। वहां टंकी के नीचे लगे दो प्वाइंट से गाड़ी में पानी भरा जाता है, जिसमें काफी समय बर्बाद होता है।
अगर नगर पालिका की ओर से पूर्व में हाइड्रेंट प्वाइंट बनाए गए थे। इनको सीधे वाटर वर्क्स की पाइप लाइन से पानी की आपूर्ति मिलती थी।आवश्यकता होने पर वाटर वर्क्स से तुरंत पाइप में पानी की आपूर्ति छोड़ दी जाती थी। अगर यह प्वाइंट मौजूद होते तो आग लगने की स्थिति में फायर ब्रिगेड की गाड़ियों को बाजार में ही पानी उपलब्ध हो जाता और वह जल्द से जल्द आग पर काबू पा सकती थीं।
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बॉक्स,,,,,,,,,
10 मिनट में फेंका जाता है पांच हजार लीटर पानी
अग्निशमन विभाग के पास कई प्रकार के वाहन हैं। इनकी क्षमताएं अलग-अलग हैं। सबसे बड़े वाहन में एक बार में पांच हजार लीटर पानी भरने की क्षमता है। यहां अहम बात यह है कि अगर इस पानी को पूरी क्षमता के साथ आग बुझाने में प्रयोग किया जाए तो मात्र 2.5 मिनट में पानी समाप्त हो सकता है, लेेकिन सामान्य तौर पर इसका प्रेशर 10 मिनट का रखा जाता है।
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इन स्थलों पर थे हाइड्रेंट प्वाइंट
शहर के गली तबेला, मोती बाजार, बैनीगंज, सासनी गेट, जामा मस्जिद चौराहा, खातीखाना, अलीगढ़ रोड, आगरा रोड़, चामड़ गेट आदि।
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अमृत योजना के तहत भी नहीं बनाए हाइड्रेंट प्वाइंट
करीब पांच साल पहले शहर में अमृत योजना के तहत नई पाइप लाइन बिछाई गई। इस पाइप लाइनइ से हर गली-मोहल्ले में घरों में पानी के कनेक्शन दिए गए हैं, लेकिन करोड़ों रुपये की इस योजना में कहीं भी हाइड्रेट प्वाइंट नहीं बनाए गए हैं।
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खास बातें
07 हजार के करीब दुकानें हैं शहर के बाजारों में।
02 हजार से अधिक कपड़े की दुकानें हैं शहर में।
20 से 30 आग लगने की घटनाएं होती हैं हर साल।
27 वार्ड थे नगर पालिका में।
25 हाइड्रेट प्वाइंट बनाए गए थे शहर में।
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शहर में आग लगने की घटनाओं के दौरान मौके पर पहुंचने वाली अग्निशमन की विभाग की गाड़ियों का पानी अक्सर कुछ मिनटों में ही खाली हो जाता है। इन गाड़ियों को पानी लेने बार-बार नगर पालिका के जलकल संस्थान जाना पड़ता है। वहां टंकी के नीचे लगे दो प्वाइंट से गाड़ी में पानी भरा जाता है, जिसमें काफी समय बर्बाद होता है।
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अगर नगर पालिका की ओर से पूर्व में हाइड्रेंट प्वाइंट बनाए गए थे। इनको सीधे वाटर वर्क्स की पाइप लाइन से पानी की आपूर्ति मिलती थी।आवश्यकता होने पर वाटर वर्क्स से तुरंत पाइप में पानी की आपूर्ति छोड़ दी जाती थी। अगर यह प्वाइंट मौजूद होते तो आग लगने की स्थिति में फायर ब्रिगेड की गाड़ियों को बाजार में ही पानी उपलब्ध हो जाता और वह जल्द से जल्द आग पर काबू पा सकती थीं।
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10 मिनट में फेंका जाता है पांच हजार लीटर पानी
अग्निशमन विभाग के पास कई प्रकार के वाहन हैं। इनकी क्षमताएं अलग-अलग हैं। सबसे बड़े वाहन में एक बार में पांच हजार लीटर पानी भरने की क्षमता है। यहां अहम बात यह है कि अगर इस पानी को पूरी क्षमता के साथ आग बुझाने में प्रयोग किया जाए तो मात्र 2.5 मिनट में पानी समाप्त हो सकता है, लेेकिन सामान्य तौर पर इसका प्रेशर 10 मिनट का रखा जाता है।
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इन स्थलों पर थे हाइड्रेंट प्वाइंट
शहर के गली तबेला, मोती बाजार, बैनीगंज, सासनी गेट, जामा मस्जिद चौराहा, खातीखाना, अलीगढ़ रोड, आगरा रोड़, चामड़ गेट आदि।
अमृत योजना के तहत भी नहीं बनाए हाइड्रेंट प्वाइंट
करीब पांच साल पहले शहर में अमृत योजना के तहत नई पाइप लाइन बिछाई गई। इस पाइप लाइनइ से हर गली-मोहल्ले में घरों में पानी के कनेक्शन दिए गए हैं, लेकिन करोड़ों रुपये की इस योजना में कहीं भी हाइड्रेट प्वाइंट नहीं बनाए गए हैं।
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खास बातें
07 हजार के करीब दुकानें हैं शहर के बाजारों में।
02 हजार से अधिक कपड़े की दुकानें हैं शहर में।
20 से 30 आग लगने की घटनाएं होती हैं हर साल।
27 वार्ड थे नगर पालिका में।
25 हाइड्रेट प्वाइंट बनाए गए थे शहर में।