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नब्ज तेज, सिरदर्द, कमजोरी तो समझो हीट स्ट्रोक
अमर उजाला ब्यूरो
Updated Mon, 25 Apr 2016 11:35 PM IST
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heat stroke, jhansi hindi news
- फोटो : demo

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झांसी। दिनों दिन बढ़ती गर्मी से पड़ने वाले दुष्प्रभाव के तहत स्वास्थ्य महकमा भी एलर्ट हो गया है। सीएमओ ने लोगों को हीट स्ट्रोक से विशेष बचाव की सलाह दी है। उनका कहना है कि हीट स्ट्रोक से मस्तिष्क को क्षति पहुंचने की संभावना रहती है।
हीट स्ट्रोक का शिकार होने वाला व्यक्ति गर्म, लाल हो जाता है। उसकी त्वचा शुष्क हो जाती है और पसीना नहीं आता है। नब्ज तेज चलने लगती है, उसकी श्वांस गति में तेजी आ जाती है। व्यवहार में परिवर्तन के साथ भ्रम की स्थिति हो जाती है। सिर दर्द, मतली, थकान और कमजोरी होना के साथ ही चक्कर आने लगते हैं। पेशाब न होना अथवा कम होने की समस्या पैदा हो जाती है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. विनोद कुमार यादव के मुताबिक हीट स्ट्रोक के कारण उच्च तापमान से शरीर के आंतरिक अंगों, विशेष रूप से मस्तिष्क को नुकसान पहुंचता है तथा शरीर में उच्च रक्तचाप उत्पन्न करता है। मनुष्य के ह्रदय के कार्य पर प्रतिकूल प्रभाव उत्पन्न होता है, जो लोग एक या दो घंटे से अधिक समय तक 40.6 डिग्री सेल्सियस या अधिक तापमान/ गर्म हवा में रहते हैं, उनके मस्तिष्क में क्षति होने की संभावना प्रबल हो जाती है।
रस-पानी पिएं, चाय-कॉफी से बचें
सीएमओ ने बताया कि हीट स्ट्रोक से बचने के लिए तेज धूप में निकलने से बचें। अगर तेज धूप में निकलना जरूरी है तो निकलते वक्त छाता लगा लें या टोपी पहन लें। ऐसे कपड़े पहने जिससे अधिक से अधिक शरीर ढका रहे। पर्याप्त मात्रा में पानी पीकर घर से बाहर निकलें एवं समय-समय पर पानी पिया जाए। वहीं, निर्जलीकरण से बचने के लिए अधिक मात्रा में पानी, मौसमी फलों का रस, गन्ने का रस, कच्चे आम का रस, ओआरएस घोल, नारियल का पानी का उपयोग करें। चाय, कॉफी पीने से परहेज करें।
मरीज को ठंडी जगह रखें
हीट स्ट्रोक के मरीज को ठंडी जगह में रखना जरूरी है। वहीं, उसको ठंडी हवा करते रहना, शरीर को स्पंज अथवा गीले कपड़े से पोंछते रहना जरूरी होता है। निजर्लीकरण की स्थिति में आईवी फ्लूड्स देना चाहिए। गंभीर रोगियों को स्थानीय स्वास्थ्य इकाई में भेजकर उपचार कराएं।
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हीट स्ट्रोक का शिकार होने वाला व्यक्ति गर्म, लाल हो जाता है। उसकी त्वचा शुष्क हो जाती है और पसीना नहीं आता है। नब्ज तेज चलने लगती है, उसकी श्वांस गति में तेजी आ जाती है। व्यवहार में परिवर्तन के साथ भ्रम की स्थिति हो जाती है। सिर दर्द, मतली, थकान और कमजोरी होना के साथ ही चक्कर आने लगते हैं। पेशाब न होना अथवा कम होने की समस्या पैदा हो जाती है।
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मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. विनोद कुमार यादव के मुताबिक हीट स्ट्रोक के कारण उच्च तापमान से शरीर के आंतरिक अंगों, विशेष रूप से मस्तिष्क को नुकसान पहुंचता है तथा शरीर में उच्च रक्तचाप उत्पन्न करता है। मनुष्य के ह्रदय के कार्य पर प्रतिकूल प्रभाव उत्पन्न होता है, जो लोग एक या दो घंटे से अधिक समय तक 40.6 डिग्री सेल्सियस या अधिक तापमान/ गर्म हवा में रहते हैं, उनके मस्तिष्क में क्षति होने की संभावना प्रबल हो जाती है।
रस-पानी पिएं, चाय-कॉफी से बचें
सीएमओ ने बताया कि हीट स्ट्रोक से बचने के लिए तेज धूप में निकलने से बचें। अगर तेज धूप में निकलना जरूरी है तो निकलते वक्त छाता लगा लें या टोपी पहन लें। ऐसे कपड़े पहने जिससे अधिक से अधिक शरीर ढका रहे। पर्याप्त मात्रा में पानी पीकर घर से बाहर निकलें एवं समय-समय पर पानी पिया जाए। वहीं, निर्जलीकरण से बचने के लिए अधिक मात्रा में पानी, मौसमी फलों का रस, गन्ने का रस, कच्चे आम का रस, ओआरएस घोल, नारियल का पानी का उपयोग करें। चाय, कॉफी पीने से परहेज करें।
मरीज को ठंडी जगह रखें
हीट स्ट्रोक के मरीज को ठंडी जगह में रखना जरूरी है। वहीं, उसको ठंडी हवा करते रहना, शरीर को स्पंज अथवा गीले कपड़े से पोंछते रहना जरूरी होता है। निजर्लीकरण की स्थिति में आईवी फ्लूड्स देना चाहिए। गंभीर रोगियों को स्थानीय स्वास्थ्य इकाई में भेजकर उपचार कराएं।