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झांसी: विवाहघरों में नकली बिल का खेल, करोड़ों की टैक्स चोरी, एक शादी का वसूलते हैं 1.5 से 2.5 लाख

संवाद न्यूज एजेंसी, झांसी Published by: दीपक महाजन Updated Mon, 24 Nov 2025 01:32 PM IST
सार

विवाहघरों में इन दिनों टैक्स चोरी का खेल चल रहा है। फर्म पंजीयन के साथ 18 प्रतिशत जीएसटी देय है, लेकिन कारोबारी कच्चे बिल पर ही पूरा कारोबार कर रहे हैं। कहीं भी जीएसटी युक्त बिल नहीं दिया जा रहा है।
 

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Jhansi: Fake billing in marriage halls, tax evasion worth crores
जीएसटी चोरी - फोटो : सांकेतिक
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विस्तार
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विवाहघरों में इन दिनों टैक्स चोरी का खेल चल रहा है। फर्म पंजीयन के साथ 18 प्रतिशत जीएसटी देय है, लेकिन कारोबारी कच्चे बिल पर ही पूरा कारोबार कर रहे हैं। कहीं भी जीएसटी युक्त बिल नहीं दिया जा रहा है।
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शादियों का सीजन जोर पकड़ चुका है। शादी घर, कैटरिंग और शादी से जुड़े कारोबारियों की मनमानी से आयोजनकर्ता का बजट बढ़ रहा है। कई प्रतिष्ठान ग्राहकों को असली बिल की जगह नकली पर्ची थमा रहे हैं। ग्राहकों को बिल के नाम पर सिर्फ छोटी पर्ची दी जाती है। न उसमें जीएसटी नंबर होता है न प्रतिष्ठान का पूरा नाम होता है। बस तारीख और रकम लिखी होती है। यही टैक्स चोरी का रास्ता है।
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जिले में हैं 201 विवाहघर
झांसी जिले में छोटे-बड़े 201 विवाहघर हैं। सीजन में एक विवाहघर में कम से कम 50 आयोजन होते हैं। एक विवाहघर संचालक बुकिंग का औसतन दो लाख रुपये वसूलता है। ऐसे में ये लोग 80 करोड़ से अधिक का कारोबार करते हैं।

इस तरह चलता है खेल
बुकिंग के समय 10 प्रतिशत बयाना और शेष राशि विवाह के एक दिन पूर्व जमा कराई जाती है। लेकिन कोई बिल नहीं दिया जाता।
न उसमें जीएसटी नंबर, न प्रतिष्ठान का पूरा नाम व तारीख और रकम होती है।
कैटरिंग के मुताबिक बुकिंग है तो इसमें कुल पैसे का 10 प्रतिशत जमा कर इसे विवाह घर की बुकिंग में दिखा दिया जाता है और इसी पर टैक्स जमा करते हैं। शेष रकम पर किसी तरह से टैक्स जमा नहीं किया जाता। कई कैटरर बिल में जीएसटी इनक्लूसिव लिख देते हैं, लेकिन विभाग में एक रुपये भी जमा नहीं करते।

केस- 1
पठौरिया निवासी देवेंद्र कुमार ने बताया कि उनके भतीजे का सगाई समारोह कुछ दिनों पूर्व हुआ। उन्होंने इलाइट से गोविंद चौराहा के बीच एक स्थल पर आयोजन किया था। 10,000 रुपये बयाना में लिए गए और आयोजन से एक दिन पूर्व 90,000 रुपये जमा कराए गए। कोई बिल नहीं दिया गया।

केस-2
खालसा निवासी राजेंद्र कश्यप ने बताया कि 22 नवंबर को उनके परिवार में शादी थी। उन्होंने सीपरी बाजार स्थित एक विवाहघर में यह आयोजन रखा था। गार्डन का रेट 70,000, कैटरिंग और खाना का अलग से तय था। यह पैसा उन्होंने नगद दिया था। उन्हें जीएसटी युक्त बिल नहीं दिया गया।

क्या करें आयोजनकर्ता
विवाह घर संचालक से जीएसटी युक्त बिल लें।
बयाना देते वक्त अनुबंध के कागज जरूर प्राप्त करें।
वह क्या-क्या सुविधा देंगे और अलग से क्या सुविधा और उसका रेट रहेगा, लिखित में प्राप्त करें।
पैकेज में शामिल हर आइटम की लिस्ट तैयार कराएं।
उपभोक्ता कोशिश करें कि भुगतान या तो चेक से करें अथवा ऑनलाइन।

शादीघर संचालक को फर्म का पंजीयन कराना अनिवार्य है। 18 प्रतिशत जीएसटी इन पर तय है। जीएसटी युक्त बिल न देने की शिकायतें हैं, इनकी औचक जांच की जाएगी।
- डीके सचान, अपर आयुक्त ग्रेड-1, राज्य कर विभाग झांसी।
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