पराली की आग ने छीन लिया छत और सपने: देगुवा गांव में कच्चे मकान जले, शादी का सामान भी राख
मोंठ तहसील के देगुवा गांव में पराली जलाने से फैली आग ने कई परिवारों की ज़िंदगी तहस-नहस कर दी। तेज़ आंधी के चलते आग ने कई कच्चे मकानों को चपेट में ले लिया, जिससे घरों का सारा सामान जलकर राख हो गया। एक पीड़ित मोहर सिंह की बेटी की शादी का सामान भी जल गया, जिससे परिवार सदमे में है। घटना से आक्रोशित ग्रामीणों ने मुआवजे की मांग को लेकर सड़क जाम किया और प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की। प्रशासन ने नुकसान का सर्वे शुरू कर दिया है।


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मोंठ तहसील के शाहजहांपुर क्षेत्र के ग्राम देगुवा में पराली जलाते समय आई तेज आंधी से आग फैल गई, जिससे कई कच्चे मकानों में आग लग गई। आग इतनी भीषण थी कि ग्रामीणों को संभलने का मौका तक नहीं मिला और देखते ही देखते घरों में रखा सारा सामान जलकर राख हो गया। ग्रामीणों ने कड़ी मशक्कत कर आग पर काबू पाया, लेकिन तब तक कई परिवार बेघर हो चुके थे।
अगले दिन इस घटना से आक्रोशित ग्रामीणों ने शाहपुर बस स्टैंड के पास मुख्य मार्ग पर जाम लगा दिया और प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। ग्रामीणों की मांग थी कि जिनके घर जलकर नष्ट हुए हैं, उन्हें तत्काल मुआवजा दिया जाए और पराली जलाने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाए। जाम के कारण यातायात प्रभावित हुआ और राहगीरों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा।
सूचना मिलते ही पुलिस और तहसील प्रशासन मौके पर पहुंचा। कोतवाल अखिलेश द्विवेदी ने ग्रामीणों को समझाने का प्रयास किया और कहा कि मुआवजा राजस्व विभाग से संबंधित विषय है, जिसे शांतिपूर्ण वार्ता से हल किया जा सकता है। काफी समझाने-बुझाने के बाद ग्रामीणों ने जाम खोला और तहसील पहुंचे, जहां उन्होंने प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन कर मुआवजे की मांग दोहराई।
धरना स्थल पर ऑल इंडिया किसान यूनियन के पदाधिकारी और भाजपा किसान मोर्चा नेता सुरजीत राजपूत पहुंचे और किसानों के समर्थन में प्रशासन से मुआवजे की मांग की। पीड़ितों और किसान संगठनों ने तहसीलदार ज्ञानप्रकाश को उपजिलाधिकारी के नाम ज्ञापन सौंपा, जिसमें अग्निकांड से प्रभावित किसानों को शीघ्र मुआवजा देने की मांग की गई।
तहसीलदार ज्ञानप्रकाश ने बताया कि प्रशासन द्वारा क्षति का आकलन किया जा रहा है और प्रभावित परिवारों को राहत पहुंचाने की प्रक्रिया जारी है।
इस अग्निकांड में एक परिवार की बेटी की शादी का सामान भी जलकर राख हो गया। पीड़ित मोहर सिंह ने बताया कि उसकी पुत्री वर्षा की शादी की तैयारियां चल रही थीं और अधिकांश आवश्यक सामान खरीदकर घर में रख लिया गया था। दो दिन बाद फलदान की रस्म थी, लेकिन आग में सब कुछ नष्ट हो गया। परिवार की आर्थिक स्थिति पहले से ही कमजोर थी और अब शादी संकट में पड़ गई है। परिवार का रो-रोकर बुरा हाल है।
यह हादसा प्रशासनिक सतर्कता और पराली जलाने पर रोक की सख्ती की आवश्यकता को दर्शाता है। ग्रामीण अब न्याय और राहत की प्रतीक्षा में हैं।