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Jhansi: साइबर अपराध से बचाव को लेकर कार्यशाला, डीजीपी ने कहा- खतरों के साथ गोल्डन ऑवर को समझना जरूरी
अमर उजाला नेटवर्क, झांसी
Published by: दीपक महाजन
Updated Thu, 20 Nov 2025 12:58 PM IST
सार
साइबर विशेषज्ञ अमित दुबे ने कहा कि लालच में आकर सबसे अधिक लोग जालसाजों का शिकार होते हैं। जालसाजी होने पर जितनी जल्दी हो 1930 पर फोन कर रकम बचाई जा सकती है।
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पुलिस महानिदेशक राजीव कृष्णा वीसी के माध्यम से संवाद करते हुए
- फोटो : संवाद
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विस्तार
पुलिस महानिदेशक राजीव कृष्णा ने साइबर अपराध के खतरों के साथ गोल्डन ऑवर के बारे में भी सचेत रहते की बात कही। बुधवार को दीनदयाल सभागार में आयोजित जागरुकता एवं प्रशिक्षण शिविर में वर्चुअल माध्यम से हिस्सा लेते हुए डीजीपी ने कहा कि साइबर अपराध से बचने के लिए जागरुकता सबसे बड़ा हथियार है। साइबर अपराध होने पर गोल्डन ऑवर (वारदात होने से शुरुआती एक घंटा) के भीतर हेल्पलाइन नंबर 1930 मिलाएं। इस गोल्डन ऑवर के बारे में सभी को बताने की जरूरत है। धोखाधड़ी के शिकार लोगों को इससे काफी मदद मिल सकती है। साइबर जालसाज रोजाना अपना रूप बदल रहे हैं। डीजीपी ने डिजिटल अरेस्ट के बारे में कहा कि कोई जांच एजेंसी डिजिटल अरेस्ट नहीं करती। एपीके फाइल जैसे माध्यमों से भी सचेत रहने की जरूरत है।
मंडलायुक्त बिमल कुमार दुबे ने साइबर अपराध से बचाव के नए तरीके खोजने की जरूरत बताई। बैंकों को भी जवाबदेह होने को कहा। जालसाज डिजिटल माध्यम से पैसा बाहर निकालते हैं। इस पर बैंकों को भी रोक लगानी होगी। आईजी आकाश कुलहरि ने कहा कि साइबर जालसाजी के बढ़ते मामलों को देखते हुए अब थाना स्तर पर साइबर सेल बनाया गया है। जिलाधिकारी मृदुल चौधरी ने कहाकि जालसाजों के पास असीमित डेटा है। खुद उनके पास भी डिजिटल अरेस्ट को लेकर फोन आ चुका है। उन्होंने इसके खिलाफ सामूहिक लड़ाई की जरूरत बताई।
एसएसपी बीबीजीटीएस मूर्ति ने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत करने के साथ मंच का संचालन भी किया। उनके यह कहने पर कि क्या हुआ कि झांसी की रानी हमारे बीच नहीं हैं लेकिन, उनकी झांसी तो है, सभागार में मौजूद लोगों ने जमकर तालियां बजाईं।
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मंडलायुक्त बिमल कुमार दुबे ने साइबर अपराध से बचाव के नए तरीके खोजने की जरूरत बताई। बैंकों को भी जवाबदेह होने को कहा। जालसाज डिजिटल माध्यम से पैसा बाहर निकालते हैं। इस पर बैंकों को भी रोक लगानी होगी। आईजी आकाश कुलहरि ने कहा कि साइबर जालसाजी के बढ़ते मामलों को देखते हुए अब थाना स्तर पर साइबर सेल बनाया गया है। जिलाधिकारी मृदुल चौधरी ने कहाकि जालसाजों के पास असीमित डेटा है। खुद उनके पास भी डिजिटल अरेस्ट को लेकर फोन आ चुका है। उन्होंने इसके खिलाफ सामूहिक लड़ाई की जरूरत बताई।
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एसएसपी बीबीजीटीएस मूर्ति ने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत करने के साथ मंच का संचालन भी किया। उनके यह कहने पर कि क्या हुआ कि झांसी की रानी हमारे बीच नहीं हैं लेकिन, उनकी झांसी तो है, सभागार में मौजूद लोगों ने जमकर तालियां बजाईं।
एडीजी आलाेक कुमार
- फोटो : संवाद
म्यूल खाते खोलने वाले बैंकों की तय होगी जवाबदेही : एडीजी
साइबर ठगों के इस्तेमाल में आने वाले म्यूल खातों के बड़ी संख्या में झांसी में सामने आने पर एडीजी आलोक कुमार ने उनकी जवाबदेही तय कराने की बात कही। एडीजी ने इसे अत्यंत गंभीर मामला बताते हुए कहा कि पूरा देश साइबर अपराध से त्रस्त है। ऐसे में बैंकों को अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी। झांसी में 300 से अधिक म्यूल खातों का मिलना चिंताजनक है। उन्होंने इन सभी बैंकों के खिलाफ कठोर कार्रवाई किए जाने की बात कही।
हर मोबाइल इस्तेमाल करने वाले का डेटा डार्क नेट पर मौजूद
साइबर विशेषज्ञ अमित दुबे ने पहले सत्र के दौरान साइबर अपराध के खतरे एवं उससे बचाव के तरीके समझाए। कहा, मोबाइल इस्तेमाल करने वालों के डेटा आसानी से डार्क नेट पर मौजूद हैं। साइबर अपराधियों की इस डेटा तक आसान पहुंच है। इसके सहारे वह जालसाजी करते हैं। कोई अंजान कॉल में आपके बारे में जानकारी दे, तब उस पर हैरान होने की जरूरत नहीं, तब सावधान हो जाने की आवश्यकता है।
साइबर ठगों के इस्तेमाल में आने वाले म्यूल खातों के बड़ी संख्या में झांसी में सामने आने पर एडीजी आलोक कुमार ने उनकी जवाबदेही तय कराने की बात कही। एडीजी ने इसे अत्यंत गंभीर मामला बताते हुए कहा कि पूरा देश साइबर अपराध से त्रस्त है। ऐसे में बैंकों को अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी। झांसी में 300 से अधिक म्यूल खातों का मिलना चिंताजनक है। उन्होंने इन सभी बैंकों के खिलाफ कठोर कार्रवाई किए जाने की बात कही।
हर मोबाइल इस्तेमाल करने वाले का डेटा डार्क नेट पर मौजूद
साइबर विशेषज्ञ अमित दुबे ने पहले सत्र के दौरान साइबर अपराध के खतरे एवं उससे बचाव के तरीके समझाए। कहा, मोबाइल इस्तेमाल करने वालों के डेटा आसानी से डार्क नेट पर मौजूद हैं। साइबर अपराधियों की इस डेटा तक आसान पहुंच है। इसके सहारे वह जालसाजी करते हैं। कोई अंजान कॉल में आपके बारे में जानकारी दे, तब उस पर हैरान होने की जरूरत नहीं, तब सावधान हो जाने की आवश्यकता है।
साइबर अपराध को लेकर कार्यशाला में बैठे लोग
- फोटो : संवाद
अमित दुबे ने कहा कि लालच में आकर सबसे अधिक लोग जालसाजों का शिकार होते हैं। जालसाजी होने पर जितनी जल्दी हो 1930 पर फोन कर रकम बचाई जा सकती है। पैसा वापस हो जाने के तरीके भी समझाए। संचार साथी का महत्व बताते हुए कहा कि इसकी मदद से आधार कार्ड पर जारी सिम, चोरी फोन को ट्रैक करने समेत कई सुविधाएं हासिल की जा सकती हैं। बैंक जिनके खाते से पैसा निकलता है, उसे जिम्मेदार ठहराते हैं, जबकि अधिकांश मामलों में डेटा बैंक के रास्ते ही जालसाज तक पहुंचता है। पीएनबी के आईटी विशेषज्ञ सत्येंद्र शर्मा ने बैंक खाते सुरक्षित रखने के तरीके समझाए। उन्होंने बताया कि 31 अक्तूबर से सभी बैंक का डोमेन बदलकर डाॅट बैंक डॉट इन हो गई। इससे ऑनलाइन बैंकिंग सुरक्षा के साथ ही धोखाधड़ी कम की जा सकेगी।